JD(U)
VIP
JSP
IND
IND
Nota
NOTA
JSJD
IND
AAP
RJSBP
IND
Bihar Election Result 2025 Live: केसरिया विधानसभा सीट पर JD(U) को दोबारा मिली जीत
Bihar Election Result 2025 Live: केसरिया विधानसभा सीट पर JD(U) को दोबारा मिली जीत
Kesaria Vidhan Sabha Result Live: केसरिया विधानसभा सीट पर JD(U) विशाल जीत की ओर! जानिए VIP कितना पीछे?
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
Kesaria Assembly Election Results Live: Bihar की Kesaria सीट पर मुकाबला एकतरफा! JD(U) ने ली बड़ी बढ़त
Kesaria Assembly Election Results Live: Bihar की Kesaria सीट पर मुकाबला एकतरफा! JD(U) ने ली बड़ी बढ़त
बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में स्थित केसरिया विधानसभा क्षेत्र पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट के तहत आने वाले छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. यह सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित सीट है और इसकी स्थापना 1951 में हुई थी. वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद इस क्षेत्र का पुनर्गठन किया गया, जिसके तहत केसरिया प्रखंड, संग्रामपुर प्रखंड के कुछ हिस्से और कल्याणपुर प्रखंड के कुछ भाग इसमें शामिल किए गए.
केसरिया का नाम केसरिया स्तूप के लिए प्रसिद्ध है, जिसे दुनिया का सबसे ऊंचा और प्राचीनतम बौद्ध स्तूप माना जाता है. यह स्थान भगवान बुद्ध की अंतिम यात्रा से जुड़ा हुआ है, जो इसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है.
केसरिया, मोतिहारी से लगभग 40 किलोमीटर दक्षिण और पटना से 110 किलोमीटर उत्तर में स्थित है. यह कल्याणपुर, संग्रामपुर और मेहसी जैसे कस्बों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है, जबकि सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन चकिया में है, जो करीब 25 किलोमीटर दूर है.
यह क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण है. यहां की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है, जहां धान, गेहूं और मक्का प्रमुख फसलें हैं. क्षेत्र में कोई बड़ा उद्योग नहीं है, लेकिन छोटे पैमाने का व्यापार और प्रवासी मजदूरों से प्राप्त धनराशि स्थानीय अर्थव्यवस्था को सहारा देती है. क्षेत्र में आधारभूत संरचना का विकास सीमित है और कई हिस्सों में सड़क संपर्क अब भी कमजोर है.
2020 के विधानसभा चुनाव में केसरिया में कुल 2,67,733 पंजीकृत मतदाता थे. यह संख्या 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 2,72,436 हो गई. चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 के बाद 1,936 मतदाता क्षेत्र से बाहर चले गए. पिछले कुछ चुनावों में मतदाता मतदान प्रतिशत 55% से 57% के बीच स्थिर रहा है.
सामाजिक संरचना में अनुसूचित जातियों की हिस्सेदारी लगभग 11.4% (30,522 मतदाता), अनुसूचित जनजातियों की 0.35% (937 मतदाता) और मुस्लिम समुदाय की 13.9% (37,215 मतदाता) है. कुल मतदाताओं में शहरी मतदाता केवल 5% से कम हैं.
1951 से अब तक केसरिया में 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इसमें सबसे ज्यादा बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने 6 बार, और कांग्रेस ने 4 बार जीत दर्ज की है. जनता दल (यूनाइटेड) ने अब तक 3 बार, जिसमें एक बार समता पार्टी के रूप में, जीत हासिल की है. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने 2 बार, जबकि जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एक-एक बार जीत दर्ज की है.
हाल के चुनाव बहुकोणीय मुकाबलों से भरे रहे हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू की शालिनी मिश्रा ने राजद के संतोष कुशवाहा को 9,227 वोटों के अंतर से हराकर जीत हासिल की थी. लोजपा और रालोसपा ने भी उल्लेखनीय वोट प्राप्त किए थे. वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के राधामोहन सिंह ने केसरिया विधानसभा क्षेत्र में विपक्षी INDI गठबंधन के उम्मीदवार राजेश कुमार (VIP) को 20,892 वोटों से हराया था.
केसरिया विधानसभा क्षेत्र की एक विशेषता यह रही है कि यह स्पष्ट जनादेश देता है. 2020 में 9,227 वोटों का अंतर पिछले चार लोकसभा और तीन विधानसभा चुनावों में सबसे कम अंतर था.
जैसे-जैसे 2025 के विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, NDA गठबंधन केसरिया में बढ़त की स्थिति में नजर आ रहा है. हालांकि राजद-कांग्रेस गठबंधन अभी भी प्रतिस्पर्धा में बना हुआ है, लेकिन उन्हें जीत के लिए अपने वोट बैंक को और मजबूत करना होगा. प्रशांत किशोर द्वारा स्थापित जन सुराज पार्टी भी कुछ क्षेत्रों में प्रभाव डाल सकती है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इसका असर किस दल के वोट बैंक पर पड़ेगा.
(अजय झा)
Santosh Kushwaha
RJD
Ram Sharn Prasad Yadav
LJP
Maheshwar Singh
RLSP
Rajesh Kumar
IND
Rajanish Kumar Pathak
JAP(L)
Ravindra Kumar Berwar
IND
Amrendra Kumar Verma
IND
Abhay Kumar Singh
BSP
Ram Adhar Rai
BND
Rajesh Yadav
IND
Nota
NOTA
Azharuddin Khan
JSHD
Brajesh Mishra
HSJP
Anu Vivek
PP
Ambesh Kumar Yadav
RJWP(S)
Krishna Kumar Jaiswal
RSSD
Varun Vijay
IND
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.