कुशेश्वर स्थान, दरभंगा जिले के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित एक कस्बा है, जो बिहार की समस्तीपुर (SC) लोकसभा सीट का हिस्सा है. यह विधानसभा क्षेत्र वर्ष 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद अस्तित्व में आया और इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया. इस क्षेत्र में कुशेश्वर स्थान और कुशेश्वर स्थान पूर्वी प्रखंड के साथ-साथ बिरौल प्रखंड के
आठ ग्राम पंचायत शामिल हैं.
यह कस्बा दरभंगा जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व, राज्य की राजधानी पटना से 145 किलोमीटर उत्तर-पूर्व, समस्तीपुर से 62 किलोमीटर उत्तर तथा मधुबनी से 68 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है. इसके आसपास बिरौल (20 किमी उत्तर-पश्चिम), हसनपुर (35 किमी दक्षिण), सिंगिया (25 किमी दक्षिण-पश्चिम) और सहरसा (55 किमी पूर्व) प्रमुख कस्बे हैं. सड़क मार्ग से इन सभी स्थानों से जुड़ाव है, जबकि निकटतम रेलवे स्टेशन बिरौल और लहेरियासराय हैं.
कुशेश्वर स्थान मिथिला क्षेत्र का प्रमुख धार्मिक केंद्र माना जाता है. यहां स्थित बाबा कुशेश्वरनाथ मंदिर प्राचीन शिव धाम है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसकी स्थापना भगवान राम के पुत्र कुश ने की थी. मंदिर का संबंध महाराज कुशध्वज से भी जोड़ा जाता है. सावन महीने में यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. मंदिर परिसर में पवित्र चंद्रकूप कुआं है और यह तीन नदियों के संगम पर स्थित है.
मंदिर के पास ही कुशेश्वर स्थान पक्षी अभयारण्य है, जिसे 1994 में स्थापित किया गया था. यह संरक्षित आर्द्रभूमि 14 गांवों में फैली हुई है और लगभग 29 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है. यहां सर्दियों में डल्मेशियन पेलिकन, साइबेरियन क्रेन और बार-हेडेड गूज जैसे दुर्लभ प्रवासी पक्षी आते हैं. हालांकि खेती के अतिक्रमण और जल-निकासी की समस्याओं के कारण यह अभयारण्य संकट का सामना कर रहा है.
कुशेश्वर स्थान का भूभाग निचला है और यहां हर साल बाढ़ आती है. खेती यहां की मुख्य आजीविका है, जिसमें धान, मक्का, मसूर और सरसों प्रमुख फसलें हैं. इसके अलावा पशुपालन, डेयरी और मुर्गी पालन भी आय का सहायक स्रोत है. उद्योग-धंधे लगभग न के बराबर हैं, जिस कारण बड़ी संख्या में लोग रोजगार के लिए बाहर प्रवास करते हैं.
कुशेश्वर स्थान विधानसभा सीट पर अब तक चार बार चुनाव हो चुके हैं और हर बार हजारी परिवार का दबदबा रहा है.
2010 में शशिभूषण हजारी (भाजपा) ने एलजेपी उम्मीदवार को 5,512 वोटों से हराया. 2015 में जदयू-भाजपा गठबंधन टूटने के बाद शशिभूषण हजारी ने जदयू का दामन थामा और 19,850 वोटों से जीते. 2020 में उन्होंने फिर जीत दर्ज की, इस बार 7,222 वोटों के अंतर से. 2021 में हुए उपचुनाव में उनके निधन के बाद जदयू ने बेटे अमन भूषण हजारी को उम्मीदवार बनाया, जिन्होंने राजद के गणेश भारती को 12,695 वोटों से हराया.
2020 में यहां कुल मतदाता 2,50,786 थें, जिनमें अनुसूचित जाति 53,743 (21.43%), मुस्लिम 28,338 (11.30%), यादव 35,110 (14%), यह पूरी तरह ग्रामीण सीट है, जहां शहरी मतदाता नहीं हैं. 2024 तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 2,62,119 हो गई. मतदान प्रतिशत 2020 में 54.03% और 2021 उपचुनाव में घटकर 50.92% रहा.
लोकसभा चुनावों में एनडीए लगातार बढ़त बनाता आया है. 2024 में एलजेपी (रामविलास) ने इस क्षेत्र में 41,506 वोटों से बढ़त बनाई, जो 2019 के मुकाबले मामूली कम है. जदयू, एनडीए की ओर से इस सीट पर फिर चुनाव लड़ सकती है और उसके पास स्पष्ट बढ़त मानी जा रही है.
हालांकि, पिछले दो चुनावों में करीब आधे मतदाताओं ने वोट नहीं किया. यदि विपक्षी महागठबंधन (राजद-नेतृत्व) इन चुपचाप रहने वाले मतदाताओं को जोड़ने में सफल होता है, तो समीकरण बदल सकते हैं.
(अजय झा)