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Kasba Election Results 2025 Live: कस्बा विधानसभा सीट पर LJPRV ने फहराया परचम, जानें प्रत्याशी Nitesh Kumar Singh को मिली कितनी बड़ी जीत
Kasba Vidhan Sabha Chunav Result: Nitesh Kumar Singh ने कस्बा विधानसभा सीट पर लहराया परचम
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बिहार के पूर्वोत्तर भाग में स्थित कसबा विधानसभा क्षेत्र, पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. यह क्षेत्र दो भौगोलिक भागों में बंटा हुआ है- मैदानी इलाका और पठारी क्षेत्र. कसबा, पूर्णिया जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर उत्तर में स्थित है और राज्य की राजधानी पटना से लगभग 355 किलोमीटर दूर है. यह क्षेत्र अभी भी मुख्य रूप से ग्रामीण है, जहां बस्तियां बिखरी हुई हैं और छोटे बाजार केंद्र हैं.
1967 में गठित, कसबा विधानसभा क्षेत्र में कसबा, श्रीनगर और जलालगढ़ सामुदायिक विकास खंड शामिल हैं, साथ ही कृत्यानंद नगर ब्लॉक के कोहबरा, बेला रिकाबगंज और झुन्नी इस्तंबरार ग्राम पंचायतें भी इसमें आती हैं.
कसबा ने अब तक 14 विधानसभा चुनावों में भाग लिया है. इस क्षेत्र में सबसे अधिक सफलता कांग्रेस को मिली है, जिसने पहले छह चुनावों (1967 से 1977) में लगातार जीत हासिल की और कुल 9 बार विजयी रही। हाल के वर्षों में भी कांग्रेस ने 2010, 2015 और 2020 में लगातार तीन बार जीत दर्ज की.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यहां 1995, 2000 और अक्टूबर 2005 में जीत हासिल की, जबकि जनता दल ने 1990 में और समाजवादी पार्टी ने फरवरी 2005 में जीत दर्ज की थी. उस समय मो. अफाक आलम समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार थे, जो अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और तीन बार से लगातार विधायक हैं.
2020 के चुनाव में, मो. अफाक आलम ने लोजपा के प्रत्याशी प्रदीप कुमार दास को 17,278 मतों के अंतर से हराया. इससे पहले 2010 और 2015 में भी दास ने बीजेपी उम्मीदवार के रूप में आलम को टक्कर दी थी लेकिन दोनों बार हार गए थे. प्रदीप कुमार दास पूर्व में भाजपा से तीन बार विधायक रह चुके हैं और अब भी इस क्षेत्र की राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं.
2024 के लोकसभा चुनाव में स्वतंत्र उम्मीदवार राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने पूर्णिया सीट से चुनाव लड़ते हुए कसबा विधानसभा क्षेत्र में 35,565 मतों की बढ़त दर्ज की.
2020 में कसबा में 2,83,417 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 1,13,933 (40.20%) थी. 2024 तक यह आंकड़ा बढ़कर 2,93,314 हो गया, हालांकि 5,315 मतदाता इस बीच बाहर भी चले गए. कसबा में आमतौर पर मतदान प्रतिशत अच्छा रहता है- 2020 में 66.42%, हालांकि यह पिछले तीन चुनावों में सबसे कम था.
कसबा का भू-भाग अधिकांशत: समतल है और मानसून के समय बाढ़ की चपेट में रहता है. कृषि इस क्षेत्र की आर्थिक रीढ़ है, जहां धान, मक्का और जूट प्रमुख फसलें हैं. मौसमी नदियों और भूजल पर खेती निर्भर करती है. रोजगार के लिए कई लोग शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन भी करते हैं.
नजदीकी कस्बों में बनमनखी (22 किमी) और बैसी (15 किमी) आते हैं. कसबा की स्थिति पूर्णिया जिले के उत्तर-पूर्वी कॉरिडोर में होने के कारण इसकी सड़क कनेक्टिविटी संतोषजनक है.
2025 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और अटकलें लगाई जा रही हैं कि भाजपा इस बार 2020 की रणनीति को बदल सकती है. संभव है कि वह इस बार लोजपा को सीट न देकर खुद के उम्मीदवार को कमल निशान पर मैदान में उतारे। इसके अलावा, जन सुराज पार्टी और आम आदमी पार्टी जैसे नए दल भी मैदान में उतर सकते हैं. हालांकि अभी इनकी स्थानीय पकड़ कमजोर है, लेकिन ये एनडीए के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं या राजद गठबंधन को चुनौती दे सकते हैं.
बिहार में चल रही "स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR)" प्रक्रिया के तहत बांग्लादेश से कथित अवैध प्रवासियों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं. यदि मुस्लिम मतदाताओं की संख्या में गिरावट आती है, तो यह चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकती है.
अब तक के राजनीतिक इतिहास और वर्तमान माहौल को देखते हुए, राजद नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन को 2025 के चुनाव में बढ़त मानी जा रही है. हालांकि, गठबंधन की रणनीतियों में बदलाव, प्रशासनिक कड़ाई और कसबा के तेजी से शहरीकरण को देखते हुए यह क्षेत्र चुनाव परिणामों में चौंकाने वाला भी साबित हो सकता है, खासकर अगर 2025 की संशोधित मतदाता सूची में जनसांख्यिकीय बदलाव दिखे.
(अजय झा)
Pradeep Kumar Das
LJP
Rajendra Yadav
HAM(S)
Md Ittefaque Alam
IND
Md Shahbaz Alam
AIMIM
Nota
NOTA
Mohammad Nurul Haque
SDPI
Hayat Ashraf
PP
Kumar Shaev
STBP
Shakti Nath Yadav
RTRP
Bambam Sah
SJP(B)
Santosh Kumar
RVJP
Pradhan Kumar Singh
RJP(S)
Manoj Mahto
ACDP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.