बिहार के औरंगाबाद जिले का दूसरा सबसे बड़ा नगर रफीगंज, 19वीं सदी के जमींदार रफिउद्दीन अहमद के नाम पर बसा. धवा नदी के किनारे स्थित इस बस्ती को उन्होंने अनाज के गोदाम बना कर व्यापारिक केंद्र में तब्दील किया. 1880 के दशक में ईस्ट इंडियन रेलवे लाइन के विस्तार पर रफिउद्दीन ने स्टेशन के लिए जमीन दान दी और अनाज के पहले गोदाम खड़े किए. रेलवे के अभिलेखों
में दर्ज “रफी का गंज” 1892 तक “रफीगंज” हो गया. कभी अनाज और अफीम से भरे, आज भी पुराने रेलवे क्वार्टर का गोदाम चुनावी पोस्टरों से पटे मिलते हैं.
क्षेत्र का सांस्कृतिक हृदय 15वीं सदी की पीर बाबा दरगाह है, जहां सभी धर्मों के किसान बारिश के लिए मन्नत के धागे बांधते हैं. यह दरगाह चिश्ती सूफी संत हजरत सैयद शाह मखदूम अली (1390‑1465) को समर्पित है, जो बगदाद से आए और शेरशाह सूरी के बाद सूफी परम्पराओं के जरिए इस्लामी शिक्षा फैलाने वाले अफगान व्यापारियों के दौर में मगध में बस गए. राजनेता भी चुनावी मुहिम की शुरुआत यहीं आशीर्वाद लेकर करते हैं. शेरशाह के ‘गुप्त खजाने’ की किस्सागोई अब ‘रफीगंज की दबे हुए संभावनाओं’ की राजनीतिक उपमा बन गई है.
387.58 वर्ग किमी के इस प्रखण्ड में 2011 जनगणना के अनुसार 3,12,367 लोग और जनघनत्व 806 प्रति वर्ग किमी है. कुल 46,192 घरों में से 5,389 शहरी और 40,803 ग्रामीण हैं. औसत परिवार का आकार 6.76 व्यक्ति है. 216 गांवों में 93 की आबादी 1,000 से कम और 81 की 1,000‑2,000 के बीच है.
1951 में स्थापित रफीगंज विधानसभा क्षेत्र, औरंगाबाद लोकसभा सीट के छह खंडों में एक है. अब तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने छह बार, RJD और JD(U) ने तीन‑तीन बार (जद(यू) में विलय से पहले समता पार्टी सहित) जीत दर्ज की. तो वहीं जनता पार्टी दो बार तथा स्वतंत्र पार्टी, CPI और भारतीय जन संघ ने एक‑एक बार जीत दर्ज की.
2011 की जनगणना के अनुसार यह सामान्य सीट है, पर अनुसूचित जाति मतदाता 27.1% और मुस्लिम मतदाता 14.3% हैं. क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण वोटर ही हैं, सिर्फ 7.54% शहरी वोटर हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में 3,30,654 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 लोकसभा में बढ़कर 3,39,817 हो गए. 2020 में मात्र 56.08% मतदान हुआ, यानी 43.92% ने भाग नहीं लिया.
2020 में RJD के मोहम्मद निहालुद्दीन ने LJP‑समर्थित निर्दलीय प्रमोद कुमार सिंह को 9,429 वोट से हराया; JD(U) के दो‑बार के पूर्व विधायक अशोक कुमार सिंह आधे मतों पर सिमट गए. 2024 लोकसभा में भी रफीगंज विधानसभा खंड पर RJD ने BJP पर 19,786 वोट की बढ़त बनाई. ये आंकड़े संकेत देते हैं कि 2025 में NDA को रणनीति और शायद उम्मीदवार, दोनों पर पुनर्विचार करना होगा, ताकि मतदाताओं का विश्वास वापस जीता जा सके और RJD की मजबूत पकड़ को चुनौती दी जा सके.
(अजय झा)