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Narkatia Election Results Live: नरकटिया निर्वाचन क्षेत्र में JD(U) को मिली जीत, जानें पूरा रिजल्ट
Bihar Assembly Election Results 2025 Live: दिग्गज कैंडिडेट्स के क्या हैं हाल?
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नरकटिया बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में स्थित एक सामान्य वर्ग की विधानसभा सीट है. यह पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और इसमें बनजारिया, छौड़ादानो (नरकटिया) और बंकेठा जैसे समुदायिक विकास खंड शामिल हैं. इसे पश्चिम चंपारण जिले की नरकटियागंज सीट से भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए, जो वाल्मीकि नगर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है.
नरकटिया का भौगोलिक स्थान नेपाल सीमा के पास, पूर्वी चंपारण की उपजाऊ मैदानी जमीन में है. यह इलाका बूढ़ी गंडक नदी और उसकी सहायक धाराओं से प्रभावित है, जो समय-समय पर बाढ़ का कारण बनती हैं. कृषि यहां की मुख्य जीवनरेखा है, जहां धान, गेहूं, गन्ना और मक्का प्रमुख फसलें हैं. नदी किनारे की जमीन पर सब्जी की खेती भी आमदनी का एक अतिरिक्त स्रोत है.
यह क्षेत्र अभी भी ग्रामीण स्वरूप में है, हालांकि छोटे बाजार और व्यापारिक केंद्र इसकी गतिविधियों को संचालित करते हैं. चावल मिल, उर्वरक भंडार और कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाएं कृषि व्यवस्था को सहारा देती हैं, लेकिन व्यापक औद्योगिक विकास अभी तक नहीं हो पाया है. मौसमी पलायन और दिहाड़ी मजदूरी आम है, और प्रवासी मजदूरों द्वारा भेजी गई रकमें स्थानीय परिवारों की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
छौड़ादानो रेलवे स्टेशन नरकटिया को मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी-रक्सौल रेल लाइन से जोड़ता है. पास के प्रमुख शहरों में मोतिहारी (24 किमी), रक्सौल (49 किमी) और मेहसी (42 किमी) शामिल हैं. वहीं, नेपाल का बीरगंज शहर लगभग 55 किमी दूर है और सीमा पार व्यापार और आवाजाही के लिए प्रमुख मार्ग है.
2020 के विधानसभा चुनावों में नरकटिया में 2,87,950 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 77,170 मुस्लिम समुदाय से थे (लगभग 26.80%). 2024 के लोकसभा चुनावों तक यह संख्या बढ़कर 3,01,604 हो गई. मतदान प्रतिशत 2015 और 2020 दोनों ही चुनावों में एक समान 63.56% रहा, जो दर्शाता है कि मतदाता लगातार लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं.
नरकटिया में विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मतदाताओं का रुझान भिन्न रहा है. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 2015 से इस सीट पर मजबूत पकड़ बनाए रखी है. शमीम अहमद ने 2015 और 2020 दोनों ही बार जीत हासिल की, और 2020 में उन्होंने 27,191 मतों से विजय दर्ज की. राजद को 85,562 वोट मिले, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) को 20,494 मत मिले, जो परिणाम को प्रभावित नहीं कर पाए.
वहीं, लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस क्षेत्र में लगातार बढ़त बनाए हुए है. 2024 में संजय जायसवाल ने कांग्रेस प्रत्याशी मदन मोहन तिवारी पर 6,103 मतों की बढ़त बनाई, हालांकि यह बढ़त 2019 में उनके द्वारा ली गई 24,586 मतों की बढ़त की तुलना में काफी कम थी. 2014 में भी उनकी बढ़त 14,582 मतों की थी. ये आंकड़े दर्शाते हैं कि नरकटिया के मतदाता विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अलग-अलग सोच के साथ मतदान करते हैं.
2025 के विधानसभा चुनावों में अगर एनडीए एकजुट होकर मैदान में उतरती है, खासकर एलजेपी के पुनः गठबंधन में लौटने के बाद, तो मुकाबला कड़ा हो सकता है. 2020 में एलजेपी के अलग होने से एनडीए के वोट बंटे थे, जिसका फायदा राजद को मिला. हालांकि, राजद की जमीनी पकड़ और वफादार वोट बैंक को देखते हुए, नरकटिया अब भी एक ऐसा चुनावी मैदान है जहां हर वोट के लिए लड़ाई होगी.
(अजय झा)
Sayam Bihari Parsad
JD(U)
Sonu Kumar
LJP
Suresh Prasad Yadav
IND
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NOTA
Sanjay Kumar
IND
Vidyanand Prasad
IND
Om Prakash Gupta
JDR
Mohamad Taiyab
IND
Ashraf Pandit
PSS
Ravi Shankar Ravi
JAP(L)
Raj Kishore Kumar
LSP(L)
Manish Kumar
IND
Uma Shankar Prasad
IND
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर चिराग पासवान ने अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि बिहार के लोगों ने सही समय पर सही फैसला लिया, और डबल इंजन सरकार ने विकास की राह को मजबूत किया. उन्होंने चुनावी रणनीति, गठबंधन की भूमिका और राजनीतिक चुनौतियों पर भी खुलकर बात की.
बिहार चुनाव के नतीजों में एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला है, वहीं तेजस्वी यादव का महागठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. एनडीए की इस भारी सियासी लहर के बीच ओवैसी सीमांचल में अपना किला बचाने और पांच सीटों पर दोबारा कब्जा जमाने में सफल रहे. AIMIM ने उन सीटों को भी फिर जीत लिया, जहां 2020 में विजय हासिल करने के बाद उसके विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे.
दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को हुए मतदान में 66.91% वोटिंग हुई, जो 1951 के बाद से बिहार में सबसे अधिक है. रिकॉर्ड महिला वोटिंग और 3.51 करोड़ से अधिक मतदाताओं की भागीदारी ने इस चुनाव को ऐतिहासिक बना दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में मिली प्रचंड जीत के लिए जनता का आभार व्यक्त किया. उन्होंने NDA की ताकत और कांग्रेस की कमजोरियों को साझा किया. मोदी ने तीन शब्दों में इस जीत की व्याख्या की - 'गर्दा उड़ा दिया'. उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह अब मुस्लिम लीगी माओवादी पार्टी बन गई है जिसकी राजनीति देश के लिए सकारात्मक नहीं है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी ने एक बार फिर अप्रत्याशित और प्रचंड जीत हासिल की है. प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यकर्ताओं को गमछा लहराकर अभिवादन किया और जनता का धन्यवाद किया. अमित शाह की रणनीति और चुनावी प्रबंधन ने टीम NDA को सफलता दिलाई जिसकी वजह से महागठबंधन को बड़ी हार का सामना करना पड़ा.