बिहार के समस्तीपुर जिले का कल्याणपुर प्रखंड, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय की निकटता के कारण विशेष महत्व रखता है. यह विश्वविद्यालय, जो कि पूसा प्रखंड में स्थित है, कृषि तकनीकों और फसलों की नई किस्मों के परीक्षण के लिए एक "ओपन-फील्ड लैबोरेटरी" के रूप में कार्य करता है.
क्षेत्र बनाते हैं, जो समस्तीपुर लोकसभा सीट के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है.
ब्रिटिश शासन के दौरान 1905 में देश में बार-बार पड़ रहे अकाल की समस्या से निपटने के उद्देश्य से स्थापित यह संस्थान अब एक अग्रणी कृषि विश्वविद्यालय बन चुका है. यह संस्थान न केवल वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित करता है, बल्कि उच्च उपज देने वाली, सूखा और रोग-प्रतिरोधी फसल किस्मों का विकास भी करता है. यहीं विकसित की गई पूसा राइस डीएसटी-1 किस्म कम पानी और उर्वरक की मांग करती है. विश्वविद्यालय कल्याणपुर समेत आसपास के इलाकों में फील्ड ट्रायल्स करता है और किसानों को आधुनिक तकनीकों, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन और कीट नियंत्रण जैसे विषयों में प्रशिक्षित करता है. साथ ही यह किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध कराकर ऑर्गेनिक खेती और टिकाऊ कृषि को भी बढ़ावा देता है.
कल्याणपुर की भूमि को उपजाऊ बनाने में पास की कमला और बाया नदियों की भी बड़ी भूमिका है. पूसा संस्थान के सहयोग से खेती यहाँ केवल एक आजीविका नहीं, बल्कि लाभदायक व्यवसाय बन चुकी है. समस्तीपुर जिला मुख्यालय, जो कि यहां से 12 किलोमीटर दक्षिण में है, किसानों के लिए प्रमुख बाजार है. अन्य आस-पास के प्रमुख बाजारों में दलसिंहसराय (25 किमी दक्षिण-पश्चिम), रोसड़ा (30 किमी पूर्व) और दरभंगा (38 किमी उत्तर) शामिल हैं. कल्याणपुर, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर जिलों के संगम पर स्थित है. मुजफ्फरपुर की दूरी लगभग 135 किमी और राजधानी पटना से 142 किमी है.
खेती के साथ-साथ पशुपालन भी स्थानीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यहां के लोग गाय और भैंस पालते हैं और डेयरी उद्योग से भी अच्छी आमदनी होती है.
कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1967 में हुई थी, लेकिन 2008 में परिसीमन आयोग द्वारा इसे अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित किए जाने के बाद इसकी राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह बदल गई. पहले यहां कोइरी जाति का वर्चस्व था, लेकिन 2010 से चुनाव परिणामों पर अनुसूचित जाति के मतदाताओं का असर स्पष्ट नजर आता है. इसका सीधा लाभ जनता दल (यूनाइटेड) को मिला, जिसने 2013 के उपचुनाव सहित सभी चार चुनावों में जीत दर्ज की. कुल मिलाकर अब तक यहां 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इनमें से 6 बार जदयू (2000 में समता पार्टी के रूप में भी) विजयी रही है. कांग्रेस को 3 बार सफलता मिली है, जबकि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और राजद ने 2-2 बार जीत हासिल की है. जनता पार्टी, लोकदल और जनता दल को एक-एक बार सफलता मिली है.
यह दिलचस्प है कि कल्याणपुर में पारंपरिक रूप से लोजपा, जदयू की मुख्य प्रतिद्वंदी रही है. अब जब लोजपा (रामविलास) भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए में वापस आ चुकी है, तो विरोधी मतों का बिखराव कम हो सकता है, जिससे एनडीए को फायदा मिल सकता है. इसका संकेत 2024 के लोकसभा चुनाव में भी मिला, जब लोजपा (रामविलास) की प्रत्याशी शंभवी चौधरी ने समस्तीपुर संसदीय सीट के कल्याणपुर खंड में 34,228 मतों की बढ़त हासिल की.
पूर्वी चंपारण जिले के कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र से भ्रमित न हों, समस्तीपुर के इस कल्याणपुर क्षेत्र में 2020 विधानसभा चुनावों में 3,24,420 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें से 20.99 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 10.60 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता थे. यह लगभग पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है, जिसमें केवल 1.20 प्रतिशत मतदाता शहरी हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव तक पंजीकृत मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,35,714 हो गई, हालांकि चुनाव आयोग के अनुसार 2020 से 2024 के बीच 4,119 मतदाता क्षेत्र से बाहर चले गए.
अगर राजनीति में होने वाली अनपेक्षित घटनाओं को छोड़ दें, तो 2025 के शीतकालीन विधानसभा चुनावों में कल्याणपुर को एनडीए का "सेफ सीट" माना जा सकता है, और जदयू को इसे बरकरार रखने के लिए अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ेगी.
(अजय झा)