राजा पाकर, बिहार के वैशाली जिले में स्थित एक विधानसभा क्षेत्र है जो हाजीपुर लोकसभा सीट का हिस्सा है. यह राजा पाकर सामुदायिक विकास खंड का मुख्यालय भी है और महुआ अनुमंडल में आता है. भौगोलिक दृष्टि से यह क्षेत्र वैशाली और सारण जिलों के संगम पर स्थित है. यह जिला मुख्यालय हाजीपुर से लगभग 17 किमी दूर है. इसके आसपास के प्रमुख नगरों में सारण जिले का
सोनपुर (18 किमी), महनार बाजार (23 किमी) और लालगंज (25 किमी) शामिल हैं. मुजफ्फरपुर (50 किमी) और बिहार की राजधानी पटना (40 किमी) इसके निकटतम प्रमुख शहर हैं.
गंडक और गंगा जैसी नदियों के समीप बसे राजा पाकर की समतल भूमि कृषि के लिए अत्यंत उपयुक्त है. यहां की मुख्य आजीविका खेती है, जिसमें धान, गेहूं और मक्का प्रमुख फसलें हैं. हाल के वर्षों में केला उत्पादन ने इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाई है. गोरौल स्थित केला अनुसंधान केंद्र द्वारा उच्च उपज व रोग प्रतिरोधक किस्मों के प्रचार-प्रसार से किसान लाभान्वित हो रहे हैं.
हालांकि राजा पाकर का कोई स्वतंत्र ऐतिहासिक विवरण उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह प्राचीन वैशाली नगरी (सिर्फ 36 किमी दूर) के निकट स्थित है, जिससे इसके ऐतिहासिक प्रभाव से इंकार नहीं किया जा सकता.
राजा पाकर विधानसभा क्षेत्र का गठन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद हुआ था. यह अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है और हाजीपुर (SC) लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा खंडों में से एक है. इसमें राजा पाकर, देसरी और सहदेई बुजुर्ग सामुदायिक विकास खंड शामिल हैं.
राजा पाकर ने अब तक तीन अलग-अलग दलों को विजय का मौका दिया है, 2010 में जनता दल (यूनाइटेड), 2015 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), और 2020 में कांग्रेस. यहां राजनीतिक गठबंधनों ने हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
2010 में जेडीयू ने भाजपा के सहयोग से 10,215 मतों से जीत दर्ज की थी, लेकिन बाद में गठबंधन बदलने पर इस सीट को राजद को सौंप दिया गया. 2015 में राजद ने 15,155 वोटों से जीत हासिल की. 2020 में जब जेडीयू दोबारा भाजपा के साथ हो गई, तो राजद ने यह सीट अपने सहयोगी कांग्रेस को दी, जिसने एलजेपी की एनडीए से बगावत और 24,689 वोट बटोरने के कारण 1,796 मतों के मामूली अंतर से जीत हासिल की.
2024 के लोकसभा चुनाव में यह समीकरण फिर बदला, जब जेडीयू और एलजेपी (रामविलास) में फिर से मेल हुआ. एलजेपी (रामविलास) के चिराग पासवान ने राजा पाकर विधानसभा क्षेत्र में 27,604 मतों की बढ़त बनाई.
2020 के विधानसभा चुनाव में राजा पाकर में 2,72,256 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें अनुसूचित जाति के मतदाता 22.41% और मुस्लिम मतदाता 6.70% थे. यह एक पूर्णतः ग्रामीण क्षेत्र है, जहां शहरी मतदाताओं की संख्या शून्य है. 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदाता संख्या बढ़कर 2,84,024 हो गई, हालांकि इस दौरान 3,314 मतदाता प्रवास कर गए थे.
2025 के विधानसभा चुनाव करीब आते ही राजा पाकर एक बार फिर से राजनीतिक चर्चा में है. चाहे एनडीए गठबंधन से कोई भी दल मैदान में उतरे, वर्तमान स्थिति को देखते हुए एनडीए को बढ़त हासिल मानी जा रही है. कांग्रेस विधायक प्रतिमा कुमारी दास के लिए यह सीट बरकरार रखना आसान नहीं होगा. उनका एकमात्र दांव उन 45% मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक लाने का हो सकता है, जो अब तक मतदान से परहेज करते आए हैं. आंकड़े बताते हैं कि इस सीट पर अब तक औसतन केवल 55% मतदाता ही मतदान करते हैं.
(अजय झा)