बगहा, बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थित एक अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित विधानसभा क्षेत्र है. इस क्षेत्र का गठन वर्ष 1957 में हुआ था और अब तक यहां 17 बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 2009 का उपचुनाव भी शामिल है. यह क्षेत्र वाल्मीकि नगर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और इसमें बगहा सामुदायिक विकास खंड, बगहा नगर परिषद तथा सिधाव ब्लॉक के चयनित पंचायत शामिल हैं.
वर्ष 2020 में बगहा में कुल 3,05,226 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 44,510 अनुसूचित जाति (14.58%), 12,020 अनुसूचित जनजाति (3.94%) और 49,141 मुस्लिम मतदाता (16.10%) शामिल थे. 2024 के लोकसभा चुनाव में यह संख्या बढ़कर 3,28,670 हो गई. यह क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण है, जहां केवल 24.47% शहरी मतदाता हैं.
बगहा का राजनीतिक इतिहास वफादारी और बदलाव का अनोखा मेल प्रस्तुत करता है. 1957 से 1985 तक कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर लगातार आठ बार जीत दर्ज की. यहां तक कि 1977 की जनविरोधी लहर में भी कांग्रेस यहां विजयी रही. इस क्षेत्र से पहली बार चुनाव जीतने वाले नेता केदार पांडे थे, जो बाद में बिहार के मुख्यमंत्री भी बने. कांग्रेस के नेता नरसिंह बैथा ने लगातार पांच बार जीत हासिल की, इसके बाद त्रिलोकी हरिजन ने 1980 और 1985 में दो बार जीत दर्ज की.
1990 से बदलाव की शुरुआत हुई जब पूर्णमासी राम ने जनता दल के टिकट पर जीत दर्ज की. उन्होंने पांच बार लगातार जीत हासिल की. दो बार जनता दल से (1990, 1995), एक बार आरजेडी से (2000) और दो बार जेडीयू से (2005 के दो चुनाव) से जीते. 2009 में लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया, जिसके कारण उपचुनाव में जेडीयू ने जीत दर्ज की और 2010 में फिर सीट बरकरार रखी.
2015 में जब जेडीयू ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ा और महागठबंधन में शामिल हो गया, तब बीजेपी ने मौके का फायदा उठाते हुए यह सीट 8,183 वोटों से जीत ली. 2020 में एनडीए के दोबारा एकजुट होने पर बीजेपी ने सीट बरकरार रखी और राम सिंह ने 30,020 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की. अब तक पार्टीवार जीत का आंकड़ा इस प्रकार है- कांग्रेस (8 बार), जेडीयू (4), जनता दल और बीजेपी (2-2 बार), और आरजेडी (1 बार).
बगहा, बिहार के उत्तर-पश्चिमी कोने में स्थित है और नेपाल की सीमा के करीब है. यह जिला मुख्यालय बेतिया से लगभग 65 किमी और राज्य की राजधानी पटना से लगभग 280 किमी दूर है. बगहा रेलवे स्टेशन मुजफ्फरपुर-गोरखपुर रेलमार्ग पर स्थित है. पास के प्रमुख नगरों में नरकटियागंज (32 किमी), रामनगर (28 किमी) और वाल्मीकि नगर (35 किमी) शामिल हैं, जबकि उत्तर प्रदेश का गोरखपुर शहर 110 किमी पश्चिम में स्थित है. नेपाल के निकटवर्ती शहरों में बीरगंज (79 किमी), भरतपुर (72 किमी), और सिद्धार्थनगर (77 किमी) शामिल हैं, वहीं राजधानी काठमांडू लगभग 140 किमी दूर है.
बगहा की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है. यहां धान, गेहूं, मक्का और गन्ना प्रमुख फसलें हैं. क्षेत्र में चीनी और चावल मिलों की उपस्थिति स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देती है, जबकि बगहा नगर आसपास के ग्रामीण इलाकों के लिए व्यापारिक केंद्र की भूमिका निभाता है. पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों में मौसमी मजदूरी के लिए प्रवास आम है, लेकिन स्थानीय व्यापार और परिवहन सेवाएं धीरे-धीरे विकसित हो रही हैं.
बगहा, चंपारण क्षेत्र के सामाजिक-राजनीतिक विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है. वाल्मीकि नगर और गंडक नदी के निकट स्थित होने के कारण यह व्यापार और बस्तीकरण के लिए रणनीतिक रूप से अहम रहा है. इस क्षेत्र का थारू जनजातीय समुदाय से भी सांस्कृतिक संबंध है, जो सीमावर्ती जंगलों में निवास करता है.
अनुसूचित जाति (दलित) के लिए आरक्षित बगहा सीट पर बीजेपी की दो बार की जीत से यह स्पष्ट होता है कि पार्टी अब शहरी और सवर्ण मतदाताओं के दायरे से बाहर निकलकर व्यापक सामाजिक आधार तैयार कर चुकी है. एनडीए की लगातार बढ़त को देखते हुए बीजेपी इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत मान सकती है, जबकि आरजेडी के नेतृत्व वाला विपक्षी गठबंधन इस सीट को जीतने के लिए कड़ी मेहनत और रणनीतिक सहयोग की अपेक्षा रखता है.
(अजय झा)
BJP
INC
JSP
ASP(K)
RTRP
BJJD
IND
Nota
NOTA
Jayesh Manglam Singh
INC
Raghaw Sharan Pandey
IND
Purnamasi Ram
JSHD
Nota
NOTA
Kamran Aziz
IND
Suresh Mukhiya
JP (S)
Atul Kumar Shukla
LSP(L)
Umesh Gupta
RJSBP
Manoj Kumar
BJJD
Radhe Shyam Yadav
FKP
Shesh Nath Chaudhary
BRD
Manoj Kumar Rao
IND
Durgesh Singh Chauhan
BLND
Sita Shah
PP
Dalsingar Ram
BHMP
बिहार चुनाव में लगभग 18% मुस्लिम आबादी के वोटों को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है. एक ओर तेजस्वी यादव का महागठबंधन अपने पारंपरिक मुस्लिम-यादव (M-Y) समीकरण को साधने में जुटा है, तो वहीं असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी इस वोट बैंक में अपनी हिस्सेदारी के लिए जोर लगा रही हैं. सीमांचल जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में ओवैसी के प्रभाव से वोटों के बंटवारे की आशंका बढ़ गई है, जैसा 2020 के चुनाव में हुआ था जब उनकी पार्टी ने 5 सीटें जीतकर महागठबंधन को सत्ता से दूर करने में भूमिका निभाई थी.
बिहार की सियासत महिला मतदाताओं पर केंद्रित हो गई है, जहाँ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 'महिला रोजगार योजना' के तहत दी जा रही 10,000 रुपये की राशि और तेजस्वी यादव के 30,000 रुपये देने के वादे पर राजनीतिक घमासान छिड़ा है. एक ओर जहाँ सत्ता पक्ष 'जीविका' और 'लखपति दीदी' जैसी योजनाओं से महिला सशक्तिकरण का दावा कर रहा है, वहीं विपक्ष इसे वोट खरीदने का प्रयास बता रहा है. देखें बहस बाजीगर.
आरजेडी के हाजीपुर स्ट्रॉन्ग रूम में सेंधमारी के आरोपों पर निर्वाचन आयोग ने जवाब दिया है. आरजेडी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करके सीसीटीवी का फीड डिस्प्ले स्क्रीन बंद होने और स्ट्रॉन्ग रूम में आधी रात को एक पिकअप वैन के अंदर जाने और कुछ देर बाद बाहर आने का दावा किया था.
जनशक्ति जनता दल के संस्थापक तेज प्रताप यादव को केंद्र सरकार ने Y-Plus कैटेगरी की सुरक्षा प्रदान की है. गृह मंत्रालय के आदेश के बाद सीआरपीएफ (CRPF) की सुरक्षा टीम उन्हें कवर देगी. तेज प्रताप यादव को यह सुरक्षा वीआईपी प्रोटेक्शन लिस्ट के तहत दी गई है.
बिहार की सियासत में सीमांचल की लड़ाई बेहद अहम हो गई है, जहां असदुद्दीन ओवैसी, तेजस्वी यादव और एनडीए के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. ओवैसी ने तेजस्वी यादव पर हमला बोलते हुए कहा, 'एजेंसी कपड़े देख कर, चेहरे पर दाढ़ी, सर पर टोपी देखकर कह रहे हैं ये चरमपंथी है.' 2020 में पांच सीटें जीतकर चौंकाने वाले ओवैसी के लिए यह चुनाव अग्निपरीक्षा है, क्योंकि उनके चार विधायक आरजेडी में शामिल हो चुके हैं.
बिहार की चुनावी बहस में पेपर लीक, घुसपैठियों की समस्या, मुफ्त बिजली और रोजगार के वादों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार टकराव देखने को मिला. भाजपा और राजद के प्रवक्ताओं ने एक-दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए. विपक्ष ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, ‘आप अपनी नाकामी का पर्दा डालने के लिए बात इधर उधर की करते हैं, असली मुद्दे पर आते नहीं.’ चर्चा के दौरान बिहार में हुए सृजन घोटाले, मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड और बिजली घोटाले का भी जिक्र हुआ.
बिहार चुनाव में पहले दौर की रिकॉर्ड वोटिंग के बाद राजनीतिक बहस तेज हो गई है. घुसपैठ के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिली. एक ओर जहां भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और रोजगार से जुड़ा गंभीर मसला बताया, वहीं कांग्रेस ने इसे ध्रुवीकरण की कोशिश करार दिया. बहस में 'जंगलराज' की वापसी के आरोपों पर भी जमकर चर्चा हुई, जिसमें भाजपा ने लालू प्रसाद यादव के शासनकाल का जिक्र किया.
बिहार की चुनावी राजनीति में घुसपैठियों, विकास और आरोप-प्रत्यारोप का मुद्दा गरमा गया है. एक तीखी बहस में भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी और कांग्रेस के प्रतिनिधि आमने-सामने हुए. कांग्रेस ने सवाल उठाया कि '20 साल से तो बिहार में थे, 10 साल से तो आप (केंद्र में) हैं, अपना हिसाब दो.' इसके जवाब में सुधांशु त्रिवेदी ने आरजेडी के दौर की चुनावी हिंसा और अपराध की याद दिलाते हुए कहा कि आज बिहार में शांति है और विकास हुआ है. उन्होंने घुसपैठियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए विपक्ष पर उनके 'खिदमतगार' होने का आरोप लगाया.
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