बिहार के मधुबनी जिले का एक प्रमुख प्रखंड, हरलाखी, अपनी समृद्ध कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के कारण क्षेत्र के सबसे बड़े गांवों में गिना जाता है. यह प्रखंड मधुबनी और सीतामढ़ी जिलों की सीमा पर स्थित है और इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि मिथिला की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी हुई है. बागमती और कमला नदियों के समीप होने के कारण यहां की भूमि समतल और उपजाऊ
है, जो खेती के लिए अत्यंत उपयुक्त मानी जाती है.
हरलाखी के निकट नेपाल सीमा पर स्थित जयनगर मुख्य आर्थिक केंद्र के रूप में कार्य करता है. जयनगर हरलाखी से मात्र 22 किमी दूर है, जबकि जिला मुख्यालय मधुबनी 37 किमी दक्षिण में स्थित है. इसके अतिरिक्त, सीतामढ़ी हरलाखी से लगभग 30 किमी पश्चिम, झंझारपुर 40 किमी दक्षिण-पूर्व और मंडल मुख्यालय दरभंगा 65 किमी दक्षिण दिशा में स्थित है.
हरलाखी प्राचीन मिथिला राज्य का हिस्सा रहा है, जिसे कभी विदेह वंश ने शासित किया था. यही वह भूमि है जहां राजा जनक, देवी सीता के पिता, का शासन था. उनकी राजधानी जनकपुर, जो अब नेपाल में है, हरलाखी से करीब 72 किमी दूर है और वहां सड़क और रेल मार्ग दोनों से पहुंचा जा सकता है.
हरलाखी की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. यहां धान, गेहूं, मक्का और दालों की खेती बड़े पैमाने पर होती है. हाल के वर्षों में कुछ किसानों ने केले की खेती भी शुरू की है. इसके अलावा, पशुपालन, दुग्ध उत्पादन और मुर्गी पालन भी स्थानीय आय के प्रमुख स्रोत हैं.
हरलाखी विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी और यह मधुबनी लोकसभा क्षेत्र के छह खंडों में से एक है. इसमें हरलाखी और मधवापुर प्रखंडों के साथ-साथ बेनीपट्टी प्रखंड के सात ग्राम पंचायत शामिल हैं. यह क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र है, जिसमें कोई नगरीय मतदाता नहीं है.
अब तक हरलाखी से 17 बार विधायक चुने जा चुके हैं. इनमें से कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने 6-6 बार जीत दर्ज की है. जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) ने 2-2 बार, जबकि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने 1 बार यह सीट जीती है.
वर्तमान में हरलाखी के विधायक सुधांशु शेखर (JDU) हैं, जिन्होंने 2020 में लगातार दूसरी बार इस सीट पर जीत दर्ज की थी. उन्होंने CPI के उम्मीदवार राम नरेश पांडेय को 17,593 मतों से हराया. इससे पहले, उन्होंने 2016 के उपचुनाव में जीत हासिल की थी, जो उनके पिता बसंत कुमार कुशवाहा (2015 में RLSP से विजयी) के निधन के कारण हुआ था. सुधांशु शेखर ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत RLSP से की थी, लेकिन बाद में JD(U) में शामिल हो गए जब RLSP ने NDA छोड़कर महागठबंधन का हिस्सा बनने का निर्णय लिया.
2024 के लोकसभा चुनावों में NDA ने हरलाखी में अपना वर्चस्व बनाए रखा. भाजपा के उम्मीदवार अशोक कुमार यादव ने हरलाखी विधानसभा क्षेत्र में 40,931 मतों से बढ़त बनाई.
2020 के विधानसभा चुनावों में हरलाखी में 2,90,847 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से अनुसूचित जातियों के मतदाता 36,676 (12.61%) और मुस्लिम मतदाता 41,300 (14.20%) थे. 2024 के लोकसभा चुनावों में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 2,95,249 हो गई. हालांकि, एकमात्र चिंता की बात यह है कि हरलाखी में मतदान प्रतिशत लगातार 56 से 58 प्रतिशत के बीच ही रहता है, जो अपेक्षा से कम है.
(अजय झा)