बिहार के नालंदा जिले का एक प्रमुख प्रखंड, हरनौत, अपने ऐतिहासिक और भौगोलिक महत्व के लिए जाना जाता है. यह प्रखंड नालंदा के प्राचीन खंडहर (23 किमी), राजगीर (40 किमी) और पावापुरी (13 किमी) जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों का प्रवेश द्वार भी है. हरनौत के आसपास के प्रमुख नगरों में जिला मुख्यालय बिहार शरीफ (20 किमी), बख्तियारपुर (15 किमी), बाढ़ (30 किमी)
और राज्य की राजधानी पटना (55 किमी) शामिल हैं.
हरनौत पंचाने नदी के किनारे बसा है और इसके आसपास धोबा, मुहाने, कररुआ और पंचाने जैसी कई छोटी नदियाँ बहती हैं. गंगा नदी भी यहां से महज 10 किमी की दूरी पर है. इन नदियों की उपस्थिति से हरनौत की भूमि काफी उपजाऊ हो गई है, जिससे यह क्षेत्र खेती के लिए उपयुक्त है. इसके अलावा, यहां एक रेलवे कैरेज रिपेयर वर्कशॉप भी स्थित है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है. कृषि के साथ-साथ पर्यटन और रेलवे कार्यशाला हरनौत की आर्थिक धारा को प्रभावित करते हैं.
हरनौत को बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार के गृहक्षेत्र के रूप में विशेष पहचान मिली है. उनका पैतृक गांव कल्याण बिगहा हरनौत से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यही वजह है कि उन्होंने जिन राजनीतिक दलों (लोक दल, समता पार्टी, जनता दल (यू)) का प्रतिनिधित्व किया, वे पिछले आठ विधानसभा चुनावों में हरनौत सीट पर अजेय रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि नीतीश कुमार को उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत में, 1977 और 1980 में हरनौत के मतदाताओं ने दो बार नकारा था, लेकिन बाद में उन्होंने यहीं से अपनी "आम से खास" की यात्रा शुरू की.
हरनौत विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1972 में हुई और 1977 में पहला चुनाव हुआ. यह एक सामान्य सीट है और नालंदा लोकसभा क्षेत्र के सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. हरनौत विधानसभा क्षेत्र में तीन विकास खंड–हरनौत, चंडी और नगरनौसा शामिल हैं. अब तक कुल 12 चुनावों में से तीन बार निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की, जबकि शेष सभी चुनाव नीतीश कुमार या उनकी पार्टी के उम्मीदवारों ने जीते हैं. किसी अन्य दल को आज तक यहां सफलता नहीं मिली है, जो इसे नीतीश कुमार का एक अभेद्य किला बना देता है. स्वयं नीतीश कुमार ने इस सीट से दो बार जीत और दो बार हार का अनुभव किया है.
2020 के विधानसभा चुनावों में हरनौत में कुल 3,08,138 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें अनुसूचित जातियों का प्रतिशत 24.15% था, जबकि मुस्लिम मतदाता मात्र 0.5% थे, जो इसे बिहार की 243 विधानसभा सीटों में सबसे कम मुस्लिम आबादी वाली सीट बनाता है. यह एक पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है, जहां शहरी मतदाता शून्य हैं. 2024 के लोकसभा चुनावों में यह संख्या बढ़कर 3,20,752 हो गई.
हालांकि, मतदान प्रतिशत लगातार कम रहा है- 2015 में 50.44%, 2019 लोकसभा चुनाव में 50.74% और 2020 में 51.99% ही रहा. इसका एक कारण यह भी है कि लोगों को यह विश्वास रहता है कि नीतीश कुमार या उनके उम्मीदवार की जीत तय है.
इसके बावजूद, जदयू के हरी नारायण सिंह ने हरनौत सीट पर 2010 में 15,042, 2015 में 14,295, और 2020 में 27,241 वोटों से जीत हासिल की. लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) हर बार दूसरे स्थान पर रही, जबकि 2020 में कांग्रेस, जो राजद नीत महागठबंधन के तहत चुनाव लड़ी थी, मात्र 13.3% वोट के साथ तीसरे स्थान पर रही.
अब जब लोजपा एनडीए का हिस्सा बन चुकी है, तो वह हरनौत से अपना उम्मीदवार उतारने की संभावना नहीं रखती. इसके अलावा, जदयू ने लोकसभा चुनावों में भी इस क्षेत्र में बड़ी बढ़त हासिल की है जिसमें 2024 में 31,656 वोट, 2019 में 40,535 वोट, और 2014 में 19,705 वोटों की लीड शामिल है.
(अजय झा)