बिहार के जमुई जिले में स्थित ब्लॉक-स्तरीय नगर 'चकाई' झारखंड की सीमा के निकट बसा हुआ है. भौगोलिक रूप से यह बिहार के नगरों के क्षेत्र के बजाय झारखंड के देवघर, गिरिडीह और मधुपुर जैसे शहरों के ज्यादा करीब है.
2011 की जनगणना के अनुसार, चकाई प्रखंड की कुल जनसंख्या 2,35,188 थी, और यहां प्रति वर्ग किलोमीटर 285 लोग निवास करते हैं. क्षेत्र में
लगभग 41,725 घर थे. शिक्षा की स्थिति चिंताजनक है. कुल साक्षरता दर मात्र 46.96% रही. इनमें 57.78% पुरुष साक्षर थे, जबकि महिलाओं की साक्षरता दर केवल 35.13% थी. चकाई में कुल 529 गांव हैं, जिनमें से 520 गांवों के नाम “टोला” से शुरू होते हैं, जिसका अर्थ होता है-छोटा बस्ती. इनमें से 187 गांवों की आबादी 200 से कम है, जबकि केवल 51 गांवों में 1,000 से 5,000 के बीच जनसंख्या है.
चकाई विधानसभा क्षेत्र जमुई लोकसभा सीट के अंतर्गत छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है, जिसकी स्थापना 1962 में हुई थी. इस सीट की सबसे खास बात यह है कि यहां की मतदाता की निष्ठा किसी एक पार्टी के प्रति स्थायी नहीं है. अब तक हुए 15 चुनावों में इस सीट पर कई पार्टियों का कब्जा रहा है. समाजवादी पार्टी और संयुक्त समाजवादी पार्टी ने शुरुआती तीन चुनाव जीते, जबकि बीजेपी और निर्दलीय उम्मीदवारों ने तीन-तीन बार जीत हासिल की. कांग्रेस ने दो बार, और जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) व झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने एक-एक बार जीत दर्ज की है.
झारखंड की भौगोलिक नजदीकी के कारण चकाई में अनुसूचित जनजाति (ST) की अच्छी-खासी आबादी है, जो कुल मतदाताओं का लगभग 10.56% है. इसी आधार पर झारखंड की सत्ताधारी पार्टी झामुमो का इस क्षेत्र में कुछ प्रभाव रहा है. वर्ष 2010 में स्थानीय नेता सुमित कुमार सिंह ने झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ा और 188 मतों के बेहद कम अंतर से जीत हासिल की. 2015 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन राजद के प्रत्याशी से हार गए. हालांकि, 2020 में उन्होंने फिर से निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए 581 मतों के मामूली अंतर से जीत दर्ज की. वर्तमान में वे नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री के रूप में कार्यरत हैं.
इस बार संभावना है कि सुमित कुमार सिंह 2025 के विधानसभा चुनावों में एनडीए (NDA) के किसी घटक दल के टिकट पर चुनाव लड़ें. पिछले चुनावों के विपरीत, उन्हें इस बार एनडीए सहयोगियों का संगठित समर्थन मिल सकता है. इसकी झलक 2024 के लोकसभा चुनावों में देखने को मिली, जहां एलजेपी (रामविलास) के उम्मीदवार अरुण भारती ने जमुई लोकसभा सीट जीती और चकाई विधानसभा क्षेत्र में अपने राजद प्रतिद्वंद्वी पर 13,059 मतों की बढ़त बनाई.
विधानसभा क्षेत्र की जनसंख्या संरचना पर नजर डालें तो 15.6% मतदाता अनुसूचित जाति (SC) के हैं, 10.56% ST के हैं और लगभग 11.5% मतदाता मुस्लिम समुदाय से हैं. अधिकांश मतदाता ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं, जबकि शहरी मतदाताओं की हिस्सेदारी मात्र 1.31% है.
2020 के विधानसभा चुनावों में चकाई में कुल 2,87,038 पंजीकृत मतदाता थे और 66.09% मतदान हुआ था, जो बिहार के कई अन्य हिस्सों से अधिक था. दिलचस्प बात यह है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता संख्या में मामूली वृद्धि हुई, लेकिन चकाई में यह संख्या एकदम उछलकर 3,25,787 तक पहुंच गई. इसका मुख्य कारण यह बताया जा रहा है कि पहले जिन गरीब और अशिक्षित लोगों का नाम मतदाता सूची में नहीं था, उन्हें अब शामिल किया गया है. अब सबकी निगाहें 2025 की मतदाता सूची पर टिकी हैं. देखना होगा कि यह आंकड़ा और बढ़ता है या नहीं, खासकर मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोपों के बीच.
(अजय झा)