JD(U)
IND
CPI(ML)(L)
JSP
Nota
NOTA
AAP
IND
RJSBP
BSP
IND
IND
JGJP
Sikta Chunav Results Live: सिकटा निर्वाचन क्षेत्र का रिजल्ट घोषित, Sammridh Varma ने 47144 वोटों के अंतर से दर्ज की जीत
Sikta Election Results 2025 Live: सिकटा विधानसभा सीट पर JD(U) ने फहराया परचम, जानें प्रत्याशी Sammridh Varma को मिली कितनी बड़ी जीत
Sikta Assembly Election Results Live: Bihar की Sikta सीट पर मुकाबला एकतरफा! JD(U) ने ली बड़ी बढ़त
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Sikta Assembly Election Result Live: सिकटा में IND पीछे, JD(U) आगे! जानें वोटों का अंतर कितना
सिकटा, बिहार के पश्चिम चंपारण जिले का एक प्रखंड है, जो वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. यह विधानसभा क्षेत्र सिकटा और मैना टांड़ प्रखंडों के साथ नरकटियागंज प्रखंड के बरवा बरौली, सोमगढ़ और भभता पंचायतों को मिलाकर बना है. यह पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है, जहां शहरी मतदाता नहीं हैं. नेपाल सीमा से सटा यह इलाका जिला मुख्यालय बेतिया से लगभग 45 किमी उत्तर-पश्चिम और राज्य की राजधानी पटना से करीब 275 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित है. नजदीकी कस्बों में नरकटियागंज (15 किमी दक्षिण-पूर्व), रामनगर (10 किमी उत्तर-पूर्व), बेतिया (45 किमी दक्षिण-पूर्व) और रक्सौल (65 किमी उत्तर-पूर्व) शामिल हैं. यहां सड़क संपर्क मध्यम है, जबकि रेलवे की सुविधा नरकटियागंज और सिकटा स्टेशन से उपलब्ध है.
1951 में स्थापित सिकटा विधानसभा क्षेत्र अब तक 18 बार चुनाव देख चुका है, जिनमें 1991 का उपचुनाव भी शामिल है. यहां के मतदाताओं ने लगभग सभी प्रमुख दलों को मौका दिया है, सिवाय राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के, जिसने केवल वर्ष 2000 में चुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहा. अब तक कांग्रेस ने छह बार, निर्दलीयों ने तीन बार और जनता दल ने दो बार जीत दर्ज की है. वहीं स्वतंत्र पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), चंपारण विकास पार्टी, भाजपा, समाजवादी पार्टी, जदयू और भाकपा (माले) ने एक-एक बार जीत हासिल की है.
यहां के चुनावी इतिहास में दल बदलू नेताओं का दबदबा रहा है. रईफुल आजम ने 1962 और 1967 में अलग-अलग दलों (स्वतंत्र पार्टी और कांग्रेस) से जीत हासिल की. फैयाजुल आजम ने कांग्रेस के टिकट पर दो बार (1972 और 1977) और 1990 में निर्दलीय के रूप में जीत दर्ज की. 1991 के उपचुनाव में दिलीप वर्मा विजयी रहे और इसके बाद उन्होंने पांच बार अलग-अलग दलों (निर्दलीय, चंपारण विकास पार्टी, भाजपा, समाजवादी पार्टी) से चुनाव जीता. 2015 में जदयू के फिरोज अहमद ने उन्हें 2,835 वोटों से हराया, जबकि 2020 में भाकपा (माले) के बिरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने वर्मा को 2,302 वोटों से मात दी.
सिकटा सीट पर जदयू और भाजपा के बीच खींचतान देखी जा सकती है. भाजपा समर्थक गुट दिलीप वर्मा की दो करीबी हार का हवाला देते हुए उन्हें फिर से उम्मीदवार बनाने का दबाव बना सकता है. दूसरी ओर, जदयू अपनी पकड़ इस आधार पर मजबूत मानता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में उसे सिकटा से 8,549 वोटों की बढ़त मिली थी.
साल 2020 में यहां 2,74,502 मतदाता पंजीकृत थे, जिनमें 82,899 मुस्लिम (30.20%), 37,689 अनुसूचित जाति (13.73%) और 3,306 अनुसूचित जनजाति (3.39%) शामिल थे. 2024 तक यह संख्या बढ़कर 2,89,162 हो गई. 2020 में यहां 62.03% मतदान हुआ, जो हाल के वर्षों में सबसे कम था लेकिन अन्य क्षेत्रों की तुलना में फिर भी अधिक माना जाता है.
आर्थिक दृष्टि से यह इलाका पूरी तरह कृषि पर आधारित है. धान यहां की मुख्य फसल है. इसके अलावा गेहूं, मक्का, दलहन, सरसों और जूट की भी खेती होती है. सब्जियों में बैंगन, भिंडी, टमाटर और लौकी जैसी फसलें उगाई जाती हैं. औद्योगिक गतिविधियां लगभग न के बराबर हैं, जिसके कारण रोजगार के अवसर सीमित हैं और युवाओं का पलायन आम है.
वर्तमान में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया, जिसके तहत फर्जी दस्तावेजों से बने मतदाताओं की पहचान की जा रही है, सिकटा की चुनावी तस्वीर बदल सकती है. इसका असर खासकर मुस्लिम वोटरों पर पड़ सकता है. यदि उनका वोट प्रतिशत घटता है, तो एनडीए को फायदा मिल सकता है, वहीं सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हिंदू वोटों को भी प्रभावित कर सकता है. इसके साथ ही जन सुराज पार्टी की मौजूदगी चुनाव को और अनिश्चित बना रही है.
कुल मिलाकर, 2025 के विधानसभा चुनाव में सिकटा एनडीए के लिए एक बेहद अहम और चुनौतीपूर्ण सीट बनी हुई है.
(अजय झा)
Dilip Varma
IND
Khurshid Urf Firoj Ahmad
JD(U)
Rijabaah Alias Rizwan Riyazi
AIMIM
Vinay Kumar Yadav
IND
Akhileshwar Prasad Alias Jhunu
BPCP
Wasi Ahmad
IND
Hardev Ram
IND
Ghausul Ajam
IND
Rajesh Paswan
PPI(D)
Tamana Khatun
PP
Mainuddin Alam
NCP
Nota
NOTA
Ramjee Prasad
IND
Malkhan Singh
JNC
Sandeep Patel
JAP
Aasma Khatoon
JSHD
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.