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भारत के 60% जिलों को अत्यधिक गर्मी और लू का भयानक खतरा!

भारत के 57% जिले, जहां 76% आबादी रहती है को अत्यधिक गर्मी और लू का खतरा है. नई दिल्ली में खतरा सबसे ज्यादा है. बढ़ती नमी और रात का तापमान स्वास्थ्य को और नुकसान पहुंचा रहे हैं. पिछले साल 40000 से ज्यादा हीटस्ट्रोक मामले और 110 मौतें हुईं. बेहतर योजना और जागरूकता की जरूरत है.

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गुरुग्राम में तेज धूप से बचने के लिए दुपट्टा का सहारा लेती लड़कियां. (फाइल फोटोः PTI)
गुरुग्राम में तेज धूप से बचने के लिए दुपट्टा का सहारा लेती लड़कियां. (फाइल फोटोः PTI)

एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत के लगभग 60% जिलों को अत्यधिक गर्मी और लू का "उच्च से बहुत उच्च" खतरा है. इन जिलों में देश की तीन-चौथाई आबादी रहती है. इस गर्मी का असर रात के तापमान और बढ़ती नमी के कारण और भी खतरनाक हो गया है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है.

यह रिपोर्ट नई दिल्ली के काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) थिंक टैंक ने मंगलवार को प्रकाशित की. इस अध्ययन में जलवायु, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के डेटा का विश्लेषण करके एक हीट-रिस्क स्कोर बनाया गया.

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Extreme Heat

क्या कहता है अध्ययन?

भारत के 57% जिले, जहां देश की 76% आबादी रहती है को लू का बहुत ज्यादा खतरा है. खासकर राजधानी नई दिल्ली में यह खतरा सबसे अधिक है. उत्तर भारत के कई हिस्सों में इस समय भीषण गर्मी और लू की स्थिति बनी हुई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि मानव गतिविधियों के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन ने इस समस्या को और गंभीर कर दिया है. 

नमी और रात का तापमान बढ़ा रहा खतरा

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उत्तर भारत में, खासकर उन इलाकों में जो पहले सूखे थे, नमी का स्तर बढ़ रहा है. ज्यादा नमी के कारण पसीना जल्दी नहीं सूखता, जिससे शरीर को गर्मी से राहत मिलना मुश्किल हो जाता है. इससे गर्मी का असर और खतरनाक हो जाता है. खासकर रात के समय तापमान में कमी नहीं आ रही, जिससे लोगों को ठंडक नहीं मिल पा रही. 

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पिछले साल का हाल

पिछले साल 1 मार्च से 18 जून के बीच, भारत में 40000 से ज्यादा संदिग्ध हीटस्ट्रोक के मामले सामने आए. कम से कम 110 लोगों की मौत की पुष्टि हुई. उत्तर-पश्चिम और पूर्वी भारत में लू के दिन सामान्य से दोगुने से ज्यादा थे. 

क्या करें?

अध्ययन में कुछ सुझाव दिए गए हैं ताकि गर्मी के इस खतरे से बचा जा सके...

  • बेहतर योजना: गर्मी के जोखिम की योजना बनाते समय नमी और आबादी जैसे कारकों को ध्यान में रखना चाहिए.
  • हीट एक्शन प्लान: सभी राज्यों के लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाया जाए ताकि वे एक-दूसरे से सीख सकें.
  • जागरूकता और संसाधन: गर्मी से बचने के लिए स्थानीय स्तर पर बेहतर योजनाएं और संसाधन उपलब्ध कराए जाएं.

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क्यों है चिंता?

गर्मी की लू न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि यह अर्थव्यवस्था और रोजमर्रा की जिंदगी को भी प्रभावित करती है. खासकर गरीब परिवारों को, जिनके पास पानी और ठंडक के साधन कम हैं. इस गर्मी का सामना करना मुश्किल होता है. बाहर काम करने वाले मजदूरों को बार-बार आराम करना पड़ता है, जिससे उनकी कमाई पर असर पड़ता है. 

यह अध्ययन बताता है कि भारत को गर्मी की लू से निपटने के लिए तुरंत और बेहतर कदम उठाने की जरूरत है. खासकर शहरों में, जहां आबादी ज्यादा है और इमारतें घनी हैं. वहां गर्मी का असर ज्यादा है. दूसरी ओर, ओडिशा जैसे इलाकों में, जहां हरे-भरे जंगल और जल स्रोत हैं, गर्मी का असर कम है. सरकार और स्थानीय प्रशासन को मिलकर ऐसी योजनाएं बनानी होंगी जो लोगों को इस बढ़ती गर्मी से बचा सकें. 

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