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Bihar Election Result 2025 Live: सिकटी विधानसभा सीट पर BJP को दोबारा मिली जीत
Sikti Assembly Election Result Live: सिकटी में VIP पीछे, BJP आगे! जानें वोटों का अंतर कितना
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
Sikti Chunav Results Live: सिकटी सीट पर BJP का वर्चस्व, 19419 वोटों के विशाल अंतर से VIP को पछाड़ा
Sikti Chunav Results Live: सिकटी सीट पर BJP का वर्चस्व, 17978 वोटों के विशाल अंतर से VIP को पछाड़ा
Sikti Vidhan Sabha Chunav Result Live: बिहार के सीमांचल क्षेत्र में पार्टियों/गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
सिकटी बिहार के अररिया जिले का एक प्रखंड-स्तरीय कस्बा है, जो अररिया लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. इसे पहले पालासी के नाम से जाना जाता था. वर्ष 1951 में पालासी विधानसभा क्षेत्र की स्थापना हुई और 1972 तक यही नाम बना रहा. 1977 के चुनाव से इसका नाम बदलकर सिकटी कर दिया गया. 2008 के परिसीमन के बाद इसमें सिकटी और कुरसाकांटा प्रखंड तथा पालासी प्रखंड की 10 ग्राम पंचायतें शामिल की गईं. यह पूर्णतः ग्रामीण क्षेत्र है, यहां शहरी मतदाता नहीं हैं.
सिकटी अररिया जिले के उत्तरी हिस्से में भारत-नेपाल सीमा के क़रीब स्थित है. यह अररिया से लगभग 35 किमी उत्तर और राज्य की राजधानी पटना से करीब 330 किमी उत्तर-पूर्व में है. आसपास के प्रमुख कस्बों में फारबिसगंज (28 किमी पश्चिम), जोकीहाट (25 किमी दक्षिण), किशनगंज (60 किमी पूर्व) और बहादुरगंज (45 किमी दक्षिण-पूर्व) शामिल हैं. नेपाल की ओर बिराटनगर केवल 35 किमी दूर है, जबकि रंगेली, उर्लाबारी और धरान भी 50-70 किमी की दूरी पर स्थित हैं. सड़क मार्ग से बिहार और नेपाल दोनों से जुड़ाव है तथा रेलवे की सुविधा अररिया और फारबिसगंज से उपलब्ध है.
यहां की जमीन समतल और उपजाऊ है. मानसून में पानी भराव आम समस्या है. कृषि यहां की मुख्य आर्थिक गतिविधि है. धान, गेहूं, मक्का और सरसों प्रमुख फसलें हैं, जबकि दलहन और जूट कुछ क्षेत्रों में उगाई जाती हैं. पशुपालन और डेयरी से भी आमदनी होती है. स्थानीय साप्ताहिक बाजार लगते हैं, जबकि बड़े व्यापार और सेवाओं के लिए लोग अररिया और फारबिसगंज पर निर्भर रहते हैं. कृषि के अलावा रोजगार के अवसर सीमित हैं, जिस कारण लोग बेरोज़गारी के मौसम में बाहर पलायन करते हैं। नेपाल के साथ अनौपचारिक व्यापार भी यहां की एक खासियत है.
अब तक सिकटी (पूर्व में पालासी) में 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. पालासी नाम से हुए शुरुआती छह चुनावों में कांग्रेस तीन बार, निर्दलीय प्रत्याशी दो बार और स्वातंत्र्य पार्टी एक बार विजयी रही. 1977 से सिकटी नाम के तहत हुए 11 चुनावों में भाजपा चार बार, कांग्रेस तीन बार, निर्दलीय दो बार तथा जनता दल और जदयू एक-एक बार जीत चुके हैं.
सिकटी की राजनीति में मोहम्मद अज़ीमुद्दीन का दबदबा लंबे समय तक रहा. उन्होंने कुल पांच बार जीत दर्ज की. 1962 में स्वातंत्र्य पार्टी से, 1967 और 1969 में निर्दलीय, 1977 में फिर निर्दलीय और 1990 में जनता दल से उन्होंने जीत हासिल की. 2000 में उनकी आखिरी लड़ाई भाजपा के आनंदी प्रसाद यादव से थी, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
2010 से सिकटी सीट भाजपा के कब्जे में है. आनंदी प्रसाद यादव ने दूसरी बार जीत दर्ज की और उसके बाद विजय कुमार मंडल लगातार तीन बार (2010, 2015, 2020) से सीट पर काबिज हैं. 2020 में उन्होंने आरजेडी के शत्रुघ्न प्रसाद सुमन को 13,610 वोटों से हराया.
लोकसभा चुनावों में भी भाजपा का दबदबा दिखता है. 2019 में भाजपा को सिकटी क्षेत्र से 58,319 वोटों की बढ़त मिली, जो 2024 में घटकर 37,252 रह गई, लेकिन फिर भी अंतर काफी बड़ा रहा.
2020 विधानसभा चुनाव में यहां 2,88,031 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 92,457 मुस्लिम (32.10%) और 36,810 अनुसूचित जाति (12.78%) के मतदाता शामिल थे. 2024 तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,00,389 हो गई. पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र होने के बावजूद यहां मतदान प्रतिशत काफी अच्छा रहता है. 2020 में यह 62.36% रहा.
भाजपा के लगातार तीन कार्यकाल और लोकसभा में भारी बढ़त को देखते हुए सिकटी में राजद गठबंधन के लिए राह आसान नहीं है. सत्तारूढ़ दल को चुनौती देने के लिए विपक्ष को मजबूत रणनीति और बेहतर तालमेल की जरूरत होगी.
(अजय झा)
Shatrughan Prasad Suman
RJD
Abhishek Anand
IND
Md. Quamruzzama
IND
Rajesh Kumar Mishra
IND
Nota
NOTA
Rajesh Kumar Singh
IND
Rubina Kumari
JDP(D)
Dinesh Kumar Yadav
RPI(A)
Md. Jainuddin Roy
BLRP
Budhir Kumar Sardar
BHMP
Umesh Kumar Mandal
VISP
Prakash Sharma
IND
Md Abrar Alam
IND
Lukman
VIP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.