INC
BJP
JSP
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LJSWP
IND
Chanpatia Chunav Results Live: चनपटिया निर्वाचन क्षेत्र का रिजल्ट घोषित, Abhishek Ranjan ने 602 वोटों के अंतर से दर्ज की जीत
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चनपटिया विधानसभा क्षेत्र बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थित है. यह सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित सीट है. इस सीट का गठन 1957 में हुआ और तब से लेकर अब तक हर विधानसभा चुनाव में भाग ले चुकी है. चनपटिया प्रखंड और मझौलिया प्रखंड की 11 ग्राम पंचायतें (जैसे सरिसवा, हरपुर गरवा, नौतन खुर्द और बैठनिया भानाचक) इस क्षेत्र में शामिल हैं. यह सीट पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है, जो 2008 के परिसीमन से पहले बेतिया संसदीय सीट का हिस्सा थी.
चनपटिया एक प्रखंड स्तरीय कस्बा है, जो जिला मुख्यालय बेतिया से लगभग 18 किमी पश्चिम और राज्य की राजधानी पटना से करीब 225 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित है. यह सड़क और रेल मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा है. चनपटिया रेलवे स्टेशन मुजफ्फरपुर-गोरखपुर लाइन पर एक महत्वपूर्ण स्टॉप है. इसके आसपास नरकटियागंज (25 किमी उत्तर), सुगौली (40 किमी पूर्व), मोतिहारी (65 किमी दक्षिण-पूर्व), मुजफ्फरपुर (140 किमी दक्षिण-पूर्व) और दरभंगा (190 किमी दक्षिण-पूर्व) जैसे प्रमुख शहर हैं. नेपाल की सीमा पर बिरगंज कस्बा यहां से लगभग 60 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है.
यहां की जमीन उपजाऊ और समतल है. गन्ना, मक्का, गेहूं और धान मुख्य फसलें हैं. पास से बहने वाली गंडक नदी इस क्षेत्र की जीवनरेखा है, हालांकि हर साल आने वाली बाढ़ यहां की बड़ी समस्या बनी रहती है. कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान चनपटिया अपने “स्टार्टअप जोन” मॉडल के लिए चर्चा में आया, जिसके तहत प्रवासी श्रमिकों के पुनर्वास के लिए छोटे पैमाने पर परिधान और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित की गईं. यह मॉडल अब ग्रामीण उद्यमिता के लिए एक उदाहरण माना जा रहा है.
अब तक चनपटिया में 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. शुरुआती दौर (1957–1972) में कांग्रेस ने चार बार जीत दर्ज की. इसके बाद वाम दलों का दबदबा रहा और सीपीआई ने 1980, 1985 और 1995 में जीत हासिल की. समाजवादी दल (1972), जनता पार्टी (1977) और जनता दल (1990) ने एक-एक बार जीत दर्ज की. लेकिन 2000 के बाद से भाजपा ने इस सीट को अपना गढ़ बना लिया और लगातार छह चुनावों में जीत हासिल की.
भाजपा से कृष्ण कुमार मिश्रा, सतीश चंद्र दुबे, चंद्र मोहन राय, प्रकाश राय और उमाकांत सिंह जैसे नामी विधायक रह चुके हैं. 2020 में भाजपा के उमाकांत सिंह ने कांग्रेस के अभिषेक रंजन को 13,469 वोटों से हराया. 2015 में जीत का अंतर मात्र 464 वोट था.
2020 में इस सीट पर 2,75,439 मतदाता पंजीकृत थे, जिनमें 38,176 (13.86%) अनुसूचित जाति और 59,494 (21.60%) मुस्लिम मतदाता शामिल थे. यह सीट ग्रामीण बहुल है और यहां केवल 6.18% शहरी मतदाता हैं. मतदान प्रतिशत 63.84% दर्ज किया गया. 2024 लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 2,86,332 हो गई.
2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ. संजय जायसवाल को चनपटिया से 24,091 वोटों की बढ़त मिली. हालांकि 2019 में यह बढ़त 57,297 थी, लेकिन भाजपा की पकड़ सीट पर अब भी मजबूत बनी हुई है. विधानसभा और संसदीय दोनों स्तरों पर भाजपा के लगातार दबदबे को देखते हुए, 2025 के चुनाव में पार्टी को किसी बड़ी चुनौती का सामना करने की संभावना नहीं है.
(अजय झा)
Abhishek Ranjan
INC
Tripurari Kumar Tiwari
IND
Santosh Kumar Gupta
RLSP
Nota
NOTA
Sheshnath Bharti
IND
Ramayan Yadav
IND
Munna Singh
IND
Ravisagar Bharati
ASP(K)
Sheik Firoz
VSP
Om Prakash Jaiswal
IND
Bipin Nath Tiwari
LJSWP
Sanjay Ram
PSS
Rajeev Ranjan
PP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.