रुन्नीसैदपुर विधानसभा क्षेत्र बिहार के सीतामढ़ी जिले में स्थित है. इसमें पूरा रुन्नीसैदपुर प्रखंड तथा ननपुर प्रखंड के पांच ग्राम पंचायत - गौरा, मोहिनी, पंडौल बुजुर्ग, बथ असली और कौड़िया रायपुर शामिल हैं. यह सीट वर्ष 1951 में अस्तित्व में आई थी और 1952 से अब तक आयोजित सभी 17 विधानसभा चुनावों में हिस्सा ले चुकी है. यह समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र का
हिस्सा है.
शुरुआती दशकों में यहां कांग्रेस पार्टी को चार बार जीत मिली, लेकिन वह भी बारी-बारी से. यह संकेत था कि कांग्रेस अपने स्वर्णकाल में भी स्थानीय मतदाताओं की पहली पसंद नहीं रही. पिछले 20 वर्षों में यह सीट जेडीयू और राजद के बीच मुख्य मुकाबले का मैदान बनी हुई है. दोनों ही पार्टियां यहां तीन-तीन बार जीत दर्ज कर चुकी हैं. इसके अलावा जनता पार्टी, जनता दल और निर्दलीय प्रत्याशी दो-दो बार विजयी रहे हैं, जबकि समाजवादी पार्टी (संयुक्त) ने 1969 में एक बार जीत हासिल की थी. दिलचस्प बात यह है कि कभी उत्तर बिहार में मजबूत रही सीपीआई और वर्तमान में प्रभावशाली भाजपा इस सीट से अब तक जीत हासिल नहीं कर पाई है.
प्रमुख नेताओं में विवेकानंद गिरी ने चार बार जीत दर्ज की- दो बार निर्दलीय और दो बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में. नवल किशोर शाही ने तीन बार जीत हासिल की (जनता पार्टी और जनता दल से). भोला राय ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की - पहली बार जनता दल से और बाद में दो बार राजद से. गुड्डी देवी ने जेडीयू के टिकट पर अक्टूबर 2005 और 2010 में लगातार जीत हासिल की. 2015 में जेडीयू ने भाजपा गठबंधन से अलग होकर राजद से हाथ मिलाया, जिसके बाद राजद प्रत्याशी मंगिता देवी ने यहां जीत दर्ज की. हालांकि 2020 में जेडीयू-भाजपा गठबंधन ने वापसी की और जेडीयू प्रत्याशी पंकज कुमार मिश्रा ने मंगिता देवी को 24,629 वोटों से हराया.
इस क्षेत्र में दल-बदलू नेताओं की स्वीकृति दर्शाती है कि मतदाता ऐसे बदलाव को नकारात्मक नजरिए से नहीं देखते. जेडीयू ने यहां अपनी स्थिति मजबूत की है, खासकर सीतामढ़ी लोकसभा सीट पर लगातार जीत के साथ. हालांकि 2019 में रुन्नीसैदपुर खंड से उसे 47,480 वोटों की बढ़त मिली थी, जो 2024 में घटकर 19,574 रह गई.
2025 के चुनावों में जेडीयू और भाजपा मिथिला क्षेत्र में हिंदुत्व भावनाओं पर जोर देने की कोशिश कर सकते हैं, विशेषकर तब जब चुनाव से कुछ ही महीने पहले सीतामढ़ी के पुनौरा धाम स्थित मां जानकी मंदिर पुनर्विकास का शिलान्यास हुआ. दूसरी ओर, यदि विपक्षी गठबंधन एकजुट होकर जनता के सामने मजबूत विकल्प पेश करता है तो वह सत्ता विरोधी लहर का लाभ उठा सकता है.
2020 के विधानसभा चुनाव में रुन्नीसैदपुर में 2,87,363 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 42,529 मुस्लिम (14.80%) और 35,259 अनुसूचित जाति (12.27%) मतदाता शामिल थे. यह पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है, जहां मतदान प्रतिशत हमेशा 53 से 55 प्रतिशत के बीच रहा है (2020 में 53.12%). 2024 के लोकसभा चुनाव तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 2,91,217 हो गई, लेकिन लगभग 3,998 मतदाता पलायन कर गए, जो इस क्षेत्र में रोजगार की कमी को दर्शाता है.
भौगोलिक रूप से रुन्नीसैदपुर उत्तर बिहार के सपाट और बाढ़-प्रवण क्षेत्र में आता है. यहां मानसून के दौरान जलजमाव और बाढ़ आम समस्या है. बागमती नदी क्षेत्र की कृषि को सहारा देती है, लेकिन साथ ही बाढ़ का खतरा भी बढ़ाती है. स्थानीय अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है, जहां धान और मक्का मुख्य फसलें हैं. औद्योगिक इकाइयों की कमी, खराब सड़कों, सीमित सिंचाई और कृषि-आधारित उद्योगों के अभाव ने आर्थिक ठहराव और पलायन को बढ़ावा दिया है. शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं भी बेहद सीमित हैं.
रुन्नीसैदपुर कस्बा सीतामढ़ी जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी दक्षिण, मुजफ्फरपुर से 45 किमी और राज्य की राजधानी पटना से करीब 140 किमी दूर स्थित है. निकटतम रेलवे स्टेशन सीतामढ़ी जंक्शन है, जबकि बेहतर संपर्क के लिए मुजफ्फरपुर जंक्शन प्रमुख विकल्प है.
(अजय झा)