कांटी, बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित एक सामान्य वर्ग का विधानसभा क्षेत्र है, जो वैशाली लोकसभा सीट का हिस्सा है. यह क्षेत्र कांटी और मरवां सामुदायिक विकास खंडों को मिलाकर बना है. कांटी एक अधिसूचित क्षेत्र है, जो ग्रामीण से शहरी क्षेत्र में बदलने की प्रक्रिया में है, और यह तिरहुत प्रमंडल के अंतर्गत एक प्रखंड मुख्यालय के रूप में कार्य करता
है. मुजफ्फरपुर शहर से लगभग 15 किमी पश्चिम में स्थित कांटी का ऐतिहासिक महत्व भी है, विशेष रूप से उपनिवेश काल में नील और शोरा (साल्टपीटर) के उत्पादन के लिए.
1951 में स्थापित कांटी विधानसभा क्षेत्र अब तक 17 विधानसभा चुनाव देख चुका है. शुरुआती दशकों में कांग्रेस का वर्चस्व रहा, जिसने 1952 से 1972 के बीच पांच बार जीत दर्ज की. पहले दो चुनावों में कांग्रेस की जीत मामूली अंतर से हुई. एक बार 3,049 वोटों से और दूसरी बार मात्र 445 वोटों से जीत दर्ज की. इसके बाद, समाजवादी एकता केंद्र (SUCI), जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने दो-दो बार जीत दर्ज की है. वहीं लोकतांत्रिक कांग्रेस, जनता पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने एक-एक बार जीत हासिल की है.
2020 के विधानसभा चुनाव में राजद के मोहम्मद इसराईल मंसूरी ने 10,314 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की. यह जीत मुख्य रूप से एनडीए समर्थक वोटों के तीन हिस्सों में बंट जाने के कारण संभव हुई. कांटी से तीन बार विधायक रह चुके अजीत कुमार, जो फरवरी 2005 में लोजपा के टिकट पर पहली बार जीते और बाद में दो बार जदयू के टिकट पर, इस बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और दूसरे स्थान पर रहे. जदयू और लोजपा ने भी अपने-अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिससे एनडीए का वोट बैंक बंट गया. अजीत कुमार को 54,144, जदयू को 25,891 और लोजपा को 18,093 वोट मिले- कुल मिलाकर 98,128 वोट, जो राजद के 64,458 वोटों से 33,670 अधिक थे.
हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए की एकजुटता का असर देखने को मिला, जब लोजपा की वीणा देवी ने कांटी विधानसभा क्षेत्र में 14,228 वोटों की बढ़त हासिल की.
2020 के विधानसभा चुनाव में कांटी में कुल 3,09,654 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें लगभग 52,300 अनुसूचित जाति (16.88%) और 60,072 मुस्लिम मतदाता (19.40%) शामिल थे. 2024 के लोकसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 3,24,270 हो गई. निर्वाचन आयोग के अनुसार, 2020 की मतदाता सूची में शामिल 2,138 मतदाता 2024 तक इस क्षेत्र से पलायन कर चुके थे.
राज्य की राजधानी पटना, कांटी से लगभग 80 किमी दक्षिण में स्थित है और NH-28 के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है. निकटवर्ती शहरों में मोतीपुर (28 किमी उत्तर-पश्चिम), बरुराज (30 किमी पश्चिम), समस्तीपुर और हाजीपुर (दोनों लगभग 65 किमी दक्षिण-पूर्व) शामिल हैं. नजदीकी रेलवे स्टेशन मुजफ्फरपुर में है, जहां से पटना और अन्य प्रमुख शहरों के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं.
कांटी की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, जिसमें धान, मक्का और गन्ना प्रमुख फसलें हैं. क्षेत्र में औद्योगिक विकास की गति धीमी रही है और बुनियादी ढांचे की कमी अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. अर्ध-शहरी चरित्र और मुजफ्फरपुर के निकट होने के कारण यह क्षेत्र पलायन और छोटे स्तर के व्यापार का केंद्र भी बनता जा रहा है.
2020 में कांटी विधानसभा में 63.31 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो पिछले तीन चुनावों में सबसे कम था. इस बार 2025 के चुनावों में सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों गठबंधन कांटी को हर हाल में जीतने के लिए रणनीति बना रहे हैं. स्थानीय मुद्दे, सामाजिक समीकरण और मतदाताओं की सक्रियता इस बार चुनावी तस्वीर को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकते हैं, जिससे कांटी एक बार फिर बिहार की राजनीति में हॉट सीट बन गया है.
(अजय झा)