पृथ्वी के वायुमंडल के नीचे और उसके ऊपर होने वाली सभी प्राकृतिक और मानवनिर्मित घटनाओं की वैज्ञानिक खबरें. अंतरिक्ष, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदा, स्वास्थ्य संबंधी रिसर्च, नदी, ग्लेशियर, पहाड़, पर्यावरण, वन्य जीव, जैव विविधता, मौसम, ऊर्जा, जेनेटिक्स. कुछ भी हो. यहां होने वाले बदलाव, उनसे होने वाले असर. इंसानों की वजह से बदल रहा मौसम या बदला लेती धरती. या बेवजह की बाढ़ या ग्लेशियर के टूटने से आई आपदा. हर खबर पर पैनी नजर. आपको मिलेगी यहां साइंस की स्टोरी, एनालिसिस, फोटो गैलरी, विजुअल स्टोरी और वीडियो.
11 अप्रैल 1984 को राकेश शर्मा सोयुज T-10 के गोलाकार डिसेंट कैप्सूल (2.2 मीटर व्यास, 2950 किलो) में कजाकिस्तान में सुरक्षित उतरे. 1650°C गर्मी, 7.5G दबाव सहते हुए पैराशूट और रेट्रो रॉकेट से लैंडिंग हुई. यही कैप्सूल भारत की अंतरिक्ष यात्रा का पहला कदम था. आज वह रूस में संरक्षित है. दिल्ली के नेहरू प्लेनेटेरियम इसकी 1:1 अनुपात का रेप्लिका रखा है.
रूस ने भारत के साथ आर्कटिक-क्लास जहाजों का संयुक्त उत्पादन करने का प्रस्ताव दिया है. ये जहाज 2-3 मीटर मोटी बर्फ तोड़कर साल भर उत्तरी समुद्री मार्ग पर चल सकेंगे. टैंकर, एलएनजी कैरियर और कंटेनर जहाज बनाए जाएंगे. इससे भारत को सस्ता-तेज़ व्यापार मार्ग और नई तकनीक मिलेगी. दोनों देशों के बीच यह नया रणनीतिक कदम माना जा रहा है.
11 साल बाद MH370 की नई तलाश 30 दिसंबर 2025 से शुरू होगी. ओशन इन्फिनिटी कंपनी 15,000 वर्ग किमी क्षेत्र में विमान को ढूंढेगी. मलबा मिला तो मलेशिया सरकार 600 करोड़ रुपये देगी. अब तक पायलट सुसाइड, अमेरिकी-रूसी साजिश, एलियन किडनैपिंग जैसी थ्योरीज चर्चा में रहीं, लेकिन कोई पुख्ता सबूत नहीं है. परिवारों को अभी भी जवाब का इंतजार है.
रूस ने इसरो को RD-191M सेमी-क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन की 100% तकनीक दे सकता है. LVM3 रॉकेट में इस्तेमाल होने से GTO पेलोड 4.2 टन से बढ़कर 6.5-7 टन हो जाएगा. भारत में ही बनेगा यह इंजन. गगनयान व भारी उपग्रह मिशनों को बड़ा बढ़ावा मिलेगा.
इंसान और अन्या जीवों के मरने के बाद भी कुछ कोशिकाएं जिंदा रहती हैं. नई जिंदगी शुरू कर देती हैं. मेंढक की मरी हुई त्वचा कोशिकाएं 'जेनोबॉट' बनकर खुद चलती-फिरती हैं. घाव भरती हैं. अपने जैसे नए जेनोबॉट बनाती हैं. इंसान के मरे फेफड़ों की कोशिकाएं 'एंथ्रोबॉट' बनकर नसें ठीक करती हैं. वैज्ञानिक इसे 'थर्ड स्टेट' कहते हैं – न पूरी तरह जिंदा, न मुर्दा.
4–5 दिसंबर को साल का आखिरी Cold Supermoon अपने सबसे बड़े और चमकीले रूप में दिखेगा. जानें समय, दिशा, लोकेशन और इसका वैज्ञानिक कारण.
4-5 दिसंबर को 2025 का आखिरी पूर्ण चांद 'कोल्ड सुपरमून' निकलेगा. शाम 7 बजे पूर्व में बड़ा-चमकदार चांद दिखेगा. पूरे साल का सबसे ऊंचा चांद होगा क्योंकि सूरज सबसे नीचा है. धरती के करीब होने से 10% बड़ा लगेगा. साफ आसमान रहा तो बिना दूरबीन कमाल का नजारा.
पुतिन के दौरे में रूस-भारत SMR डील पक्की हो सकती है. छोटे मॉड्यूलर न्यूक्लियर रिएक्टर (50-300 MW) फैक्ट्री में बनेंगे. एक रिएक्टर पूरा छोटा शहर रोशन कर सकता है. 2-3 साल में तैयार हो जाएगा. ये सस्ते और 100% सुरक्षित हैं. भारत में ही बनेंगे. टेक्नोलॉजी ट्रांसफर होगा. 2033 तक 5 रिएक्टर चालू करने की योजना है. बिजली क्रांति आने वाली है.
एअर इंडिया का A320 विमान नवंबर में आठ बार बिना जरूरी सुरक्षा प्रमाण-पत्र (ARC) के उड़ता रहा. 8 कॉमर्शियल उड़ानें भरीं. गलती का पता खुद कंपनी को चला, DGCA को बताया. विमान ग्राउंडेड है. सभी जिम्मेदार कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया. दोनों तरफ जांच चल रही है.
अमेरिका के उत्तर-पूर्वी इलाकों में सदी में एक बार आने वाली भयंकर बाढ़ अब हर साल आएगी. समुद्र का बढ़ता जलस्तर और तेज होते तूफान इसके जिम्मेदार हैं. नई रिसर्च कहती है कि 2100 तक न्यूयॉर्क-बोस्टन जैसे शहरों में हर साल बाढ़ आएगी. हमें अभी कार्बन उत्सर्जन कम करना होगा वरना तबाही तय है.
सेलिब्रिटी अपने पालतू कुत्ते-बिल्लियों को क्लोन करवा रहे हैं, लेकिन वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं. क्लोन दिखने में थोड़ा मिलता है पर स्वभाव बिलकुल अलग होता है. बीमारियां भी आ सकती हैं. क्लोन कराने में करीब 40-50 लाख लगते हैं. सफलता का चांस सिर्फ 16% होता है.
चक्रवात दित्वाह ने श्रीलंका में 390+ लोगों की जान ली. 10 लाख लोगों को प्रभावित किया और 20 साल की सबसे भयानक बाढ़ लेकर आया. अब तमिलनाडु-चेन्नई में भारी बारिश से 3 मौतें हो चुकी हैं. सैकड़ों उड़ानें रद्द हुई है. जलवायु परिवर्तन से ऐसे चक्रवात, टाइफून और हरिकेन तेज व घातक हो रहे हैं.
चीन ने रोबोट आर्मी बनाने का फैसला किया है जो वियतनाम की सीमा पर असली जवानों की जगह तैनात की जाएगी. इस कदम ने दुनिया में एक नई बहस को जन्म दिया है कि क्या भविष्य की सेनाओं में मनुष्यों के बजाय रोबोट मुख्य भूमिका निभाएंगे. चीन का यह निर्णय युद्ध तकनीक और सुरक्षा रणनीतियों में बड़ा बदलाव ला सकता है.
नई दिल्ली में जियोस्मार्ट इंडिया 2025 शुरू हो गया है. इस बार की थीम है- एक राष्ट्र, एक नक्शा. CXO समिट में सरकार-उद्योग के बड़े नेता शामिल हुए. भारत अब विदेशी डेटा पर कम निर्भर है. स्वदेशी तकनीक से किसान, शहर और आपदा प्रबंधन में क्रांति ला रहा है. 4 दिन तक 100+ सेशन, नई तकनीक प्रदर्शनी और लाइव डेमो होंगे.
100 साल बाद इंसान ज्यादा लंबा, लचीला और मोटा होगा. हड्डियां शार्क जैसी, दांत चोंच जैसे होंगे. फेफड़े मंगल के लिए तैयार किए जाएंगे. दिमाग कंप्यूटर से जुड़ेगा. यादें डाउनलोड होंगी. त्वचा गिरगिट जैसी रंग बदलेगी. हम गर्मी सहेंगे, जेनेटिक बीमारियां खत्म होंगी और अमरता के करीब पहुंचेंगे. टेक्नोलॉजी व बायोलॉजी मिलकर नया इंसान बनाएंगी.
CSE की नई रिपोर्ट कहती है कि इस साल प्रदूषण फैलाने में पराली का योगदान सिर्फ 5-22% रहा, फिर भी दिल्ली-NCR का AQI बहुत खराब-गंभीर है. PM2.5 के साथ NO₂ और CO का जहरीला मिश्रण बढ़ा. मुख्य वजह गाड़ियां और स्थानीय स्रोत. प्रदूषण के हॉटस्पॉट बढ़े. छोटे शहरों में स्मॉग ज्यादा हो रहा है. लंबे ट्रेंड में कोई सुधार नहीं. अब गाड़ी, इंडस्ट्री, कचरे पर बड़े कदम जरूरी.
दुनिया का मौसम इस समय पूरी तरह बेकाबू हो चुका है. जमीन से 20-30 km ऊपर बहने वाली हवा यानी QBO नवंबर में ही पलट गई, जो आमतौर पर जनवरी-फरवरी में बदलती है. भारत समेत पूरी दुनिया पर 2025-26 में इसका भयंकर असर पड़ेगा. यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब भी बाढ़, ठंड और सूखे की दोहरी मार झेल रहे हैं. यह कोई स्थानीय मौसम नहीं, पूरा ग्लोबल सिस्टम टूटने की शुरुआत है.
भारत का नया भूकंप मैप (2025) आ गया है. इसमें नया जोन जोड़ा गया है. अब 5 जोन हैं, नया जोन VI हिमालय के लिए. 61% भारत अब मध्यम-उच्च खतरे में है. जानिए ये मैप क्यों बनाया गया और इसकी जरूरत क्यों पड़ी? क्या अब दिल्ली-NCR, देहरादून और अगरतला जैसे शहर ज्यादा खतरे में हैं.
भारत ने नया भूकंप खतरे का नक्शा जारी कर दिया है. अब देश का 61% हिस्सा मध्यम से बहुत ज्यादा खतरे में है. सबसे बड़ा बदलाव – पूरा हिमालय पहली बार सबसे ऊंचे जोन VI में डाला गया है. मध्य हिमालय में 200 साल से बड़ा भूकंप नहीं आया, इसलिए वहां बहुत दबाव जमा है. देहरादून, ऋषिकेश, दिल्ली-NCR जैसे इलाके अब और खतरनाक हो गए हैं.
ट्रंप ने खुलकर स्वीकार किया कि आइसब्रेकर जहाजों में अमेरिका रूस से बहुत पीछे है. उन्होंने कहा कि हमारे पास सिर्फ एक पुराना जहाज है, जबकि रूस के पास 43 हैं, जिनमें 8 परमाणु ऊर्जा से चलते हैं. यह स्थिति हास्यास्पद है. अमेरिका का एकमात्र भारी आइसब्रेकर पोलर स्टार 49 साल पुराना है.
मणिपुर में मिला 37000 साल पुराना कांटेदार बांस का जीवाश्म. एशिया का सबसे पुराना थॉर्नी बांस. हिमयुग में यूरोप से बांस खत्म हो गए थे, लेकिन मणिपुर में बचे रहे. यहां गर्म-नम मौसम ने बांस को पनाह दी. बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों की खोज. उत्तर-पूर्व भारत हिमयुग का जैव-विविधता आश्रय स्थल था.