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Bihar Election Result 2025 Live: बायसी विधानसभा सीट पर AIMIM को दोबारा मिली जीत
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
Baisi Assembly Election Results Live: Bihar की Baisi सीट पर मुकाबला एकतरफा! AIMIM ने ली बड़ी बढ़त
Baisi Chunav Results Live: बायसी सीट पर AIMIM का वर्चस्व, 26502 वोटों के विशाल अंतर से BJP को पछाड़ा
Baisi Vidhan Sabha Result Live: बायसी विधानसभा सीट पर AIMIM विशाल जीत की ओर! जानिए BJP कितना पीछे?
Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
बैसी (Baisi) प्रखंड-स्तरीय कस्बा बिहार के पूर्णिया जिले में स्थित है और किशनगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह विधानसभा क्षेत्र बैसी और डगरुआ प्रखंडों से मिलकर बना है और पूरी तरह ग्रामीण है, यहां कोई शहरी मतदाता नहीं है. सीमांचल क्षेत्र में पश्चिम बंगाल की सीमा के नजदीक स्थित बैसी, जिला मुख्यालय पूर्णिया से करीब 35 किलोमीटर उत्तर-पूर्व और राज्य की राजधानी पटना से लगभग 340 किलोमीटर पूर्व में बसा है. आसपास के कस्बों में अररिया (40 किमी उत्तर-पश्चिम), किशनगंज (50 किमी उत्तर), कटिहार (60 किमी दक्षिण) और पश्चिम बंगाल का डालखोला (55 किमी पूर्व) शामिल हैं. सड़क संपर्क औसत स्तर का है, जबकि रेल सुविधा डगरुआ और पूर्णिया से उपलब्ध है.
1951 में स्थापित बैसी विधानसभा सीट 1967 से 1977 तक अस्तित्व में नहीं रही. इस अवधि में बिहार में तीन बार विधानसभा चुनाव हुए. अब तक यहां 15 बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 2014 का उपचुनाव भी शामिल है. 1952 से 1962 तक तीन बार और 1977 के बाद 10 बार चुनाव हुए. राजनीतिक रूप से यहां विविधता रही है, कांग्रेस और राजद ने चार-चार बार जीत दर्ज की है. स्वतंत्र उम्मीदवारों ने दो बार, जबकि प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, लोक दल, जनता दल, भाजपा और एआईएमआईएम ने एक-एक बार सीट जीती है. केवल 2010 में भाजपा के संतोष कुशवाहा जीते थे, अन्य सभी विधायक मुस्लिम समुदाय से रहे हैं.
2020 के चुनाव में एआईएमआईएम के सैयद रुकनुद्दीन अहमद ने भाजपा उम्मीदवार विनोद कुमार को 16,373 वोटों से हराया था. हालांकि बाद में उन्होंने तीन अन्य एआईएमआईएम विधायकों के साथ राजद का दामन थाम लिया. इसके बावजूद एआईएमआईएम का संगठनात्मक ढांचा इस क्षेत्र में मजबूत बना हुआ है.
2020 में बैसी सीट पर 2,73,378 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 1,76,013 मुस्लिम (64.30%), 19,572 अनुसूचित जाति (7.15%) और 4,818 अनुसूचित जनजाति (1.76%) मतदाता शामिल थे. 2024 तक यह संख्या बढ़कर 2,89,010 हो गई. रोजगार की तलाश में युवाओं का पलायन यहां एक आम प्रवृत्ति है. चुनाव आयोग के अनुसार 2020 में पंजीकृत 1,542 मतदाता 2024 तक पलायन कर चुके थे. 2020 के विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत 65.35% रहा.
कृषि यहां की रीढ़ है. धान प्रमुख फसल है, इसके अलावा किसान गेहूं, मक्का, दलहन, सरसों, जूट और मौसमी सब्जियां जैसे बैंगन, भिंडी, टमाटर और लौकी भी उगाते हैं. निचले इलाकों में जूट किसानों के लिए नगद आय का प्रमुख साधन है.
कृषि आधारित छोटे उद्योग भी रोजगार और सहारा प्रदान करते हैं. बैसी एग्रो इंडस्ट्रीज कृषि उपकरण और मशीनरी उपलब्ध कराती है. वीके मशीन्स प्रा. लि. यहां इमल्शन प्लांट चलाती है, जो फूड प्रोसेसिंग समेत अन्य सेक्टरों को सप्लाई करता है. खुदरा व्यापार और छोटी दुकानें भी तेजी से बढ़ रही हैं.
2024 के लोकसभा चुनाव में बैसी क्षेत्र में कांग्रेस को 28,615 वोटों की बढ़त मिली. 2014 से ही राजद या उसके सहयोगियों को लगातार बढ़त मिलती रही है. हालांकि 2025 का चुनाव नए समीकरण लेकर आ सकता है. चुनाव आयोग की विशेष पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के तहत कथित बांग्लादेशी घुसपैठियों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं. साथ ही, मुस्लिम वोटों का बंटवारा राजद और एआईएमआईएम के बीच होने की संभावना है. ऐसे में भाजपा-एनडीए के लिए भी मौके बन सकते हैं, हालांकि यह सीट अब भी उनके लिए चुनौतीपूर्ण है.
(अजय झा)
Vinod Kumar
BJP
Abdus Subhan
RJD
Ghulam Sarwar
IND
Nota
NOTA
Md Rashid Raza
IND
Israil Azad
JAP(L)
Hasib
JDR
Mohammad Shanawaz Alam
AIMIEM
Md Firoz Alam
NCP
Naval Kishore Biswas
IND
Sarvesh Kumar
IND
Mohammad Naushad Alam
AIMF
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.