उत्तर बिहार के समस्तीपुर जिले में स्थित मोहीउद्दीननगर एक ब्लॉक है, जिसे आधिकारिक तौर पर "सूचित क्षेत्र" (Notified Area) घोषित किया गया है. यह इलाका गांव और कस्बे के बीच की स्थिति में आता है, और उसकी यह "बीच की स्थिति" उसकी राजनीति में भी झलकती है. यहां के मतदाता किसी एक दल या नेता के प्रति विशेष निष्ठा नहीं रखते. इन्होंने विभिन्न विचारधाराओं
वाली पार्टियों को जिताया है, हालांकि वामपंथी दलों को यहां कभी भी खास समर्थन नहीं मिला. दिलचस्प बात यह है कि यहां के मतदाता दल-बदलुओं को भी सहजता से स्वीकार करते हैं और उन्हें चुनाव जिताकर विधानसभा भेजते हैं.
इतिहास में यह क्षेत्र 'शहर धरहरा' के नाम से जाना जाता था, जिसे सूफी संत शाह अफाक मोहीउद्दीन के सम्मान में मोहीउद्दीननगर नाम दिया गया. वे मध्यकालीन काल के चुनार के शाह क़ासिम सुलेमान के वंशज माने जाते हैं. यहां आज भी एक किला 'आमिना बीबी का किला' मौजूद है, जो संत की पत्नी के नाम पर है. विडंबना यह है कि इस क्षेत्र का नाम मुस्लिम संत के नाम पर होने के बावजूद यहां मुस्लिम आबादी अपेक्षाकृत कम है.
मोहीउद्दीननगर को 1951 में विधानसभा क्षेत्र के रूप में मान्यता मिली. 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा बन गई, जबकि पहले यह समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में आती थी. नए परिसीमन के तहत यह विधानसभा क्षेत्र अब मोहीउद्दीननगर और मोहनपुर प्रखंडों के साथ-साथ पटोरी प्रखंड के नौ ग्राम पंचायतों को मिलाकर बना है.
अब तक यहां 18 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिसमें 2014 का उपचुनाव भी शामिल है. कांग्रेस ने यहां पांच बार जीत हासिल की है, जबकि 1980 में कांग्रेस (उर्स) ने भी यहां से जीत दर्ज की थी. राजद को चार बार सफलता मिली, वहीं भाजपा और जनता दल दो-दो बार विजयी हुए. संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने एक-एक बार सीट जीती है.
इस क्षेत्र में दल-बदल का लंबा इतिहास रहा है. 1969 में कपिलदेव नारायण सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की और फिर 1972 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में भी जीत हासिल की. राम चंद्र राय ने 1990 और 1995 में जनता दल से जीतकर 2000 में राजद के टिकट पर भी जीत हासिल की.
अजय कुमार बुल्गानिन ने फरवरी 2005 में लोजपा उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की और फिर अक्टूबर 2005 में राजद प्रत्याशी के रूप में भी. 2015 में टिकट न मिलने पर वे जन अधिकार पार्टी में शामिल हो गए, लेकिन तीन बार के विधायक को मतदाताओं ने नकार दिया और वे महज 6.49% मतों के साथ पांचवें स्थान पर रहे.
2015 में निर्दलीय प्रत्याशी रहे राजेश कुमार सिंह 2020 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और 15,114 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की. 2024 के लोकसभा चुनाव परिणामों के आधार पर, 2025 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को राजद पर हल्की बढ़त हासिल हो सकती है. उजियारपुर सीट से भाजपा के नित्यानंद राय ने मोहीउद्दीननगर क्षेत्र में 6,073 मतों की बढ़त हासिल की, हालांकि यह 2019 की तुलना में काफी कम है, जब बढ़त 43,687 थी.
2020 के विधानसभा चुनाव में इस सामान्य सीट पर 2,64,479 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 17.19% अनुसूचित जाति और 5.5% मुस्लिम मतदाता शामिल थे. यह पूरी तरह से ग्रामीण क्षेत्र है, जिसमें शहरी मतदाता नहीं हैं. 2020 में रिकॉर्ड 56.03% मतदान हुआ, जो हालिया वर्षों में सबसे अधिक था. सिर्फ 5% मतदान वृद्धि भी नतीजे को पलट सकती है, इसलिए सभी राजनीतिक दल अब गैर-मतदान करने वाले वोटरों को सक्रिय करने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं. 2024 में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या बढ़कर 2,68,014 हो गई. राजनीतिक रूप से अस्थिर और अप्रत्याशित माने जाने वाले मोहीउद्दीननगर में 2025 का चुनाव बेहद रोचक होने वाला है.
(अजय झा)