बेलसंद, बिहार के सीतामढ़ी जिले में स्थित एक सामान्य श्रेणी (General Category) की विधानसभा सीट है. यह सीतामढ़ी जिले के बेलसंद और परसौनी प्रखंडों के साथ-साथ शिवहर जिले के तरियानी चौक प्रखंड को शामिल करती है. यह शिवहर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है.
अब तक यहां 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 1996 का उपचुनाव भी शामिल है. कांग्रेस पार्टी को यहां केवल तीन बार जीत मिली है, जबकि समाजवादी विचारधारा से जुड़ी पार्टियों का वर्चस्व रहा है. प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल (यू) ने तीन-तीन बार जीत दर्ज की है. जनता पार्टी ने दो बार, जबकि जनता दल और लोक जनशक्ति पार्टी ने एक-एक बार जीत हासिल की है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह इस क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली नेता रहे, जिन्होंने चार बार जीत हासिल की. 1977 से 1985 के बीच उन्होंने लगातार तीन चुनाव जीते. 1996 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उनके इस्तीफे से उपचुनाव हुआ. वहीं, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के नेता रामानंद सिंह ने शुरुआती दौर में तीन बार जीत दर्ज की थी. सुनीता सिंह चौहान ने भी तीन बार चुनाव जीता. पहली बार 2005 में लोजपा से और बाद में 2010 व 2015 में जदयू से जीत दर्ज की.
2020 के चुनाव में राजद के संजय कुमार गुप्ता ने सुनीता सिंह चौहान को 13,931 वोटों से हराया. इस जीत में लोजपा और आरएलएसपी के अलग-अलग चुनाव लड़ने से जदयू का वोट बैंक बिखरना बड़ा कारण रहा. हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में जदयू ने बेलसंड क्षेत्र में 4,159 वोटों की बढ़त हासिल की. एलजेपी के NDA में वापसी और आरएलएसपी के राजद से जुड़ने के बाद 2025 विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प होने वाले हैं.
2020 में बेलसंद में कुल 2,65,949 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 41,753 मुस्लिम (15.70%) और 38,164 अनुसूचित जाति (14.35%) के मतदाता शामिल थे. यह इलाका पूरी तरह ग्रामीण है, जहां शहरी मतदाता केवल 5.08% हैं. 2024 में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 2,79,742 हो गई.
बेलसंद में मतदान प्रतिशत हमेशा कम रहा है. 2020 में मात्र 52.50% मतदान हुआ. कम मतदान का कारण बड़े पैमाने पर पलायन और विकास की कमी मानी जाती है. 2025 के चुनाव में यदि मतदान प्रतिशत बढ़ा, तो नतीजे अप्रत्याशित हो सकते हैं.
बेलसंद उत्तर बिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में स्थित है. बागमती और लखनदेई नदियां यहां बहती हैं, जिससे हर साल बाढ़ की समस्या बनी रहती है. जमीन उपजाऊ है और धान, गेहूं व मक्का प्रमुख फसलें हैं, लेकिन सिंचाई की व्यवस्था सीमित है और मानसून पर निर्भरता बनी रहती है. सड़क, स्कूल और स्वास्थ्य जैसी आधारभूत सुविधाएं अब भी अपर्याप्त हैं, जबकि रोजगार के अवसर बेहद सीमित हैं.
भौगोलिक दृष्टि से यह क्षेत्र सीतामढ़ी से 20 किमी, दरभंगा से 65 किमी, मुजफ्फरपुर से 80 किमी और राजधानी पटना से लगभग 140 किमी दूर है.
2025 विधानसभा चुनाव में बेलसंद एक हॉट सीट बनने जा रही है. एनडीए और विपक्षी गठबंधन दोनों ही अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं. निर्वाचन आयोग की मतदाता सूची में विशेष पुनरीक्षण की प्रक्रिया विवाद का कारण बनी हुई है. साथ ही, माता जानकी मंदिर को अयोध्या के राम मंदिर की तरह भव्य रूप देने की योजना भी वोटरों को प्रभावित कर सकती है. स्थानीय मुद्दों और क्षेत्रीय असंतोष के साथ यह चुनावी जंग कड़ी टक्कर वाली मानी जा रही है.
(अजय झा)