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न सुसाइड नोट, न ही कोई सुराग... IIT कानपुर के हॉस्टल में तीन दिन तक पड़ा रहा धीरज का शव, किसी को नहीं लगी भनक

Kanpur News: कानपुर आईआईटी में 22 वर्षीय छात्र धीरज सैनी ने फाइनल ईयर में अपनी जान ले ली। सबसे दर्दनाक बात यह है कि शव तीन दिन तक कमरे में पड़ा रहा और किसी को भनक तक नहीं लगी। कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। यह घटना पिछले दो साल में सातवीं आत्महत्या है।

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IIT कानपुर के छात्र धीरज की आत्महत्या ने कई सवाल खड़े किए हैं. (Photo: ITG)
IIT कानपुर के छात्र धीरज की आत्महत्या ने कई सवाल खड़े किए हैं. (Photo: ITG)

आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) में बीटेक फाइनल ईयर के छात्र की आत्महत्या ने सबको झकझोर दिया. तीन दिन तक उसका शव हॉस्टल के कमरे में पड़ा रहा और किसी को भनक तक नहीं लगी. जब तेज बदबू आने लगी तक अगल-बगल के कमरे में रहने वाले छात्रों को वारदात के बारे में पता चला.

तीन दिन की अनकही घटना

हरियाणा के रहने वाले सतीश सैनी के बेटे धीरज सैनी, 22 वर्षीय बीटेक फाइनल ईयर का छात्र, केमिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई कर रहा था. वह आईआईटी कानपुर के हॉस्टल नंबर-1 में अकेले कमरे में रहता था. उसके कमरे से तेज बदबू आने लगी. पहले पास के कमरे में रहने वाले छात्रों ने कुछ सोचा, फिर जब बदबू और अधिक बढ़ गई तो उन्हें अंदेशा हुआ कि कुछ गंभीर है. हॉस्टल प्रशासन और पुलिस को सूचना दी गई. जब कमरे का दरवाजा खोला गया, तो सामने का दृश्य सबके होश उड़ा देने वाला था धीरज का शव पड़ा हुआ था और यह घटना कम से कम तीन दिन पहले हुई थी.

न सुसाइड नोट, न कोई सुराग

धीरज के कमरे में कोई भी सुसाइड नोट नहीं मिला. एसीपी रंजीत कुमार का कहना है कि प्रारंभिक अनुमान के अनुसार छात्र ने तीन दिन पहले अपनी जान ली होगी. पोस्टमार्टम के बाद ही मौत के कारण स्पष्ट होंगे. इस रहस्यमय अंत ने परिवार और सहपाठियों को हिला कर रख दिया. कोई नहीं जानता कि तीन दिन तक क्यों कोई हॉस्टल स्टाफ या साथी छात्र उसकी ओर ध्यान नहीं दे पाए.

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परिवार का दर्द

सतीश सैनी और उनके परिवार के लिए यह सदमे से कम नहीं. पिता सतीश बताते हैं, हमारे बेटे के साथ ऐसा हुआ और हमें इसका पता तीन दिन तक नहीं चला. उसने हमारी उम्मीदों और प्यार को लिए रखा, लेकिन उसकी मजबूरी और अकेलापन हमें पता ही नहीं चला.

दो साल में सातवीं आत्महत्या

धीरज की मौत पिछले दो साल में आईआईटी कानपुर में सातवीं छात्र आत्महत्या है. इन घटनाओं के बावजूद संस्थान का दावा है कि हर छात्र की काउंसलिंग की जाती है और उनकी निगरानी की जाती है.इलेकिन लगातार हो रही आत्महत्याएं दिखाती हैं कि काउंसलिंग और प्रशासनिक निगरानी केवल दावे तक ही सीमित रह गई हैं.

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