बिहार के बांका जिले में स्थित अमरपुर एक अधिसूचित क्षेत्र (Notified Area) है, जिसे एक सामुदायिक विकास खंड (Community Development Block) का दर्जा प्राप्त है. अधिसूचित क्षेत्र वह होता है जो न तो पूरी तरह गांव होता है और न ही नगर, बल्कि एक ऐसा प्रशासनिक क्षेत्र होता है जिसकी पहचान स्पष्ट नहीं होती. हालांकि, इस स्थिति में जल्द बदलाव संभव है, क्योंकि
जनगणना की नई रिपोर्ट सामने आने वाली है और ऐसी खबरें हैं कि बड़ी संख्या में ग्रामीण आजीविका की तलाश में अमरपुर की ओर पलायन कर रहे हैं. यह क्षेत्र तेजी से एक प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है.
कुछ समय पहले तक अमरपुर चीनी मिलों के लिए प्रसिद्ध था. यहां कई मिलें थीं जो रोजगार देती थीं, किसानों को उनकी उपज बेचने का अवसर मिलता था और सरकार को राजस्व भी प्राप्त होता था. लेकिन आधुनिक तकनीक को न अपनाने और सरकारी सहयोग की कमी के कारण अधिकांश मिलें बंद हो चुकी हैं.
हालांकि कृषि आज भी लोगों की आजीविका का प्रमुख साधन है, लेकिन अमरपुर तेजी से एक व्यापारिक केंद्र के रूप में उभर रहा है. नए बाजार, दुकानें और निर्माण कार्य यहां लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं. इसके अलावा, अमरपुर की एक विशेषता यह भी है कि यहां अपराध की दर बहुत कम है, जिससे यह व्यापार और अन्य वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए सुरक्षित स्थान बनता जा रहा है.
अमरपुर के पास चानन नदी बहती है, जबकि बेलहरनी और बरूआ जैसी छोटी नदियां भी नजदीक हैं. इससे यह क्षेत्र उपजाऊ बनता है और खेती के लिए आदर्श स्थिति प्रदान करता है. अमरपुर के कुछ दक्षिणी हिस्सों में पहाड़ी इलाका भी है. जिला मुख्यालय बांका यहां से 19 किलोमीटर, भागलपुर 27 किलोमीटर, सुलतानगंज 35 किलोमीटर, मुंगेर 70 किलोमीटर और राजधानी पटना लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
अमरपुर विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1957 में हुई थी और यह बांका लोकसभा सीट के छह खंडों में से एक है. इसमें शंभुगंज और अमरपुर दो ब्लॉक शामिल हैं. 2020 में यहां 2,95,587 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 3,05,894 हो गए. यह क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण है, जिसमें केवल 6.32 प्रतिशत शहरी मतदाता हैं. अनुसूचित जाति के मतदाता 12.88 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाता 10.5 प्रतिशत हैं.
यहां का एक उल्लेखनीय पहलू इसका स्थिर मतदाता प्रतिशत है, जो लगभग 55 प्रतिशत बना हुआ है. 2015 में 55.61%, 2019 में 55.39% और 2020 में 55.55% थे.
अब तक अमरपुर में कुल 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इनमें कांग्रेस ने चार बार जीत हासिल की, लेकिन आखिरी जीत 1985 में हुई थी. इसके बाद राजद (RJD) और जदयू (JDU) ने तीन-तीन बार जीत दर्ज की है. संयुक्त समाजवादी पार्टी को दो बार, जबकि भारतीय जनसंघ, जनता पार्टी, जनता दल और एक निर्दलीय प्रत्याशी को एक-एक बार जीत मिली है.
हाल के वर्षों में अमरपुर दो प्रमुख क्षेत्रीय दलों, राजद और जदयू के बीच मुकाबले का केंद्र बन गया है. जहां राजद ने इस सीट पर तीन बार लगातार जीत दर्ज की थी, वहीं जदयू ने भी पिछले तीन चुनावों (2010, 2015, 2020) में लगातार जीत दर्ज की है.
वर्तमान विधायक जयंती राज कुशवाहा (जदयू) हैं, जिन्होंने 2020 में कांग्रेस प्रत्याशी जितेंद्र सिंह को 3,114 मतों से हराया. इस कड़े मुकाबले में लोजपा (LJP) की उपस्थिति अहम रही, जिसने 40,308 वोट हासिल किए, हालांकि उसका उद्देश्य जदयू को हराना सफल नहीं हो सका. पहले के मुकाबलों में जदयू ने अधिक अंतर से जीत हासिल की थी. 2010 में 18,007 और 2015 में 11,773 मतों से जीते थे.
2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए की एकजुटता का असर साफ दिखा जब जदयू ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी पर 29,113 वोटों से बढ़त बनाई. लोजपा के फिर से भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल होने से यह गठबंधन और मजबूत हुआ है.
यह संकेत है कि अमरपुर में 2025 के विधानसभा चुनाव में एनडीए एक बार फिर मजबूती से उतरने के लिए तैयार है.
(अजय झा)