फुलपरास विधानसभा क्षेत्र मधुबनी जिले में स्थित है और झंझारपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है. इसमें घोघरडीहा प्रखंड, फुलपरास प्रखंड के 8 पंचायत और मधेपुर प्रखंड के 20 पंचायत शामिल हैं. फुलपरास एक अनुमंडल है और प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है. 1951 से अस्तित्व में आई यह सीट अब तक 18 चुनाव देख चुकी है. 1977 का उपचुनाव काफी चर्चित रहा,
जब तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के लिए झंझारपुर के विधायक देवेंद्र प्रसाद यादव ने इस्तीफा दिया था.
इस क्षेत्र में किसी एक पार्टी का स्थायी प्रभाव नहीं रहा. कांग्रेस ने 5 बार, जदयू ने 4 बार, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और जनता पार्टी ने 3-3 बार, समाजवादी पार्टी ने 2 बार तथा जनता दल ने 1 बार जीत दर्ज की. खास बात यह रही कि यहां भाजपा और राजद कभी जीत दर्ज नहीं कर पाए.
हालांकि, जातीय समीकरण हमेशा निर्णायक रहे हैं. यादव समुदाय यहां प्रभावशाली है और अब तक हुए 18 चुनावों में 13 बार यादव प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है. यह स्पष्ट करता है कि जाति आधारित राजनीति इस क्षेत्र में अहम भूमिका निभाती है.
2010 से लगातार जदयू इस सीट पर जीत दर्ज कर रहा है. 2020 में जदयू की शीला कुमारी ने कांग्रेस उम्मीदवार कृपनाथ पाठक को 10,966 वोटों से हराया. 2010 और 2015 में भी जदयू ने क्रमशः 12,344 और 13,415 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी.
लोकसभा चुनावों में भी जदयू का दबदबा दिखाई देता है. 2009 से अब तक ज्यादातर चुनावों में यह पार्टी यहां आगे रही है. 2024 के चुनाव में जदयू ने 23,466 वोटों की बढ़त बनाई.
2020 के चुनाव में इस क्षेत्र में कुल 3,25,217 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 43,253 मुस्लिम (13.30%), 41,595 अनुसूचित जाति (12.79%) और 56,262 यादव मतदाता (17.30%) शामिल थे. क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण है और केवल 3.84% मतदाता शहरी हैं. मतदान प्रतिशत कम रहा है, हालांकि 2020 में यह 56.02% तक पहुंचा.
भौगोलिक रूप से यह क्षेत्र बाढ़ प्रभावित मिथिला इलाके में आता है. भूतही बलान नदी यहां से होकर गुजरती है. जमीन उपजाऊ है और धान, गेहूं व मक्का मुख्य फसलें हैं, लेकिन सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण खेती काफी हद तक मानसून पर निर्भर है. शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर सीमित हैं, जिसके कारण बड़ी संख्या में युवा पलायन करते हैं.
फुलपरास, मधुबनी जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी, झंझारपुर से 30 किमी और दरभंगा से 65 किमी की दूरी पर है, जबकि पटना करीब 180 किमी दूर है.
2025 के चुनाव में जदयू और एनडीए मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहे हैं. विपक्षी महागठबंधन (राजद-नेतृत्व वाला) को चुनौती पेश करने के लिए एकजुट होकर मजबूत प्रत्याशी उतारना और ठोस मुद्दों पर चुनाव लड़ना होगा.
(अजय झा)