वजीरगंज, बिहार के गया जिले का एक प्रखंड है. यह एक विधानसभा क्षेत्र भी है. यह गया से 29 किलोमीटर पूर्व की ओर, गया और नवादा जिलों की सीमा पर स्थित है. इसके आसपास के प्रमुख शहरों में हिसुआ, गया, बोधगया और राजगीर शामिल हैं.
2011 की जनगणना के अनुसार, वजीरगंज की कुल जनसंख्या 2,21,731 थी, और जनसंख्या घनत्व 846 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था.
साक्षरता दर 62.17 प्रतिशत रही, जिसमें पुरुष साक्षरता 72.88 प्रतिशत और महिला साक्षरता मात्र 50.91 प्रतिशत थी, जो यह दर्शाती है कि महिलाओं की शिक्षा को स्थानीय स्तर पर प्राथमिकता नहीं दी गई. हालांकि, लिंगानुपात अपेक्षाकृत बेहतर है- प्रति 1,000 पुरुषों पर 951 महिलाएं, और 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में यह अनुपात 961 तक बढ़ा है.
वजीरगंज क्षेत्र में कुल 149 गांव और 34,568 घर थे, जिनमें से अधिकांश की आबादी 2,000 से कम थी. दिलचस्प बात यह है कि इस क्षेत्र में कोई नगरीय आबादी दर्ज नहीं की गई थी.
वजीरगंज की आबादी में अनुसूचित जातियों की भागीदारी 33.8 प्रतिशत थी. अपने नाम से मुस्लिम प्रतीत होने वाले इस क्षेत्र में हिंदू आबादी का वर्चस्व रहा है. 92.87 प्रतिशत लोग हिंदू थे, जबकि मुसलमानों की संख्या केवल 6.7 प्रतिशत थी.
वजीरगंज का ऐतिहासिक विवरण स्पष्ट नहीं है. चूंकि यह गया जिले का हिस्सा है, इसलिए माना जाता है कि इसका इतिहास प्राचीन गया नगर से जुड़ा हुआ है. ‘वजीर’ शब्द का अर्थ मंत्री होता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह नाम मुस्लिम शासन काल में पड़ा या किसी राज्य के मंत्री के नाम पर रखा गया.
राजनीतिक रूप से वजीरगंज का इतिहास अपेक्षाकृत नया है. यह 2008 में अलग विधानसभा क्षेत्र बना, उससे पहले यह शेरघाटी विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा था. अब तक यहां तीन बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. 2010 और 2020 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जीत हासिल की, जबकि 2015 में कांग्रेस विजयी रही. तीनों चुनावों में परिणाम स्पष्ट रहे हैं. भाजपा ने क्रमशः 17,776 और 22,430 वोटों से जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस ने 12,759 वोटों से जीत हासिल की.
2025 के आगामी चुनावों की बात करें तो, भाजपा की स्थिति मजबूत मानी जा रही है, खासकर तब जब उसके सहयोगी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी केंद्र में कैबिनेट मंत्री हैं और उन्होंने 2024 के गया लोकसभा चुनाव में वजीरगंज क्षेत्र में 23,696 वोटों की बढ़त हासिल की थी.
वजीरगंज एक सामान्य (अनारक्षित) सीट है, लेकिन यहां अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है. अनुसूचित जाति लगभग 30.46 प्रतिशत हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता लगभग 9.1 प्रतिशत हैं.
2011 की जनगणना के अनुसार वजीरगंज में कोई नगरीय आबादी नहीं थी, लेकिन वोटर लिस्ट के मुताबिक, इसके 18.43 प्रतिशत मतदाता शहरी क्षेत्र के थे. यह अंतर इसलिए है क्योंकि वजीरगंज विधानसभा क्षेत्र में गया नगर निगम के छह वार्ड भी शामिल हैं.
2020 के विधानसभा चुनाव में वजीरगंज में कुल 3,13,544 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से केवल 56.18 प्रतिशत ने मतदान किया. 2024 के लोकसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 3,22,739 हो गई थी.
वजीरगंज एक ऐसा इलाका है जो इतिहास और राजनीति दोनों में संभावनाओं से भरा है. जनसंख्या संरचना, सामाजिक विविधता और बदलते राजनीतिक समीकरण इसे बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण कड़ी बनाते हैं.
(अजय झा)