LJPRV
AIMIM
CPI(ML)(L)
IND
IND
IND
Nota
NOTA
JSP
IND
IND
IND
IND
BSP
IND
TPP
IND
IND
IND
IND
Balrampur Chunav Results Live: बलरामपुर निर्वाचन क्षेत्र का रिजल्ट घोषित, Sangita Devi ने 389 वोटों के अंतर से दर्ज की जीत
Balrampur Vidhan Sabha Result Live: बिहार इलेक्शन रिजल्ट अपडेट्स कैसे चेक करें?
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
Balrampur Vidhan Sabha Chunav Result Live: बलरामपुर विधानसभा क्षेत्र में LJPRV और AIMIM के बीच नजदीकी मुकाबला!
बलरामपुर बिहार के कटिहार जिले में स्थित एक सामान्य वर्ग की विधानसभा सीट है. यह 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद अस्तित्व में आई और कटिहार लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. इसमें बरसोई और बलरामपुर प्रखंड शामिल हैं. यह क्षेत्र बिहार के पूर्वी हिस्से में, पश्चिम बंगाल की सीमा के पास स्थित है. बलरामपुर, कटिहार जिला मुख्यालय से लगभग 52 किलोमीटर पूर्व, बरसोई से 18 किलोमीटर, सुढ़नी रेलवे स्टेशन से 10 किलोमीटर, और पश्चिम बंगाल के रायगंज से 26 किलोमीटर दूर स्थित है.
यह इलाका कोसी और महानंदा नदियों के संगम पर बसा हुआ है और गंगा के उत्तरी तट पर फैला हुआ है. यह क्षेत्र बाढ़-प्रवण है और यहां की कृषि और जल-जलीय पारिस्थितिकी को कई छोटी नदियों और नहरों का समर्थन मिलता है.
2020 के विधानसभा चुनाव में बलरामपुर में कुल 3,33,492 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से लगभग 60.80% (2,02,763) मुस्लिम मतदाता थे. अनुसूचित जाति के मतदाता लगभग 12% (40,019) और अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 1.62% (5,400) थी. 2024 के लोकसभा चुनाव में यह संख्या बढ़कर 3,50,083 हो गई.
हालांकि बलरामपुर मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, लेकिन 2010 में इसने एक हिंदू उम्मीदवार दुलाल चंद्र गोस्वामी को विधायक चुना. उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में CPI(ML)(L) के महबूब आलम को 2,704 वोटों से हराया. मुस्लिम वोटों के बंटवारे ने उनके पक्ष में काम किया, क्योंकि NCP, LJP, JDU और कांग्रेस ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे. बाद में गोस्वामी JDU में शामिल हो गए.
2015 में जब JDU ने BJP से गठबंधन तोड़ लिया, तो गोस्वामी को फिर से JDU उम्मीदवार बनाया गया, जबकि BJP ने वरुण कुमार झा को मैदान में उतारा. इस बार CPI(ML)(L) के महबूब आलम ने आसानी से 20,419 वोटों से जीत दर्ज की, जबकि JDU और BJP के कुल वोट महबूब आलम के वोटों से कहीं अधिक थे.
2020 में CPI(ML)(L) राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा बन चुकी थी. इस गठबंधन ने सीट बरकरार रखते हुए महबूब आलम को भारी अंतर से विजयी बनाया. उन्होंने VIP के वरुण कुमार झा को 53,597 वोटों से हराया, जिनकी पार्टी को NDA से यह सीट मिली थी.
2024 के लोकसभा चुनाव में भी यही रुझान बना रहा, जब कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने बलरामपुर खंड में JDU के मौजूदा सांसद दुलाल चंद्र गोस्वामी पर 64,158 वोटों की बढ़त हासिल की.
बलरामपुर की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. यहां धान, मक्का, गेहूं और दालें प्रमुख फसलें हैं. कुछ इलाकों में जूट की खेती भी की जाती है. यहां छोटे स्तर पर चावल मिलें और स्थानीय व्यापारिक केंद्र हैं, लेकिन बड़ी संख्या में लोग आजीविका के लिए अन्य राज्यों में मौसमी पलायन करते हैं. पश्चिम बंगाल की निकटता के कारण सीमा पार व्यापार भी काफी होता है. रायगंज और डालकोला जैसे शहर व्यापार के बड़े केंद्र हैं.
बलरामपुर का ऐतिहासिक महत्व भी कम नहीं है. ब्रिटिश काल और उससे पहले यह एक प्रमुख अंतर्देशीय बंदरगाह रहा है. 1856 में बलरामपुर नगर पंचायत के वार्ड संख्या 6, बलदियाबाड़ी में नवाब सिराज-उद-दौला और पूर्णिया के नवाबजंग के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसे बलरामपुर का युद्ध कहा जाता है और इसमें लगभग 12,000 लोग मारे गए. 1857 में प्लासी की लड़ाई में सिराज-उद-दौला की हार के बाद ब्रिटिशों ने यहां रेलवे का विस्तार किया और बलरामपुर एक समृद्ध बंदरगाह बन गया. फरक्का बैराज और नदियों के प्रवाह में बदलाव से यह बंदरगाह धीरे-धीरे समाप्त हो गया. हालिया पुल निर्माण और हाईवे कनेक्टिविटी को बलरामपुर की खोई पहचान फिर से बहाल करने की कोशिश माना जा रहा है.
स्थानीय लोग बलरामपुर को ‘बिहार का द्वार’ के रूप में पुनः स्थापित होते देखने की उम्मीद कर रहे हैं, जिससे यह झारखंड और पश्चिम बंगाल से बेहतर रूप से जुड़ सके.
2020 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणामों से यह स्पष्ट है कि NDA के लिए इस सीट को विपक्ष से छीन पाना आसान नहीं होगा. हालांकि, सीमांचल क्षेत्र में मतदाता सूची के व्यापक पुनरीक्षण से NDA को थोड़ी उम्मीद जरूर है. यह प्रक्रिया विशेष रूप से बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल से आए संदिग्ध अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची से बाहर करने पर केंद्रित है.
(अजय झा)
Barun Kumar Jha
VIP
Sangita Devi
LJP
Md. Zinnah
IND
Nota
NOTA
Azad Khan
RJKP
Jagannath Das
IND
Khawaja Bahauddin Ahmed
NCP
Munovar Husain
SDPI
Md. Shamim Akhtar
PPI(D)
Sakir Alam
BMP
Tanweer Shamsi
IND
Sunil Chaudhary
IND
Md. Fakhruddin
JD(S)
Md. Noor Alam
PCP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.