बिक्रम, बिहार के पटना जिले का एक प्रखंड है और यह पाटलिपुत्र लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाला एक विधानसभा क्षेत्र भी है. यह पटना से लगभग 36 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है और पालीगंज अनुमंडल के अंतर्गत आता है. यह क्षेत्र पटना और भोजपुर जिलों की सीमा पर बसा है. यहां की प्रमुख भाषाएं मगही और भोजपुरी हैं, हालांकि हिंदी का भी व्यापक प्रयोग होता
है.
बिक्रम क्षेत्र की भूमि समतल है और यहां की मिट्टी सोन नदी द्वारा उपजाऊ बनी रहती है, जो पास से बहती हुई गंगा नदी में मिल जाती है. इस कारण यह क्षेत्र कृषि के लिए अत्यंत उपयुक्त माना जाता है.
पटना के निकट होने के कारण बिक्रम का इतिहास प्राचीन पाटलिपुत्र से जुड़ा हुआ है, जो मौर्य और गुप्त साम्राज्यों की राजधानी रहा है (322 ई.पू. से 240 ई. के बीच). हालांकि, स्वयं बिक्रम का विस्तृत दस्तावेजी इतिहास उपलब्ध नहीं है.
विधानसभा क्षेत्र में बिक्रम और नौबतपुर प्रखंड शामिल हैं, साथ ही बिहटा प्रखंड के कई ग्राम पंचायत भी आते हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, बिक्रम प्रखंड की कुल जनसंख्या 1,69,510 थी, जिनमें 22,486 शहरी और 1,47,024 ग्रामीण निवासी थे. यहां का लिंगानुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 916 महिलाएं था, और जनसंख्या घनत्व 1,138 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर रहा. साक्षरता दर 59.83% थी, जिसमें पुरुषों की साक्षरता 68.61% और महिलाओं की 50.25% थी.
नौबतपुर, जो पटना से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर है, तेजी से शहरीकरण की ओर बढ़ रहा है. यहां की कुल जनसंख्या 2011 में 2,03,594 थी, जिसमें 25,011 शहरी और 1,78,583 ग्रामीण हैं. लिंगानुपात यहां 900 और जनसंख्या घनत्व 1,230 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी रहा. राजधानी के निकट होते हुए भी साक्षरता दर मात्र 56.40% थी, जिसमें पुरुष 64.88% और महिला 46.99% साक्षर है. शहरीकरण के चलते यह आंकड़े 2011 के बाद काफी बदल चुके होंगे.
बिक्रम विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1957 में भारत के दूसरे आम चुनावों के दौरान हुई थी. तब से अब तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं. इनमें कांग्रेस ने 6 बार जीत दर्ज की है, जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने 1980 से 1995 के बीच लगातार 4 बार जीत हासिल की. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तीन बार यह सीट जीती है. इसके अलावा, भारतीय क्रांति दल, जनता पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी ने एक-एक बार जीत हासिल की.
दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस ने 2015 और 2020 में लगातार दो बार यह सीट जीती, लेकिन अब 2024 लोकसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ सौरव BJP में शामिल हो गए हैं. विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय लंबित होने के कारण, उन्हें दलबदल कानून के तहत अभी अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता, और जब तक नए चुनाव घोषित नहीं होते, यह मुद्दा निष्प्रभावी ही रहेगा.
सिद्धार्थ के BJP में शामिल होने से पूर्व BJP विधायक अनिल कुमार की संभावनाओं को बड़ा झटका लगा. अनिल कुमार 2005 और 2010 में यह सीट जीत चुके थे, लेकिन 2020 में बागी बनकर BJP के आधिकारिक प्रत्याशी अतुल कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ा, जिसमें अतुल को मात्र 8% वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे. अतुल कुमार की दोबारा उम्मीदवारी को तो खारिज कर दिया गया, लेकिन अनिल कुमार की पार्टी में वापसी और टिकट की उम्मीदें भी सिद्धार्थ के आगमन से समाप्त हो गईं. सिद्धार्थ ने 2015 में 44,311 और 2020 में 35,460 मतों से भारी जीत हासिल की थी. हालांकि, 2024 लोकसभा चुनाव में BJP को बिक्रम विधानसभा क्षेत्र में 4,730 वोटों से पीछे रहना पड़ा, जिससे उसकी बढ़त कुछ हद तक कम हो गई.
2020 के विधानसभा चुनावों में बिक्रम क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाता 20.51% और मुस्लिम मतदाता 5% थे. शहरी मतदाता कुल मतदाताओं का 11.05% रहे. उस समय कुल 3,08,429 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 58.59% ने मतदान किया. 2024 लोकसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 3,16,053 हो गई.
(अजय झा)