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चीन की दोस्ती सुसाइडल! पहले PAK पिटा, अब ईरान... मदद के नाम पर ड्रैगन की सिर्फ जुबानी जमाखर्ची

2025 में पाकिस्तान और ईरान ने चीन की दोस्ती पर भरोसा किया, लेकिन दोनों को भारी नुकसान उठाना पड़ा. पाकिस्तान को भारत के खिलाफ युद्ध में हार मिली, जहां चीनी हथियार नाकाम रहे. ईरान को इजरायल और अमेरिका के हमलों में 150-200 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ. चीन ने केवल बयान दिए.

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चीन के साथ दोस्ती करके पाकिस्तान और ईरान दोनों परेशान हैं. (फाइल फोटोः AFP/Reuters/AP)
चीन के साथ दोस्ती करके पाकिस्तान और ईरान दोनों परेशान हैं. (फाइल फोटोः AFP/Reuters/AP)

हाल के वर्षों में चीन ने मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए कई देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी की. पाकिस्तान और ईरान जैसे देशों को चीन ने बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन जब इन देशों पर संकट आया, तो चीन ने उन्हें अकेला छोड़ दिया. 2025 में इजरायल-ईरान युद्ध और भारत-पाकिस्तान तनाव ने यह साबित कर दिया कि चीन की दोस्ती केवल दिखावा है.

पाकिस्तान को भारत के हाथों सैन्य हार का सामना करना पड़ा. ईरान को इजरायल और अमेरिका के हमलों में भारी नुकसान हुआ. दोनों ही मामलों में चीन की ओर से कोई ठोस मदद नहीं मिली. आइए समझते हैं कि चीन की दोस्ती पाकिस्तान और ईरान के लिए नुकसानदायक साबित हुई? इसके क्षेत्रीय प्रभाव क्या हैं?

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Chinas friendship is suicidal

पाकिस्तान: चीन के खोखले समर्थन का शिकार

पाकिस्तान को लंबे समय से चीन का "आयरनक्लैड दोस्त" कहा जाता है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के तहत चीन ने पाकिस्तान में 62 बिलियन डॉलर का निवेश किया, जिसमें ग्वादर बंदरगाह और बुनियादी ढांचे शामिल हैं. चीन ने पाकिस्तान को सैन्य सहायता भी दी, जिसमें J-10C फाइटर जेट, एयर डिफेंस सिस्टम, और JF-17 थंडर विमान शामिल हैं. मई 2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा, जिसके बाद दोनों देशों ने युद्धविराम की घोषणा की. 

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2025 में पाकिस्तान की हार

  • भारत-पाकिस्तान तनाव: X पर @PNRai1 ने दावा किया कि भारत ने पाकिस्तान के कई हवाई अड्डों को नष्ट कर दिया, जिसमें चीन द्वारा दिए गए एयर डिफेंस सिस्टम पूरी तरह नाकाम रहे.
  • सैन्य कमजोरी: पाकिस्तान की J-10C जेट्स और HQ-9 वायु रक्षा प्रणालियां भारत के राफेल और S-400 के सामने बेकार साबित हुईं. X पर @PatakotaV ने लिखा कि चीन ने पाकिस्तान को हथियार दिए, लेकिन भारत के खिलाफ युद्ध में वे बेकार थे.
  • आर्थिक संकट: पाकिस्तान का CPEC परियोजना में भारी कर्ज बढ़ा. 2025 में उसका व्यापार घाटा 43 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जबकि ईरान के साथ व्यापार 2.4 बिलियन डॉलर था.
  • चीन का रवैया: भारत-पाकिस्तान युद्धविराम में चीन ने कोई भूमिका नहीं निभाई. पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष आसिम मुनीर ने अमेरिका के साथ गुप्त बातचीत की, जिसने चीन को नाराज किया. 

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चीन की नाकामी

पाकिस्तान को उम्मीद थी कि चीन सैन्य और कूटनीतिक समर्थन देगा, लेकिन चीन ने केवल शांति की अपील की. X पर @Hetal_Thakkar9 ने लिखा कि चीन ने पाकिस्तान को हथियार दिए, लेकिन वे भारत के सामने बेकार थे. इसने साबित किया कि चीन की सैन्य तकनीक और समर्थन विश्वसनीय नहीं है.

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ईरान: इजरायल-ईरान युद्ध में चीन का साथ नहीं

Chinas friendship is suicidal

2025 में 12-दिवसीय इजरायल-ईरान युद्ध ने ईरान को भारी नुकसान पहुंचाया. इजरायल ने ऑपरेशन राइजिंग लायन में ईरान के परमाणु ठिकानों (नतांज, फोर्डो, इस्फहान) और सैन्य अड्डों (पार्चिन, खोजिर) पर हमले किए. अमेरिका ने ऑपरेशन मिडनाइट हैमर में बी-2 बॉम्बर से हमले किए. ईरान ने जवाब में 450 मिसाइलें और 1000 ड्रोन इजरायल पर दागे, लेकिन आयरन डोम ने ज्यादातर को रोक लिया.

चीन-ईरान संबंध

  • रणनीतिक साझेदारी: 2021 में चीन और ईरान ने 25-वर्षीय रणनीतिक समझौता किया, जिसमें सैन्य, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग शामिल था.
  • तेल व्यापार: ईरान चीन को 90% तेल निर्यात करता है. चीन की बेल्ट एंड रोड पहल में ईरान महत्वपूर्ण है.
  • सैन्य सहायता: जनवरी 2025 में चीन ने ईरान को 1000 टन सोडियम परक्लोरेट भेजा, जिससे 260 खैबर शेकन मिसाइलें बन सकती थीं.

युद्ध में चीन की निष्क्रियता

सैन्य समर्थन नहीं: व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलिन लेविट ने कहा कि चीन ने ईरान को कोई सैन्य सहायता नहीं दी. चीन ने संकट में ईरान को अकेला छोड़ दिया. 

कूटनीतिक रवैया: चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस और पाकिस्तान के साथ मिलकर युद्धविराम का प्रस्ताव रखा, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की.

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एयर डिफेंस की नाकामी: ईरान की HQ-22 और S-300 वायु रक्षा प्रणालियां, जो चीन और रूस से ली गई थीं, इजरायली हमलों को रोकने में नाकाम रहीं. इजरायल ने ईरान के चीनी एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट कर दिया.

नागरिक निकासी: चीन ने अपने 3125 नागरिकों को ईरान से निकाला, जिससे उसकी प्राथमिकता साफ हो गई.

ईरान का नुकसान

  • जान-माल: ईरान में 657-800 लोग मारे गए, 1800-3056 घायल हुए. 150-200 बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ.
  • परमाणु कार्यक्रम: नतांज में 15000 सेंट्रीफ्यूज नष्ट हुए. फोर्डो को नुकसान पहुंचा.
  • सैन्य क्षमता: 21 IRGC कमांडर और 10 परमाणु वैज्ञानिक मारे गए.

पाकिस्तान-ईरान: चीन की दोस्ती का नतीजा

पाकिस्तान और ईरान दोनों ने चीन पर भरोसा किया, लेकिन संकट में चीन ने केवल बयानबाजी की. मॉडर्न डिप्लोमेसी की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल-ईरान युद्ध ने चीन की मध्य पूर्व में प्रभाव की कमी को उजागर किया.

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पाकिस्तान-ईरान संबंध

  • आर्थिक सहयोग: ईरान ने 2024-25 में पाकिस्तान को 2.4 बिलियन डॉलर के गैर-तेल सामान निर्यात किए, लेकिन पाकिस्तान का निर्यात केवल 43 मिलियन डॉलर था.
  • रणनीतिक समर्थन: पाकिस्तान ने इजरायली हमलों की निंदा की और ईरान के साथ सुरक्षा सहयोग बढ़ाने की बात कही।
  • संकट में एकता: पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियन से फोन पर बात की और समर्थन जताया.

चीन की रणनीति

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गैर-हस्तक्षेप नीति: टाइम मैगज़ीन के अनुसार, चीन ने हमेशा गैर-हस्तक्षेप नीति अपनाई, जिससे वह युद्धों में उलझने से बचता है.

आर्थिक स्वार्थ: चीन ने ईरान से सस्ता तेल खरीदा और पाकिस्तान में CPEC के जरिए प्रभाव बढ़ाया, लेकिन सैन्य समर्थन से दूरी बनाए रखी.

कूटनीतिक नाकामी: ब्लूमबर्ग के अनुसार, चीन ने ईरान को हथियार देने से इनकार किया, जैसा कि उसने रूस के साथ यूक्रेन युद्ध में किया.

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क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव

पाकिस्तान की स्थिति

  • अमेरिका के साथ तनाव: पाकिस्तान ने 21 जून को डोनाल्ड ट्रम्प को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया, लेकिन अगले दिन अमेरिकी हमलों की निंदा की.
  • आसिम मुनीर का विवाद: मुनीर की अमेरिका के साथ गुप्त बातचीत ने चीन और ईरान को नाराज किया.
  • आर्थिक संकट: पाकिस्तान का कर्ज बढ़ा. चीन की मदद सीमित रही.

ईरान की कमजोरी

सैन्य नुकसान: ईरान की वायु रक्षा और मिसाइल क्षमता कमजोर साबित हुई.

क्षेत्रीय अलगाव: हूती, हिजबुल्लाह और हमास जैसे सहयोगी नाकाम रहे.

आर्थिक झटका: स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज बंद करने की धमकी ने वैश्विक तेल कीमतों को प्रभावित किया, लेकिन ईरान को कोई फायदा नहीं हुआ.

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चीन की विश्वसनीयता

मध्य पूर्व में प्रभाव कम: FDD की रिपोर्ट के अनुसार, चीन की मध्य पूर्व में प्रभाव की कमी उजागर हुई.

वैश्विक आलोचना: X पर @justin17120565 ने लिखा कि ईरान ने चीन के साथ समझौता किया, लेकिन पश्चिमी देशों के साथ भी करीबी बढ़ाई, जिसने चीन को नाराज किया. 

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