अलीनगर बिहार के दरभंगा जिले में स्थित एक सामान्य श्रेणी का विधानसभा क्षेत्र है, जो दरभंगा लोकसभा सीट का हिस्सा है. यह अलीनगर, तर्दीह, घनश्यामपुर प्रखंडों और मोतीपुर पंचायत को सम्मिलित करता है. वर्ष 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद इस सीट का गठन हुआ और 2010 में यहां पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ.
मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता वाला है, जिन्होंने परंपरागत रूप से चुनावी नतीजों में निर्णायक भूमिका निभाई है. अलीनगर, दरभंगा जिला मुख्यालय से लगभग 38 किलोमीटर पूर्व में और पटना से लगभग 145 किलोमीटर उत्तर में स्थित है. यह सड़क मार्ग से मुजफ्फरपुर (78 किमी), समस्तीपुर (62 किमी), मधुबनी (40 किमी) और सीतामढ़ी (85 किमी) जैसे कई क्षेत्रीय केंद्रों से जुड़ा हुआ है. निकटतम रेलवे स्टेशन बेनीपुर है, जो लगभग 10 किमी दूर है. बावजूद इसके, क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण है, जहां सार्वजनिक परिवहन और बुनियादी ढांचे की भारी कमी है.
इस क्षेत्र में अब तक तीन बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. 2010 और 2015 में राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी ने जीत दर्ज की. 2020 में विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के उम्मीदवार मिश्री लाल यादव ने राजद के बिनोद मिश्रा को 3,101 वोटों के छोटे अंतर से हराया. यादव को 61,082 वोट (38.62%) मिले, जबकि मिश्रा को 57,981 वोट (36.66%) प्राप्त हुए. जन अधिकार पार्टी के संजय कुमार सिंह को 9,737 वोट (6.16%) और लोजपा के राज कुमार झा को 8,850 वोट (5.6%) मिले. उस चुनाव में मतदान प्रतिशत 57.4 रहा.
मार्च 2022 में VIP के एनडीए से अलग होने के बाद मिश्री लाल यादव भाजपा में शामिल हो गए.
2020 विधानसभा चुनाव में अलीनगर में 2,75,559 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 लोकसभा चुनाव तक बढ़कर 2,84,014 हो गए. चुनाव आयोग के अनुसार, इस दौरान 1,167 मतदाता बाहर चले गए. 2020 के आंकड़ों के अनुसार, अनुसूचित जाति के लगभग 34,087 मतदाता (12.37%) और मुस्लिम समुदाय के लगभग 58,418 मतदाता (21.2%) थे। क्षेत्र पूरी तरह से ग्रामीण है- यहां कोई भी शहरी मतदाता नहीं है.
2024 लोकसभा चुनाव में दरभंगा सीट से भाजपा के गोपाल जी ठाकुर ने अलीनगर विधानसभा क्षेत्र में राजद के ललित कुमार यादव पर 9,842 वोटों की बढ़त हासिल की. यह बढ़त 2020 की विधानसभा जीत की तुलना में अधिक थी, जिससे भाजपा को 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए एक मजबूत स्थिति में माना जा रहा है.
अलीनगर की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है. धान, गेहूं और मक्का यहां की प्रमुख फसलें हैं. क्षेत्र हर साल बाढ़ और खराब सड़क नेटवर्क जैसी समस्याओं से जूझता है, जो अक्सर चुनावी मुद्दा बनती रही हैं. डिग्री कॉलेज की अनुपस्थिति और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी भी मतदाताओं की प्रमुख चिंताओं में शामिल हैं.
भाजपा ने जहां 2020 और 2024 के चुनावों में अपनी स्थिति को मजबूत किया है, वहीं राजद अपनी पारंपरिक समर्थन-आधार के साथ अब भी एक कड़ी चुनौती बना हुआ है. अलीनगर की चुनावी राजनीति में करीबी मुकाबले की परंपरा को देखते हुए 2025 का विधानसभा चुनाव एक बार फिर रोमांचक होने की संभावना है.
(अजय झा)