हसनपुर, बिहार के समस्तीपुर जिले के रोसड़ा अनुमंडल में स्थित एक प्रखंड है. यह खगड़िया लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. हसनपुर 1967 में एक विधानसभा क्षेत्र बना, लेकिन इसकी असली राजनीतिक पहचान तब बनी जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 2020 के विधानसभा चुनाव में अपने प्रमुख नेता लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को यहां से उम्मीदवार बनाया गया.
इससे पहले तेज प्रताप वैशाली जिले के महुआ से विधायक थे.
तेज प्रताप यादव की छवि अक्सर विवादों और असामान्य व्यवहार के लिए चर्चा में रही है. महुआ में 2015 की जीत में उन्हें 21,000 से अधिक वोटों से सफलता मिली थी, लेकिन 2020 में राजद का जीत का अंतर घटकर सिर्फ 13,000 वोट रह गया. इस गिरावट से चिंतित लालू यादव ने तेज प्रताप के लिए एक सुरक्षित सीट तलाशने की योजना बनाई.
हसनपुर का चुनाव इसीलिए किया गया क्योंकि यहां यादव समुदाय की जनसंख्या 30 प्रतिशत से अधिक है. यह रणनीति सफल रही और तेज प्रताप ने 21,139 वोटों से जीत दर्ज की. हालांकि, उनकी विधायक के रूप में सक्रियता बेहद निराशाजनक रही. पांच वर्षों में उन्होंने शायद ही कभी अपने क्षेत्र का दौरा किया हो. अंततः मई 2025 में राजद ने तेज प्रताप को पार्टी और परिवार की छवि को नुकसान पहुंचाने के आरोप में छह साल के लिए निलंबित कर दिया.
तेज प्रताप से पहले हसनपुर को समाजवादी नेता गजेंद्र प्रसाद हिमांशु के गढ़ के रूप में जाना जाता था. उन्होंने यहां से नौ में से सात बार चुनाव जीता. वे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी, जनता पार्टी (सेक्युलर), जनता दल और जनता दल (यूनाइटेड) जैसी विभिन्न समाजवादी विचारधारा वाली पार्टियों से जुड़े रहे. हिमांशु को उनकी ईमानदारी और सिद्धांतों के लिए व्यापक सम्मान मिला.
अब तक, हसनपुर में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, राजद और जदयू ने तीन-तीन बार, जनता दल ने दो बार, जबकि कांग्रेस, जनता पार्टी और जनता दल (सेक्युलर) ने एक-एक बार जीत दर्ज की है। 2000 के बाद से यह सीट राजद और जदयू के बीच सीधी टक्कर का केंद्र रही है, जिसमें दोनों ने तीन-तीन बार जीत हासिल की है.
तेज प्रताप की निष्क्रियता के बावजूद राजद के लिए हसनपुर में जीत की राह आसान नहीं है. 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने हसनपुर विधानसभा क्षेत्र में 17,954 वोटों की बढ़त हासिल की, जो राजद के लिए खतरे की घंटी है.
हसनपुर पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है, जहां शहरी मतदाता नहीं हैं. यहां की अधिकांश आबादी खेती पर निर्भर है. कमला और बूढ़ी गंडक नदियों के बहाव से यह क्षेत्र कृषि के लिए उपजाऊ बना हुआ है. आस-पास के प्रमुख शहरों में रोसड़ा (20 किमी), खगड़िया (41 किमी), दलसिंहसराय (43 किमी), समस्तीपुर (53 किमी), दरभंगा (68 किमी) और पटना (141 किमी) शामिल हैं.
2020 के विधानसभा चुनावों में यहां 2,92,161 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 17.55 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 11.20 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय से थे. मतदान प्रतिशत 58.67 रहा. 2024 के लोकसभा चुनाव तक मतदाता संख्या बढ़कर 2,99,401 हो गई, लेकिन मतदान प्रतिशत लगभग स्थिर रहकर 56 से 59 प्रतिशत के बीच रहा है.
(अजय झा)