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Bihar Election Result 2025 Live: बहादुरगंज विधानसभा सीट पर AIMIM को दोबारा मिली जीत
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
Bahadurganj Election Results 2025 Live: बहादुरगंज सीट पर उलटफेर! INC भारी अंतर से पीछे
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Bahadurganj Election Result 2025 Live: बहादुरगंज का रिजल्ट जानना है? यहां मिलेगा हर अपडेट
बहादुरगंज बिहार के किशनगंज जिले में तराई क्षेत्र में बसा एक नोटिफाइड एरिया है. प्रशासनिक दृष्टि से यह न गांव है और न ही पूरा कस्बा, बल्कि दोनों के बीच की श्रेणी में आता है. इस विधानसभा क्षेत्र में बहादुरगंज और टेढ़ागाछ प्रखंडों के साथ-साथ दिघलबैंक प्रखंड की तीन ग्राम पंचायतें शामिल हैं. यह नेपाल और पश्चिम बंगाल की नजदीकी के कारण एक विशिष्ट सीमा-पार चरित्र वाला इलाका है. महानंदा और मेची नदियां यहां की जमीन और कृषि पर सीधा प्रभाव डालती हैं.
1951 में स्थापित बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र ने अब तक बिहार की सभी 17 विधानसभा चुनावों में भाग लिया है. यह मुस्लिम बहुल सीट है और यहां से अब तक केवल तीन गैर-मुस्लिम विधायक चुने गए हैं. कांग्रेस का दबदबा सबसे अधिक रहा है जिसने यह सीट 10 बार जीती है. प्रजा समाजवादी पार्टी ने 1957 और 1967 में दो बार जीत हासिल की. जनता पार्टी, जनता दल, भाजपा, एक निर्दलीय और एआईएमआईएम ने एक-एक बार जीत दर्ज की है.
नजमुद्दीन और मोहम्मद तौसीफ आलम इस सीट के सबसे सफल नेता रहे हैं, दोनों ने चार-चार बार जीत हासिल की. तौसीफ आलम ने 2005 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की थी, इसके बाद कांग्रेस में शामिल होकर लगातार तीन चुनाव (2005 अक्टूबर, 2010 और 2015) जीते. लेकिन 2020 में वे एआईएमआईएम के मोहम्मद अंज़र नईमी और वीआईपी के लखन लाल पंडित से पीछे रहकर तीसरे स्थान पर खिसक गए. नईमी ने 45,215 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की. मार्च 2022 में वे आरजेडी में शामिल हो गए.
2025 का चुनाव विपक्षी गठबंधन के लिए सीट बंटवारे की कसौटी बन सकता है. मौजूदा विधायक आरजेडी में होने के कारण यह सीट आरजेडी अपने खाते में रखना चाहेगी, जबकि वीआईपी और कांग्रेस भी दावा कर सकते हैं. ऐसे में बगावत की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. दूसरी ओर, एआईएमआईएम अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए मैदान में उतरेगी और मुस्लिम वोटों में सेंध लगाकर एनडीए को मौका दे सकती है.
2020 में बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र में 2,92,544 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 66.70% मुस्लिम, 7.55% अनुसूचित जाति और 2.48% अनुसूचित जनजाति समुदाय से थे. यह क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण है और केवल 8.55% शहरी मतदाता हैं. मतदान प्रतिशत 59.40% रहा था. 2024 तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,07,148 हो गई.
बहादुरगंज की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है. उपजाऊ मिट्टी और नदियों से सिंचाई इसे खेती के लिए उपयुक्त बनाते हैं. यह क्षेत्र राष्ट्रीय राजमार्ग 27 और 57 से जुड़ा है. यह किशनगंज जिला मुख्यालय से लगभग 25 किमी उत्तर में और पटना से करीब 317 किमी दूर स्थित है. नजदीकी शहरों में इस्लामपुर (40 किमी), अररिया (43 किमी), पूर्णिया (71 किमी), सिलीगुड़ी (87 किमी) और जलपाईगुड़ी (105 किमी) शामिल हैं. नेपाल सीमा भी नजदीक है, भद्रपुर (60 किमी) और विराटनगर (75 किमी). बहादुरगंज में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है, निकटतम स्टेशन किशनगंज (24 किमी) है.
(अजय झा)
Lakhan Lal Pandit
VIP
M.d. Tauseef Alam
INC
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Chandan Kumar Yadav
SHS
Mohammad Mansoor Alam
JAP(L)
Mohammad Musfik Ala
BHMP
Hari Mohan Singh
IND
Sambhu Prasad Das
IND
Nazim Ahmad
NCP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.