बिहार के चुनावी नक्शे पर कटोरिया एक खास स्थान रखता है, क्योंकि यह अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित दो विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. वर्ष 2000 में बिहार के विभाजन और झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद, अधिकांश आदिवासी क्षेत्र झारखंड का हिस्सा बन गए.
कटोरिया विधानसभा क्षेत्र, बिहार के बांका जिले के कटोरिया और बौंसी प्रखंडों को
मिलाकर बना है. इसकी स्थापना 1951 में एक सामान्य सीट के रूप में हुई थी, लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद इसे अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कर दिया गया. यहां एसटी समुदाय की आबादी लगभग 13 प्रतिशत है.
कटोरिया, जिला मुख्यालय बांका से लगभग 25 किलोमीटर और प्रसिद्ध मंदिर नगरी देवघर से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. झाझा और अमरपुर इसके निकटवर्ती शहर हैं.
झारखंड की सीमा से सटे होने के कारण कटोरिया पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है, क्योंकि यह छोटानागपुर पठार का हिस्सा है, जो बिहार की सीमा तक फैला हुआ है. यहां के निकटवर्ती नदियों में चिलकारा (11.3 किमी), मयूराक्षी (26 किमी) और पहाड़ी नदी (33 किमी) शामिल है.
2011 की जनगणना के अनुसार, कटोरिया प्रखंड की कुल आबादी 1,56,646 थी, जिसमें लिंगानुपात 902 महिलाएं प्रति 1,000 पुरुष और साक्षरता दर 46.17 प्रतिशत (पुरुष 57.47% और महिलाएं 33.49%) थी. वहीं बौंसी प्रखंड की आबादी लगभग 1,51,000 थी. यहां की प्रमुख भाषाएं अंगिका (मैथिली की एक उपभाषा) और हिंदी हैं.
कटोरिया विधानसभा क्षेत्र, बांका लोकसभा सीट के छह खंडों में से एक है. जब यह एक सामान्य सीट थी, तब यहां कांग्रेस का दबदबा था, लेकिन आरक्षित सीट बनने के बाद चुनावी रुझान पूरी तरह बदल गए. 2010 और 2020 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जीत दर्ज की, जबकि 2005 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को सफलता मिली थी. 2020 में भाजपा की डॉ. निक्की हेंब्रम ने अपनी दूसरी कोशिश में राजद की मौजूदा विधायक स्वीटी सिमा हेंब्रम को 6,421 मतों से हराया. यह मुकाबला और भी कड़ा हो सकता था यदि राजद और उसकी झारखंड सहयोगी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने अलग-अलग उम्मीदवार न उतारे होते. झामुमो के उम्मीदवार को 5,606 वोट मिले. यदि ये दोनों दल एकजुट हो जाएं, तो भाजपा के लिए इस सीट को बरकरार रखना मुश्किल हो सकता है, विशेष रूप से तब, जब 2024 के लोकसभा चुनावों में राजद ने कटोरिया में बढ़त बनाई थी.
2015 में स्वीटी सिमा हेंब्रम ने निक्की हेंब्रम को 10,337 वोटों से हराया था, जबकि 2010 में भाजपा के सोनलाल हेंब्रम ने राजद के सुखलाल बेसरा को 8,763 मतों से पराजित किया था.
कटोरिया विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति समुदाय सबसे बड़ा वोट बैंक है, जिनकी संख्या 12.08 प्रतिशत है, उसके बाद अनुसूचित जनजाति 9.18 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाता 11.1 प्रतिशत हैं. यह क्षेत्र पूरी तरह से ग्रामीण है, यहां कोई शहरी मतदाता नहीं हैं. 2020 में कुल 2,59,713 पंजीकृत मतदाताओं में से 61.27 प्रतिशत ने मतदान किया. 2024 के लोकसभा चुनावों में यह संख्या बढ़कर 2,78,169 हो गई
संभावना है कि 2025 के विधानसभा चुनावों में ये दोनों महिला आदिवासी नेता एक बार फिर आमने-सामने होंगी, और यह मुकाबला फिर से बेहद कड़ा हो सकता है. उम्मीदवारों की लोकप्रियता के साथ-साथ दोनों गठबंधनों की रणनीति और मतदाताओं से किए गए वादे निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.
(अजय झा)