पृथ्वी के वायुमंडल के नीचे और उसके ऊपर होने वाली सभी प्राकृतिक और मानवनिर्मित घटनाओं की वैज्ञानिक खबरें. अंतरिक्ष, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदा, स्वास्थ्य संबंधी रिसर्च, नदी, ग्लेशियर, पहाड़, पर्यावरण, वन्य जीव, जैव विविधता, मौसम, ऊर्जा, जेनेटिक्स. कुछ भी हो. यहां होने वाले बदलाव, उनसे होने वाले असर. इंसानों की वजह से बदल रहा मौसम या बदला लेती धरती. या बेवजह की बाढ़ या ग्लेशियर के टूटने से आई आपदा. हर खबर पर पैनी नजर. आपको मिलेगी यहां साइंस की स्टोरी, एनालिसिस, फोटो गैलरी, विजुअल स्टोरी और वीडियो.
सुमात्रा में चक्रवात सेन्यार की बाढ़ और भूस्खलन से दुनिया के सबसे दुर्लभ तपनुली ओरंगुटान गायब हो गए. 800 से कम बचे इन बंदरों में से 35-50 मरने का अनुमान. एक मृत शव मिला है. जंगल के 7200 हेक्टेयर नष्ट हो चुके है. इस प्रजाति के लिए विलुप्ति होने का खतरा है. संरक्षण की तुरंत जरूरत है.
1965 में सीआईए ने नंदा देवी चोटी पर चीन की जासूसी के लिए प्लूटोनियम से चलने वाला न्यूक्लियर जनरेटर लगाने की कोशिश की. बर्फीले तूफान में उपकरण छोड़ना पड़ा. हिमस्खलन ने इसे बहा लिया. आज भी गायब है. गंगा के स्रोतों में प्रदूषण का खतरा बना हुआ है. अमेरिका चुप है, भारत में चिंता बढ़ रही है.
दिल्ली-NCR में सर्दियों का प्रदूषण अदृश्य महामारी बन चुका है. PM2.5 जैसे बारीक कण फेफड़े, दिल, दिमाग को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे हर साल लाखों मौतें होती हैं. ये भारत का सबसे बड़ा स्वास्थ्य खतरा है. अरबों रुपये का आर्थिक नुकसान भी है. मौसम के बदलने से कभी सुधार होता है, लेकिन फिर वही हालत हो जाती है. क्या करें सरकार, समाज और हम?
मोदी सरकार परमाणु ऊर्जा विधेयक 2025 ला रही है, जो 1962 के कानून में बदलाव कर सरकार का एकाधिकार खत्म करेगा. प्राइवेट कंपनियां आएंगी. SMR में पूंजी लगाएंगी. बिजली बेचेंगी. सरकार सुरक्षा और संचालन संभालेगी. 2047 तक 8 GW से 100 GW क्षमता ऊर्जा के लिए 15-19 लाख करोड़ की जरूरत पूरी होगी.
तुर्की के कोन्या इलाके में भयंकर सूखे और भूजल के ज्यादा दोहन से करीब 700 ओब्रुक (सिंकहोल) बन चुके हैं. ये विशाल गड्ढे खेतों को निगल रहे हैं. किसानों की जिंदगी खतरे में डाल रहे हैं. नए ओब्रुक लगातार बन रहे हैं, जो क्लाइमेट चेंज की बड़ी चेतावनी है. सरकार रिस्क मैप बना रही है, लेकिन समस्या गंभीर बनी हुई है.
दुनिया में सबसे महंगा न सोना है न हीरा. एक चीज ऐसी है जिसकी कीमत बहुत ज्यादा है. अगर ये एक ग्राम मिल जाए तो पूरे भारत को 10-12 दिन बिजली सप्लाई हो सकती है. एक ग्राम 4 हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम के बराबर ऊर्जा रखता है. इसकी कीमत है- 62.5 लाख करोड़ रुपए प्रति ग्राम.
जापान की मेगाक्वेक चेतावनी से हिमालय में 'महान भूकंप' की चर्चा तेज हो गई है. वैज्ञानिक बताते हैं कि छोटे भूकंपों से दबाव निकाल रहे हैं इसलिए अभी खतरा नहीं. लेकिन नया सीस्मिक मैप पूरे हिमालय को जोन VI में डाला गया है. भारत तैयारी बढ़ा रहा – मजबूत इमारतें, अर्ली वॉर्निंग को लेकर काम चल रहा है.
दिल्ली-एनसीआर के पॉल्युशन में इस बार पराली का योगदान सिर्फ 5-22% रहा, फिर भी नवंबर भर AQI गंभीर रहा. CSE की रिपोर्ट के मुताबिक PM2.5 के साथ NO2 और CO का जहरीला मिश्रण बढ़ा है. नए हॉटस्पॉट बने हैं. छोटे शहर भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. प्रदूषण के लिए लोकल स्रोत (वाहन, उद्योग, कचरा) अब 85% जिम्मेदार हैं. छोटे कदम नहीं चलेंगे; इलेक्ट्रिक वाहन, साफ ईंधन और बड़े सुधार तुरंत चाहिए.
यहां कुछ ही मिनट रुकें तो अपने ही दिल की धड़कन सुनाई देने लगेगी. चलने पर हड्डियों का चटखना सुन सकेंगे. यहां तक कि खून का बहना भी सुनाई दे सकता है. अमेरिका के वॉशिंगटन में दुनिया की सबसे शांत जगह है. एनेकॉइक चेंबर कहलाते इस कमरे में कोई भी ज्यादा देर नहीं टिक पाता.
30 साल में सुंदरबन के भंगादूनी और जम्बूद्वीप समुद्र में गायब हो गए. समुद्र स्तर बढ़ने, मैन्ग्रूव कटाई और जलवायु परिवर्तन ने 23 वर्ग किमी जमीन निगल ली. 2050 तक सुंदरबन के 15% द्वीप डूबेंगे. 45 लाख लोग बेघर होंगे. मुंबई, चेन्नई, कोच्चि भी खतरे में हैं. मैन्ग्रूव बचाना होगा नहीं तो पूरा तट डूब जाएगा.
30 साल में समंदर निगल गया सुंदरबन के दो आइलैंड, अब इन शहरों को खतरा
जेम्स वेब टेलीस्कोप ने कॉस्मिक वाइन नाम की 130 लाख प्रकाश-वर्ष लंबी गैलेक्सी चेन खोजी. इसमें 20 युवा गैलेक्सियां जुड़ी हैं. यह बिग बैंग के सिर्फ 1.8 अरब साल बाद बनी थी. इतनी बड़ी संरचना उस समय बननी असंभव मानी जाती थी. वैज्ञानिकों की पुरानी थ्योरी गलत साबित हुई. ब्रह्मांड पहले से कहीं तेजी से बढ़ा था.
इंडोनेशिया के सुमात्रा में भयंकर बाढ़ से 950 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. 274 लापता हैं. अचे प्रांत में हाथियों के जरिए जंगल से आए लकड़ी के लठ्ठों को हटाया जा रहा है. हफ्तों की बारिश ने गांव-शहर डुबो दिए. जंगल कटने से आई इस तबाही में मदद करने के लिए जंगली हाथी की मदद लेनी पड़ी.
हिमाचल, केरल, उत्तराखंड, इंडोनेशिया, हैती… जहां-जहां जंगल काटे गए, वहां बाढ़-भूस्खलन ने हजारों जिंदगियां लील लीं. पेड़ों की जड़ें मिट्टी को बांधती हैं. पानी सोखती हैं. बादल बनाती हैं. जंगल गए तो पहाड़ ढह गए. विज्ञान और बुजुर्ग एक ही बात कहते हैं- जंगल है तो जीवन है. अब भी नहीं चेते तो अगली बाढ़ हमारा इंतजार कर रही है.
चीन-जापान के फाइटर जेट एक-दूसरे पर फायर कंट्रोल रडार लॉक कर रहे हैं. यह मिसाइल दागने से ठीक एक कदम पहले की कार्रवाई है. 2025 में 300 से ज्यादा बार हुआ, सबसे करीब 18 किमी पर. एक गलती हुई तो मिनटों में बड़ा युद्ध शुरू हो सकता है. यह हवा में बंदूक तानने जैसा खतरनाक खेल है.
दक्षिण अफ्रीका में 60,000 से ज्यादा अफ्रीकी पेंग्विन भूख से मर गए. मुख्य वजह है सारडीन मछली का गायब होना. जलवायु परिवर्तन और ज्यादा मछली पकड़ने से दो बड़े कॉलोनियों में 95% पेंगुइन खत्म हो गई है. अब सिर्फ 10,000 प्रजनन करने वाले जोड़े बचे है. प्रजाति गंभीर रूप से संकटग्रस्त है. मछली पकड़ने पर बैन और कृत्रिम घोंसले बनाकर इन्हें बचाने की कोशिश की जा रही है.
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रूस और भारत ने फैसला किया है कि अपने नए अंतरिक्ष स्टेशन ROS और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) एक ही 51.6° कक्षा में रखेंगे. इससे दोनों देशों के अंतरिक्ष यात्री आसानी से एक-दूसरे के स्टेशन पर जा सकेंगे. रोस्कोस्मोस प्रमुख दमित्री बकानोव ने यह घोषणा की.
Space में भी दिखेगा India-Russia का याराना, एक ही ऑर्बिट में रहेगा दोनों का नया स्पेस स्टेशन
कश्मीर में इस बार बर्फ नहीं गिरी, ठंड तो है पर भालू सो (हाइबरनेट) नहीं पा रहे. भूखे हिमालयी काले भालू जंगलों से निकलकर गांवों-शहरों में घुस रहे हैं. नवंबर में रिकॉर्ड 50 भालू पकड़े गए. ग्लोबल वार्मिंग से मौसम बदला गया है. जंगल में खाना कम हुआ, इसलिए भालू इंसानी इलाकों में आ रहे हैं. अब श्रीनगर भी भालुओं का नया ठिकाना बनता जा रहा है.
सुमात्रा में साइक्लोन सेन्यार ने 836 लोगों की जान ली. 40 साल में 74% जंगल कट चुके हैं, खासतौर से पाम ऑयल और कागज उद्योग के लिए. बारिश में बिना जड़ों वाली मिट्टी खिसकी. कटे लट्ठे बहकर घर तोड़ते चले गए. जंगल होते तो यह तबाही 70% तक कम होती.