JD(U)
INC
AIMIM
IND
Nota
NOTA
JSP
IND
IND
BSP
IND
IND
IND
BJJP
IND
VVIP
Bihar Election Result 2025 Live: बरारी विधानसभा सीट पर JD(U) को दोबारा मिली जीत
Barari Vidhan Sabha Result Live: बरारी में JD(U) कैंडिडेट Bijay Singh निकले सबसे आगे
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
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Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
बरारी, बिहार के कटिहार जिले में स्थित एक सामान्य श्रेणी की विधानसभा सीट है. यह कटिहार लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और बरारी, समेली और कुरसेला सामुदायिक विकास खंडों को सम्मिलित करता है.
बरारी क्षेत्र कोसी नदी के निकट स्थित है, जिससे यहां की मिट्टी अत्यंत उपजाऊ है. धान, गेहूं और केले की खेती इस क्षेत्र की प्रमुख फसलें हैं. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि आधारित है, लेकिन प्रवासी मजदूरों द्वारा भेजे गए धन (रेमिटेंस) भी आर्थिक ढांचे में बड़ी भूमिका निभाते हैं. कम भूमि-स्वामित्व और सीमित रोजगार अवसरों के कारण दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों की ओर मौसमी पलायन एक आम प्रवृत्ति है.
हाल के वर्षों में बुनियादी ढांचे में कुछ सुधार देखने को मिला है. विशेषकर बरारी बाजार और कुरसेला जंक्शन के आसपास सड़क संपर्क और मोबाइल नेटवर्क की स्थिति बेहतर हुई है.
बरारी, कटिहार शहर से लगभग 12 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है और यह एनएच-31 तथा कटिहार जंक्शन रेलवे स्टेशन से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. इसके दक्षिण में लगभग 25 किलोमीटर दूर मनीहारी स्थित है, जो साहेबगंज (झारखंड) के लिए फेरी सेवा के लिए जाना जाता है. नौगछिया, जो दिल्ली-गुवाहाटी रेलमार्ग पर एक प्रमुख जंक्शन है, बरारी से लगभग 35 किलोमीटर पश्चिम में है. भागलपुर जिले का एक छोटा शहर, कॉलगोंग, 40 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है, जबकि पूर्वोत्तर बिहार का प्रमुख शहरी केंद्र पूर्णिया लगभग 50 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में है. राज्य की राजधानी पटना बरारी से लगभग 300 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है.
1957 में स्थापित बरारी विधानसभा सीट पर अब तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं. प्रारंभिक सात में से पांच बार कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की, जिसमें अंतिम जीत 1980 में हुई. इसके बाद से यहां का मतदाता लगातार विभिन्न दलों को मौका देता रहा है- भाजपा और राजद ने दो-दो बार, जबकि सीपीआई, जनता पार्टी, लोकदल, जनता दल, एनसीपी, जदयू और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने एक-एक बार जीत दर्ज की.
यहां मतदाता अक्सर दल बदलने वाले नेताओं को भी समर्थन देते आए हैं. उदाहरण के तौर पर, मोहम्मद साकूर ने 1969 में सीपीआई के प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस के वर्चस्व को तोड़ा, फिर 1972 में कांग्रेस से चुनाव जीतकर आए और 2005 में एनसीपी से विजयी रहे. वहीं मंसूर आलम ने 1985 में लोकदल, 1995 में जनता दल और 2000 में राजद के टिकट पर जीत हासिल की.
2020 के विधानसभा चुनाव में बरारी में 2,71,982 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 लोकसभा चुनाव तक बढ़कर 2,82,738 हो गए. चुनाव आयोग के अनुसार इस दौरान 2,707 मतदाताओं का प्रवास हुआ. 2020 में अनुसूचित जातियों के मतदाता लगभग 23,796 (8.75%) थे, जबकि अनुसूचित जनजातियों के 9,821 (3.61%) थे. मुस्लिम मतदाता इस क्षेत्र में लगभग 81,108 (29.80%) हैं. इसके बावजूद, बरारी ने 16 में से 10 बार हिंदू विधायकों को चुना है. मोहम्मद साकूर और मंसूर आलम ही दो मुस्लिम नेता रहे हैं जिन्होंने मिलकर छह बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया.
लोकसभा चुनावों में भी यही प्रवृत्ति देखी गई है. 2024 में कांग्रेस के तारिक अनवर ने कटिहार सीट जीती, लेकिन बरारी विधानसभा खंड में वे जदयू के दुलाल चंद्र गोस्वामी से 8,529 वोटों से पीछे रहे. इसी प्रकार 2009 और 2019 में भी हिंदू उम्मीदवारों को बढ़त मिली थी.
2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू के विजय सिंह ने राजद के नीरज कुमार को 10,438 वोटों से हराया था. बरारी में मतदाता सहभागिता राज्य औसत से हमेशा अधिक रही है. 2020 में जब सबसे कम मतदान हुआ, तब भी यह प्रतिशत 67.24 रहा, जो बिहार के औसत 58.70 प्रतिशत से काफी ऊपर था.
2020 की जीत और 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़त के चलते जदयू, जो भाजपा-नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा है, वर्तमान में बढ़त में है. हालांकि राजद के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन के कारण मुकाबला अभी भी कांटे का बना हुआ है. बरारी एक ऐसा क्षेत्र है जहां हर चुनाव एक नया मोड़ ला सकता है. यह बिहार की राजनीति का एक दिलचस्प मंच बना हुआ है.
(अजय झा)
Neeraj Kumar
RJD
Bibhash Chandra Choudhary
LJP
Rakesh Kumar Raushan
AIMIM
Nota
NOTA
Srikant Mandal
IND
Md. Parvez Alam
LJD
Kavindra Kumar Paul
BSLP
Md. Babar
IND
Tanuja Khatoon
PP
Md. Shamsad Alam
NCP
Nasim Akhtar
SDPI
Md. Saghir Alam
JAP
Shailesh Kumar Singh
PPI(D)
Lal Krishna Prasad
AKP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.