यदि दशरथ मांझी न होते, तो गया जिले के बाहर बहुत कम लोग बिहार के अतरी विधानसभा क्षेत्र के गांव गहलौर के बारे में जानते. हालांकि, गहलौर का नाम बदलकर उनके सम्मान में "दशरथ नगर" कर दिया गया, फिर भी अतरी उनकी विरासत का पर्याय बना हुआ है.
गहलौर दशरथ मांझी का पैतृक गांव था. यहां महादलित समुदाय की बड़ी आबादी रहती है, एक भूमिहीन मजदूर के रूप
में जीवनयापन करने वाले मांझी की पत्नी गंभीर रूप से बीमार पड़ीं, लेकिन सबसे नजदीकी अस्पताल 70 किलोमीटर दूर था, और इसी दूरी ने उनकी जान ले ली. इस दुःख से आहत होकर, मांझी ने 1960 में एक हथौड़ा और छेनी उठाई और गहलौर को निकटतम वजीरगंज कस्बे से जोड़ने के लिए पहाड़ी को काटकर सड़क बनाने लगे. 22 सालों तक गांव वालों ने उनका उपहास उड़ाया, लेकिन 1982 तक उन्होंने अकेले ही पहाड़ को काटकर 110 मीटर लंबी और 9 मीटर चौड़ी सड़क बना दी.
उनका उचित सम्मान उन्हें उनके जीवनकाल में नहीं मिला. 2007 में कैंसर से उनकी मृत्यु के बाद उन्हें पहचान मिली. "माउंटेन मैन" के नाम से मशहूर मांझी की कहानी ने कई फिल्मों और डॉक्यूमेंट्रीज को प्रेरित किया. लेकिन राजनीति में उनका नाम केवल चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल होता है. हर चुनाव के दौरान नेता उनके पुत्र भगीरथ मांझी के घर महादलित वोटों की तलाश में आते हैं. विडंबना यह है कि 2014 में, भगीरथ की पत्नी भी उसी स्वास्थ्य सुविधा की कमी के कारण चल बसीं, जिसने उनकी मां की जान ली थी.
अब जब 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वही नेता जो मांझी परिवार से किए गए वादे भूल चुके थे, फिर से दशरथ नगर में हाथ जोड़े पहुंचेंगे, क्योंकि मांझी परिवार का समर्थन उनके चुनावी समीकरण को प्रभावित कर सकता है. अतरी जहानाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है.
1951 में अस्तित्व में आने के बाद से अत्री में 17 चुनाव हो चुके हैं. कांग्रेस ने छह बार (आखिरी बार 1990 में) जीत दर्ज की, राजद ने पांच बार, निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो बार, जबकि भारतीय जनसंघ (अब भाजपा), जनता पार्टी, जनता दल और जद(यू) ने एक-एक बार जीत हासिल की. राजद वर्तमान में यहां मजबूत स्थिति में है, 2015 और 2020 दोनों चुनावों में उसने जीत दर्ज की.
इस बार मुकाबला राजद और जद(यू) के बीच होने की संभावना है. लोजपा, जो पहले राजद विरोधी वोटों को विभाजित करती थी, अब भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा है. यह जद(यू) के लिए राहत की बात है, क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनावों में राजद ने यहां बढ़त बनाई थी.
अतरी पूरी तरह से ग्रामीण क्षेत्र है, जहां 31.03% अनुसूचित जाति और 6.3% मुस्लिम मतदाता हैं. 2020 में यहां कुल 3,10,443 मतदाता थे, जिसमें 55.42% मतदान हुआ, जो 2024 में बढ़कर 3,14,696 हो गया.
लेकिन दशरथ मांझी की प्रसिद्धि के बावजूद, गहलौर और अतरी अभी भी उपेक्षित है. चुनावों के बाद विकास के वादे हवा में उड़ जाते हैं, और 2025 में भी यही होने की संभावना है. इस बार चुनावी परिणाम वादों पर नहीं, बल्कि इस पर निर्भर करेगा कि महादलित वोट किसके पक्ष में जाता है, क्योंकि यही समुदाय इस क्षेत्र में "किंगमेकर" है.
(अजय झा)