हायाघाट, दरभंगा जिले के दक्षिणी हिस्से में स्थित एक सामान्य श्रेणी की विधानसभा सीट है. इसकी स्थापना वर्ष 1967 में हुई थी और अब तक यहां 14 विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं. यह सीट हायाघाट प्रखंड और बहेरी प्रखंड के 18 ग्राम पंचायतों से मिलकर बनी है। हायाघाट, समस्तीपुर (अनुसूचित जाति) संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती है.
ग्रामीण है, यहां कोई भी शहरी मतदाता पंजीकृत नहीं है. हायाघाट सड़क मार्ग से उत्तर-मध्य बिहार के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है. जिला मुख्यालय दरभंगा की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है. समस्तीपुर 29 किलोमीटर दक्षिण में, रोसड़ा 43 किलोमीटर, मधुबनी 57 किलोमीटर और मुजफ्फरपुर लगभग 84 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है. राज्य की राजधानी पटना हायाघाट से लगभग 175 किलोमीटर दूर है.
हायाघाट का चुनावी इतिहास काफी दिलचस्प रहा है. शुरुआती वर्षों में कांग्रेस का दबदबा रहा और 1967 से 1972 तक लगातार तीन बार पार्टी ने जीत दर्ज की. कांग्रेस के बलेश्वर राम तीन बार यहां से विजयी रहे और सबसे सफल उम्मीदवार साबित हुए. इसके बाद राजनीति में बदलाव आया और राजद के हरिनंदन यादव ने दो बार जीत हासिल की. अमरनाथ गामी ने 2010 में भाजपा से और 2015 में जदयू से जीत दर्ज की. अब तक कांग्रेस, जनता दल, भाजपा और निर्दलीय प्रत्याशी- सभी ने दो-दो बार यह सीट जीती है, जबकि जनता पार्टी और जदयू ने एक-एक बार कब्जा जमाया है.
2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के रामचंद्र प्रसाद ने राजद के भोला यादव को 10,252 मतों से हराया. इससे पहले 2015 में महागठबंधन की ओर से जदयू के अमरनाथ गामी ने लोजपा के रमेश चौधरी को 33,231 वोटों से पराजित किया था.
2024 के लोकसभा चुनाव में लोजपा (रामविलास) की उम्मीदवार सम्भावी ने हायाघाट खंड में 14,870 मतों की बढ़त बनाई. हालांकि यह बढ़त 2019 के 25,384 वोटों की तुलना में कम रही, लेकिन एनडीए ने अपनी स्थिति बनाए रखी.
2020 विधानसभा चुनाव में यहां कुल 2,42,053 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 40,713 (16.82%) अनुसूचित जाति और 41,875 (17.30%) मुस्लिम मतदाता थे. यादव मतदाताओं की संख्या 29,046 रही, जो कुल का लगभग 12% है. 2024 तक मतदाता संख्या बढ़कर 2,55,322 हो गई. मतदान प्रतिशत हमेशा 56 से 59 प्रतिशत के बीच रहा है, 2020 में 59.13 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया.
हायाघाट का भूभाग समतल और उपजाऊ है. यहां मुख्य रूप से धान, गेहूं, मक्का और दलहन की खेती होती है. औद्योगिक ढांचा न होने के कारण अर्थव्यवस्था कृषि और छोटे पैमाने के व्यापार पर निर्भर है. पास की कमला और बागमती नदियों से आने वाली बाढ़ यहां की सबसे बड़ी चुनौती है, जो हर साल आजीविका और आवागमन को प्रभावित करती है.
शिक्षा और रोजगार की तलाश में युवाओं का पलायन पटना, दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों की ओर आम है. हालांकि छोटे पैमाने पर व्यापार और सेवा क्षेत्र मौजूद हैं, लेकिन कृषि-आधारित उद्योगों और ग्रामीण उद्यमों में अभी तक ठोस निवेश नहीं हो सका है.
आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा-नीत एनडीए हायाघाट में हल्की बढ़त के साथ उतर रहा है. दूसरी ओर, विपक्षी महागठबंधन को सीट वापस पाने के लिए ठोस रणनीति, प्रभावशाली उम्मीदवार और जातीय व सामुदायिक आधार पर मतदाताओं की मजबूत लामबंदी की जरूरत होगी.
(अजय झा)