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Bihar Election Result 2025 Live: नरपतगंज विधानसभा सीट पर BJP को दोबारा मिली जीत
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Narpatganj Vidhan Sabha Result Live: नरपतगंज सीट पर बड़ा उलटफेर! जानिए क्या कह रहे ताजा आंकड़े
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Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
नरपतगंज विधानसभा क्षेत्र बिहार के अररिया जिले में स्थित है. यह पूरा नरपतगंज प्रखंड और भरगामा प्रखंड के 13 ग्राम पंचायतों को सम्मिलित करता है. इस सीट का गठन वर्ष 1962 में हुआ था और अब तक यहां 15 विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं.
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में नरपतगंज में कुल 3,28,546 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें 61,274 अनुसूचित जाति के मतदाता (18.65%) और 70,308 मुस्लिम मतदाता (21.40%) शामिल थे. यादव समुदाय भी यहां प्रभावी भूमिका निभाता है, जिनकी संख्या 62,095 (18.90%) थी. यह पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है, जहां शहरी मतदाता नहीं हैं. सामान्यतः यहां 60% से अधिक मतदान होता है. 2020 में मतदान प्रतिशत 61.18% दर्ज किया गया था. 2024 के लोकसभा चुनाव में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,44,243 हो गई. चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 2020 की मतदाता सूची से 3,972 मतदाता पलायन कर चुके थे, जो इस क्षेत्र में रोजगार की कमी और युवाओं के बड़े पैमाने पर बाहर जाने को दर्शाता है.
हालांकि मुस्लिम मतदाता सबसे बड़ा समूह हैं, फिर भी अब तक कोई मुस्लिम प्रत्याशी यहां से जीत नहीं पाया है. इसके विपरीत यादव नेताओं ने 15 में से 14 बार चुनाव जीता है. केवल 1962 में कांग्रेस के उम्मीदवार दु्मर लाल बैथा ने यह सीट जीती थी. कांग्रेस ने कुल पांच बार जीत दर्ज की, जिनमें शुरुआती चार चुनाव लगातार उसके नाम रहे. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी यहां पांच बार जीत हासिल की. जनार्दन यादव ने 1980 में पहली बार भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी. उन्होंने 2000 और फरवरी 2005 में भी जीत हासिल की. इससे पहले 1977 में वे जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में भी विजयी हुए थे. जनता पार्टी और राजद (आरजेडी) ने दो-दो बार जीत दर्ज की है.
2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के जयप्रकाश यादव ने आरजेडी के पूर्व विधायक अनिल कुमार यादव को 28,610 वोटों से हराया. इस चुनाव में एआईएमआईएम ने मुस्लिम वोट बैंक को ध्यान में रखकर चुनाव लड़ा, लेकिन केवल 2.7% वोट ही हासिल कर पाई. 2015 में राजद ने भाजपा को 25,951 वोटों से हराया था. उस समय जेडीयू राजद के साथ गठबंधन में थी. दिलचस्प बात यह है कि जेडीयू ने अब तक नरपतगंज सीट कभी नहीं जीती, लेकिन 2015 और 2020 में गठबंधन सहयोगी रही. भाजपा की पकड़ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा को इस क्षेत्र से 68,834 वोटों की बढ़त मिली थी, जबकि 2024 में भी उसने 38,774 वोटों से बढ़त बनाए रखी.
इन चुनावी नतीजों से साफ है कि भाजपा लगातार तीन चुनावों में मजबूत स्थिति में रही है और 2025 के विधानसभा चुनावों में भी उसके आत्मविश्वास को बल मिलता है. दूसरी ओर, राजद-नेतृत्व वाला विपक्षी गठबंधन लगभग 39% गैर-मतदान करने वाले वोटरों को अपने पक्ष में लाने की चुनौती से जूझ रहा है.
नरपतगंज का भूभाग समतल और उत्तर बिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हिस्सा है. मानसून के दौरान यहां बाढ़ और जलजमाव की समस्या आम है. कोसी नदी इस क्षेत्र से होकर बहती है, जो कृषि के लिए सहायक है लेकिन साथ ही बाढ़ के खतरे को भी बढ़ाती है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि आधारित है. धान, मक्का और जूट प्रमुख फसलें हैं. क्षेत्र में कोई बड़ा औद्योगिक या कृषि-आधारित उद्योग नहीं है, जिससे आर्थिक ठहराव और पलायन की स्थिति बनी रहती है.
यहां आधारभूत सुविधाओं की कमी साफ झलकती है. शिक्षा का स्तर कम है और स्वास्थ्य केंद्रों व विद्यालयों में आवश्यक संसाधनों की कमी है.
नरपतगंज कस्बा, अररिया जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी उत्तर में स्थित है. यह फारबिसगंज से लगभग 60 किमी और राज्य की राजधानी पटना से करीब 300 किमी दूर है. जोगबनी (30 किमी) और बनकंकी बाजार (76 किमी) यहां के नजदीकी कस्बे हैं.
(अजय झा)
Anil Kumar Yadav
RJD
Hadis
AIMIM
Akhilesh Kumar
IND
Prince Victor
JAP
Harun
JDR
Alok Kumar
IND
Prasenjeet Krishna
IND
Anant Kumar Ray
BMP
Chandresh Kumar
NCP
Sadhan Ku. Yadav
JDP(D)
Nota
NOTA
Nandlal Paswan
IND
Shashi Bhushan Yadav
IND
Gunja Devi
SHS
Raj Kumar Rishidev
AADP
Nishant Kumar Jha
PP
Lochan Kamet
BLRP
Mohammad Mukhtar Alam
BJJND
Pappu Kumar Singh
RJLP(S)
Mohammad Abubakar
AIMF
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.