गंगा और सोन नदियों के संगम पर बसा दानापुर, पटना जिले का एक अनुमंडलीय शहर है. यह पटना महानगरीय क्षेत्र का हिस्सा है और राजधानी पटना से सटा हुआ है. अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सैन्य विरासत के लिए प्रसिद्ध यह नगर आज भी कई मायनों में बिहार की राजनीति और इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है.
से जाना जाता है, जिसे 1765 में ब्रिटिश शासन के दौरान स्थापित किया गया था. यह देश की दूसरी सबसे पुरानी छावनी है, जो पश्चिम बंगाल के बैरकपुर के बाद आती है. 1949 में यहां बिहार रेजिमेंट का रेजिमेंटल सेंटर स्थापित किया गया. भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम में भी दानापुर की छावनी का उल्लेखनीय योगदान रहा. 25 जुलाई 1857 को यहां के सिपाहियों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह कर दिया था. एक समय पर यह ईस्ट इंडिया कंपनी की एकमात्र "श्वेत छावनी" थी, जहां तोपखाने की दो बैटरियां, एक यूरोपीय और एक देशी पैदल सेना तैनात रहती थी.
हर साल जून से जुलाई के बीच दानापुर की छावनी क्षेत्र एक प्राकृतिक पक्षी अभयारण्य में बदल जाती है. यहां बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं, जिन्हें 'ओपन बिल स्टॉर्क' कहा जाता है. ये पक्षी क्रेन परिवार के होते हैं और छावनी क्षेत्र के ऊंचे पेड़, शांत वातावरण और सुरक्षित माहौल के कारण सदियों से यहां अंडे देने आते हैं. यह माना जाता है कि इन पक्षियों का आगमन अच्छी वर्षा का संकेत होता है. सेना द्वारा इन्हें किसी भी तरह की शिकार से संरक्षण दिया जाता है, हालांकि यह उनके अधिकारिक कर्तव्यों में शामिल नहीं है.
दानापुर की कुल साक्षरता दर 78.4% है, जिसमें पुरुष साक्षरता 84.54% और महिला साक्षरता 71.39% है. यहां की जनसंख्या में 92.72% हिंदू और 6.48% मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल हैं. यह आंकड़े इस क्षेत्र की सामाजिक विविधता को दर्शाते हैं.
1957 में स्थापित दानापुर विधानसभा क्षेत्र, पाटलिपुत्र लोकसभा सीट के छह विधान सभा क्षेत्रों में से एक है. अब तक यहां कुल 18 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. कांग्रेस और भाजपा ने पांच-पांच बार यहां से जीत दर्ज की है. कांग्रेस ने अंतिम बार 1977 में यह सीट जीती थी, जबकि भाजपा ने 2005 से 2015 तक चार बार लगातार जीत दर्ज की. 2000 में राजद की जीत से भाजपा की यह सीरीज टूटी. समाजवादी और जनता दल को दो-दो बार जीत मिली है, जबकि 1985 में एक निर्दलीय उम्मीदवार ने भी यहां जीत दर्ज की थी.
2024 के लोकसभा चुनाव में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती ने पाटलिपुत्र सीट से जीत हासिल की, लेकिन भाजपा को दानापुर क्षेत्र में बढ़त मिली. अनुसूचित जाति मतदाता यहां 11.88% हैं, मुस्लिम मतदाता 5.9% के आसपास हैं. शहरी मतदाता जहां 66.09% हैं, वहीं ग्रामीण मतदाता लगभग 33.92% हैं.
दानापुर विधानसभा में यादव समुदाय के मतदाता लगभग 22% हैं, जो यहां की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. खुद लालू प्रसाद यादव ने दो बार इस सीट से चुनाव लड़ा और जीता भी. अधिकांश राजनीतिक दल यहां यादव समुदाय के उम्मीदवार को प्राथमिकता देते हैं.
2020 के विधानसभा चुनाव में कुल 3,53,534 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से मात्र 52.51% ने मतदान किया. 2024 के लोकसभा चुनाव में यह संख्या बढ़कर 3,67,981 हो गई.
अक्टूबर-नवंबर 2025 में संभावित विधानसभा चुनावों को लेकर दानापुर एक बार फिर राजद और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर का गवाह बनने जा रहा है. जातीय समीकरण, सामाजिक समीकरण और राजनीतिक इतिहास इस चुनाव को और भी रोचक बना सकते हैं.
(अजय झा)