बाराचट्टी, बिहार के ऐतिहासिक मगध क्षेत्र गया जिले का एक प्रखंड है जो अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित विधानसभा क्षेत्र है. जिला मुख्यालय से लगभग 45 किमी दक्षिण और राज्य की राजधानी पटना से करीब 150 किमी दूर स्थित यह इलाका ग्रैंड ट्रंक रोड के कारण ठीक‑ठाक सड़क कनेक्टिविटी रखता है. झारखंड सीमा से मात्र 25किमी की दूरी पर है. छोटा नागपुर पठार और
गंगीय मैदान के संधि‑क्षेत्र में पड़ने वाली इसकी कठोर, पथरीली भूमि लैटराइट मिट्टी से ढकी है, जो केवल मोटे अनाज के लिए उपयुक्त मानी जाती है. लोक‑कथाओं में इन चट्टानी पहाड़ियों को “भीम का खेल‑मैदान” कहा जाता है, परन्तु इसका कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलता.
बाराचट्टी प्रखंड के 155 गांवों में से 90 गांवों की आबादी 1,000 से कम है. 2011 की जनगणना के अनुसार 296 वर्ग‑किमी में फैले इस क्षेत्र की आबादी 1,42,534 थी और जनघनत्व मह 481 व्यक्ति प्रति वर्ग‑किमी है. कुल 22,173 घरों में रहने वालों का लैंगिक अनुपात 1,000 पुरुषों पर 967 महिलाएं रहा, जो अत्यधिक असंतुलन नहीं दर्शाता है.
लैंगिक अनुपात भले ही तुलनात्मक रूप से बेहतर हो, पर साक्षरता में खाई गहरी है, पुरुष साक्षरता 55.06% जबकि महिला साक्षरता सिर्फ 39.75 % है कुल मिलाकर क्षेत्र का औसत साक्षरता दर 47.53% ही है, यानी आधे से अधिक लोग निरक्षर हैं.
बाराचट्टी की मतदाता संरचना में अनुसूचित जातियों की हिस्सेदारी 35.88% है, फिर भी विकास की रोशनी यहां तक कम पहुंची. बदहाली के चलते अनेक परिवारों के लिए शिक्षा प्राथमिकता नहीं, बच्चों को काम पर लगाकर रोजमर्रा की आमदनी जुटाना ज्यादा जरूरी होता है.
SC आबादी में लगभग 55‑60 % ‘चमार’ (पारंपरिक रूप से चमड़े का काम), 30‑35 % ‘दुसाध’ (दिहाड़ी मजदूर/सीमांत किसान) और 5‑8 % ‘मुसहर’ हैं, जिन्हें समाज का सबसे वंचित वर्ग माना जाता है. ‘मुसहर’ नाम ही उनकी दुर्दशा बयां करता है- ‘मूस’ यानी चूहा, ‘हार’ यानी खाने वाला. कभी‑कभी चूहे पकड़ना ही उनका एकमात्र सहारा होता था.
कोविड‑19 दौरान में शुरू हुई केंद्र सरकार की मुफ्त राशन योजना ने मुसहर समुदाय में भाजपा के प्रति सकारात्मकता बढ़ाई है. पहली बार वे प्रतिदिन दो बार भरपेट भोजन जुटा पा रहे हैं. माना जा रहा है कि 2025 के विधानसभा चुनावों में यह समुदाय निर्णायक भूमिका निभा सकता है.
1957 में अलग विधानसभा क्षेत्र बनने के बाद से बराचट्टी में 1996, 2003 के उपचुनाव सहित 18 चुनाव हो चुके हैं. कांग्रेस और राजद ने चार‑चार बार जीत दर्ज की, समाजवादी धारा की तीन अलग‑अलग पार्टियां एक‑एक बार, जनता दल और जद‑यू दो‑दो बार, जबकि जनता पार्टी, इंडियन पीपुल्स फ्रंट और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) एक‑एक बार विजयी रहे.
2020 का चुनाव रोचक रहा जिसमें शीर्ष चारों प्रत्याशी महिलाएं थीं. ‘हम’ की ज्योति देवी ने राजद की संमता देवी को 6,318 वोटों से हराया. दलित महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में यह शायद अब तक की सबसे प्रतीकात्मक पहल थी. 2024 के लोकसभा चुनाव में ‘हम’ प्रमुख जीतन राम मांझी गया सीट से जीते और बराचट्टी सहित सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में NDA आगे रहा, जिससे अक्टूबर‑नवंबर 2025 के चुनावों में गठबंधन को बढ़त मिलती दिख रही है.
2011 की जनगणना अनुसार 35.88% SC और लगभग 11% मुस्लिम मतदाता हैं. सम्पूर्ण क्षेत्र ग्रामीण है, कोई शहरी मतदाता नहीं. 2020 में पंजीकृत मतदाता 3,04,389 थे, जो 2024 में बढ़कर 3,15,036 हो गए. गरीबी और कम साक्षरता के बावजूद 2020 में मतदान प्रतिशत 60.80% रहा, जो नागरिक जागरूकता की उम्मीद जगाता है.
(अजय झा)