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Bihar Election Result 2025 Live: बगहा विधानसभा सीट पर BJP को दोबारा मिली जीत
Bagaha Vidhan Sabha Chunav Result Live: बिहार के चम्पारण क्षेत्र में पार्टियों/गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
Bihar Election Results Live: बिहार चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों का प्रदर्शन कैसा है?
Bagaha Assembly Election Results Live: Bihar की Bagaha सीट पर मुकाबला एकतरफा! BJP ने ली बड़ी बढ़त
Bagaha Vidhan Sabha Result Live: बगहा सीट पर बड़ा उलटफेर! जानिए क्या कह रहे ताजा आंकड़े
Bagaha Assembly Election Result Live: बगहा में INC पीछे, BJP आगे! जानें वोटों का अंतर कितना
बगहा, बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थित एक अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित विधानसभा क्षेत्र है. इस क्षेत्र का गठन वर्ष 1957 में हुआ था और अब तक यहां 17 बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 2009 का उपचुनाव भी शामिल है. यह क्षेत्र वाल्मीकि नगर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और इसमें बगहा सामुदायिक विकास खंड, बगहा नगर परिषद तथा सिधाव ब्लॉक के चयनित पंचायत शामिल हैं.
वर्ष 2020 में बगहा में कुल 3,05,226 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 44,510 अनुसूचित जाति (14.58%), 12,020 अनुसूचित जनजाति (3.94%) और 49,141 मुस्लिम मतदाता (16.10%) शामिल थे. 2024 के लोकसभा चुनाव में यह संख्या बढ़कर 3,28,670 हो गई. यह क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण है, जहां केवल 24.47% शहरी मतदाता हैं.
बगहा का राजनीतिक इतिहास वफादारी और बदलाव का अनोखा मेल प्रस्तुत करता है. 1957 से 1985 तक कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर लगातार आठ बार जीत दर्ज की. यहां तक कि 1977 की जनविरोधी लहर में भी कांग्रेस यहां विजयी रही. इस क्षेत्र से पहली बार चुनाव जीतने वाले नेता केदार पांडे थे, जो बाद में बिहार के मुख्यमंत्री भी बने. कांग्रेस के नेता नरसिंह बैथा ने लगातार पांच बार जीत हासिल की, इसके बाद त्रिलोकी हरिजन ने 1980 और 1985 में दो बार जीत दर्ज की.
1990 से बदलाव की शुरुआत हुई जब पूर्णमासी राम ने जनता दल के टिकट पर जीत दर्ज की. उन्होंने पांच बार लगातार जीत हासिल की. दो बार जनता दल से (1990, 1995), एक बार आरजेडी से (2000) और दो बार जेडीयू से (2005 के दो चुनाव) से जीते. 2009 में लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया, जिसके कारण उपचुनाव में जेडीयू ने जीत दर्ज की और 2010 में फिर सीट बरकरार रखी.
2015 में जब जेडीयू ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ा और महागठबंधन में शामिल हो गया, तब बीजेपी ने मौके का फायदा उठाते हुए यह सीट 8,183 वोटों से जीत ली. 2020 में एनडीए के दोबारा एकजुट होने पर बीजेपी ने सीट बरकरार रखी और राम सिंह ने 30,020 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की. अब तक पार्टीवार जीत का आंकड़ा इस प्रकार है- कांग्रेस (8 बार), जेडीयू (4), जनता दल और बीजेपी (2-2 बार), और आरजेडी (1 बार).
बगहा, बिहार के उत्तर-पश्चिमी कोने में स्थित है और नेपाल की सीमा के करीब है. यह जिला मुख्यालय बेतिया से लगभग 65 किमी और राज्य की राजधानी पटना से लगभग 280 किमी दूर है. बगहा रेलवे स्टेशन मुजफ्फरपुर-गोरखपुर रेलमार्ग पर स्थित है. पास के प्रमुख नगरों में नरकटियागंज (32 किमी), रामनगर (28 किमी) और वाल्मीकि नगर (35 किमी) शामिल हैं, जबकि उत्तर प्रदेश का गोरखपुर शहर 110 किमी पश्चिम में स्थित है. नेपाल के निकटवर्ती शहरों में बीरगंज (79 किमी), भरतपुर (72 किमी), और सिद्धार्थनगर (77 किमी) शामिल हैं, वहीं राजधानी काठमांडू लगभग 140 किमी दूर है.
बगहा की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है. यहां धान, गेहूं, मक्का और गन्ना प्रमुख फसलें हैं. क्षेत्र में चीनी और चावल मिलों की उपस्थिति स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देती है, जबकि बगहा नगर आसपास के ग्रामीण इलाकों के लिए व्यापारिक केंद्र की भूमिका निभाता है. पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों में मौसमी मजदूरी के लिए प्रवास आम है, लेकिन स्थानीय व्यापार और परिवहन सेवाएं धीरे-धीरे विकसित हो रही हैं.
बगहा, चंपारण क्षेत्र के सामाजिक-राजनीतिक विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है. वाल्मीकि नगर और गंडक नदी के निकट स्थित होने के कारण यह व्यापार और बस्तीकरण के लिए रणनीतिक रूप से अहम रहा है. इस क्षेत्र का थारू जनजातीय समुदाय से भी सांस्कृतिक संबंध है, जो सीमावर्ती जंगलों में निवास करता है.
अनुसूचित जाति (दलित) के लिए आरक्षित बगहा सीट पर बीजेपी की दो बार की जीत से यह स्पष्ट होता है कि पार्टी अब शहरी और सवर्ण मतदाताओं के दायरे से बाहर निकलकर व्यापक सामाजिक आधार तैयार कर चुकी है. एनडीए की लगातार बढ़त को देखते हुए बीजेपी इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत मान सकती है, जबकि आरजेडी के नेतृत्व वाला विपक्षी गठबंधन इस सीट को जीतने के लिए कड़ी मेहनत और रणनीतिक सहयोग की अपेक्षा रखता है.
(अजय झा)
Jayesh Manglam Singh
INC
Raghaw Sharan Pandey
IND
Purnamasi Ram
JSHD
Nota
NOTA
Kamran Aziz
IND
Suresh Mukhiya
JP (S)
Atul Kumar Shukla
LSP(L)
Umesh Gupta
RJSBP
Manoj Kumar
BJJD
Radhe Shyam Yadav
FKP
Shesh Nath Chaudhary
BRD
Manoj Kumar Rao
IND
Durgesh Singh Chauhan
BLND
Sita Shah
PP
Dalsingar Ram
BHMP
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.