बिहार के सीतामढ़ी संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली छह विधानसभा सीटों में से एक है सुरसंड. वर्ष 1951 में स्थापित इस सीट पर अब तक 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. यह क्षेत्र सुरसंड, चोरौत और पुपरी प्रखंडों को शामिल करता है. मिथिला क्षेत्र में भारत-नेपाल सीमा के निकट स्थित सुरसंड, सीतामढ़ी शहर से लगभग 25 किलोमीटर पूर्व और भिठ्ठामोड़ सीमा चौकी से
करीब 5 किलोमीटर दूर है.
‘सुरसंड’ नाम का संबंध स्थानीय शासक सुर सेन से माना जाता है. उनके निधन के बाद यह इलाका जंगल में बदल गया था, जिसे बाद में दरभंगा जिले के घोगराहा गांव से आए दो भाइयों- महेश झा और अमर झा ने बसाया. ज्योतिषीय सलाह के आधार पर महेश झा ने सुर सेन के किले के खंडहर के पास बसकर सुरसंड परिवार की नींव रखी. आज भी मुगल कालीन सुरसंडगढ़ किला के अवशेष इस इतिहास के साक्षी हैं.
शुरुआती वर्षों में कांग्रेस का दबदबा रहा और उसने आठ बार जीत हासिल की. बाद में जनता परिवार से निकली पार्टियों- जनता दल, जदयू और राजद ने भी सात बार जीत दर्ज की. दो निर्दलीय उम्मीदवार भी विजयी रहे, जो बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए.
2020 विधानसभा चुनाव में जदयू के दिलीप कुमार राय ने राजद के सैयद अबू दोजाना को 8,876 वोटों से हराया. राय को 67,193 वोट मिले, जबकि दोजाना को 58,317 वोट प्राप्त हुए. लोजपा उम्मीदवार अमित चौधरी 20,281 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. मतदाता turnout 54.07% रहा.
2020 में यहां 3,22,038 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 96.72% ग्रामीण और केवल 3.29% शहरी मतदाता थे. अनुसूचित जाति मतदाता 31,109 (9.66%) और मुस्लिम मतदाता 72,136 (22.40%) थे. 2024 लोकसभा चुनाव तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,27,651 हो गई, हालांकि लगभग 6,126 मतदाता पलायन कर चुके थे. सीमित रोजगार अवसरों के कारण युवाओं का बड़े पैमाने पर अन्य शहरों व राज्यों की ओर पलायन जारी है.
यह इलाका मध्य गंगा के मैदान का समतल और उपजाऊ क्षेत्र है. धान, गेहूं और दलहन यहां की प्रमुख फसलें हैं. हर साल आने वाली बाढ़ और कमजोर सिंचाई व्यवस्था किसानों के सामने बड़ी चुनौती है. उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं, जबकि सुरसंड कस्बा स्थानीय बाजार केंद्र के रूप में कार्य करता है. चोरौत मंदिर और बुढ़वा पोखैर धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल हैं.
सड़क मार्ग से सीतामढ़ी (25 किमी), मधुबनी (30 किमी), दरभंगा (55 किमी), समस्तीपुर (50 किमी), हाजीपुर (60 किमी) और पटना (75 किमी) से जुड़ा है. यहां पहुंचने के लिए रेल सुविधा सीमित है. नेपाल के जनकपुर (20 किमी), जलेश्वर (15 किमी) और मलंगवा (30 किमी) यहां से नजदीक हैं.
2020 में जीत और 2024 लोकसभा चुनाव में बढ़त के कारण जदयू के पास शुरुआती बढ़त है, लेकिन लगातार हो रहा पलायन, जन आधार में बदलाव और जन सुराज व आम आदमी पार्टी जैसे नए दलों की एंट्री मुकाबले को कड़ा बना सकती है. इस बार चुनावी नतीजे काफी हद तक स्थानीय संगठन, उम्मीदवार की छवि और जातीय समीकरण पर निर्भर करेंगे.
(अजय झा)