मधुबनी जिले में स्थित खजौली विधानसभा क्षेत्र झंझारपुर लोकसभा सीट का हिस्सा है. इस क्षेत्र में जयनगर और बसोपट्टी प्रखंडों के साथ-साथ खजौली प्रखंड की सात ग्राम पंचायतें शामिल हैं. खजौली की चुनावी यात्रा काफी रोचक रही है, क्योंकि इसका आरक्षण दर्जा कई बार बदला है. 1952 से 1972 तक यह सामान्य सीट रही, 1977 से 2005 तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही
और 2010 से परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद फिर से सामान्य सीट बन गई.
अब तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में खजौली ने मिश्रित नतीजे दिए हैं. कांग्रेस पार्टी ने यहां सबसे ज्यादा छह बार जीत दर्ज की है, जिनमें शुरुआती तीन चुनावों में लगातार जीत शामिल है. 1967 और 1969 में प्रजा समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस का विजय क्रम तोड़ा. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और राजद (RJD) को दो-दो बार सफलता मिली. 1977 में जनता पार्टी ने सीट जीती, जबकि भाजपा (BJP) ने चार बार जीत हासिल की है और कांग्रेस के बाद सबसे सफल दल रही है.
भाजपा ने 2005 में दोनों चुनाव और 2010 का चुनाव जीतकर लगातार तीन बार जीत दर्ज की थी. हालांकि 2015 में जेडीयू (JDU) के राजद के साथ जाने के कारण भाजपा हार गई और राजद ने जीत हासिल की. लेकिन 2020 में भाजपा ने सीट फिर से अपने नाम की, जब अरुण शंकर प्रसाद ने राजद विधायक सीताराम यादव को 22,689 वोटों से हराया.
जेडीयू ने भले ही कभी खजौली से सीधा चुनाव नहीं जीता हो, लेकिन इसका असर साफ दिखता है. भाजपा की चारों जीत जेडीयू के साथ गठबंधन में ही हुईं, जबकि जब जेडीयू ने राजद का साथ दिया, भाजपा हार गई. लोकसभा चुनावों में भी जेडीयू का खजौली में मजबूत आधार है. 2019 में जेडीयू ने यहां 43,181 वोटों की बढ़त बनाई थी, जो 2024 में घटकर 16,377 रह गई, लेकिन एनडीए खेमे के लिए यह चिंता का विषय नहीं माना गया.
2020 विधानसभा चुनाव में खजौली में 3,05,735 मतदाता पंजीकृत थे. इनमें 44,025 मुस्लिम (14.40%) और 41,702 अनुसूचित जाति (13.64%) मतदाता शामिल थे. यादव मतदाता सबसे बड़ा जातीय वर्ग हैं, जिनकी संख्या 50,140 (16.40%) थी. क्षेत्र की केवल 4.95% आबादी शहरी है, शेष ग्रामीण. 2024 के लोकसभा चुनाव तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,14,426 हो गई.
खजौली मिथिला क्षेत्र में स्थित है, जो उपजाऊ मैदानी इलाको के लिए जाना जाता है. यहां कमला बलान और बछराजा नदियां बहती हैं, जिनसे हर साल बाढ़ की समस्या होती है. धान, गेहूं और दालें यहां की प्रमुख फसलें हैं. सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण कृषि मुख्यतः मानसून पर निर्भर है. बुनियादी ढांचा, सड़कें, स्वास्थ्य और शिक्षा के मामले में क्षेत्र पिछड़ा हुआ है. रोजगार की कमी के कारण युवाओं का पलायन आम बात है.
भौगोलिक दृष्टि से खजौली, मधुबनी जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी, दरभंगा से 40 किमी, सीतामढ़ी से 65 किमी और मुजफ्फरपुर से 100 किमी दूर है. राजधानी पटना यहां से लगभग 170 किमी दूर है. जयनगर, जो खजौली क्षेत्र का हिस्सा है, नेपाल सीमा से ठीक पहले भारत का आखिरी बड़ा कस्बा है. सीमा पार करने पर लगभग 36 किमी की दूरी पर नेपाल का ऐतिहासिक और धार्मिक नगर जनकपुर स्थित है, जो राजा जनक की नगरी के रूप में प्रसिद्ध है.
2025 के चुनावों में खजौली सीट पर मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना है. भाजपा मजबूत स्थिति में है और एनडीए गठबंधन पहले से अधिक मजबूत दिख रहा है. वहीं, राजद और विपक्षी गठबंधन को सीट छीनने के लिए मतदाता लामबंदी और जातीय समीकरणों पर विशेष रणनीति बनानी होगी. 2020 में मतदान प्रतिशत 61.13% रहा था, ऐसे में मतदाताओं की सक्रियता और राजनीतिक माहौल ही 2025 का परिणाम तय करेगा.
(अजय झा)