BJP
RJD
JSP
BSP
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NOTA
IND
IND
LJD
IND
JGJP
AAP
IND
Kalyanpur Chunav Results Live: कल्याणपुर निर्वाचन क्षेत्र का रिजल्ट घोषित, Sachindra Prasad Singh ने 15568 वोटों के अंतर से दर्ज की जीत
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Kalyanpur Assembly Election Results Live: Bihar की Kalyanpur सीट पर मुकाबला एकतरफा! BJP ने ली बड़ी बढ़त
पूर्वी चंपारण जिले की कल्याणपुर विधानसभा सीट को समस्तीपुर जिले की कल्याणपुर सीट से भ्रमित नहीं करना चाहिए, क्योंकि समस्तीपुर की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. पूर्वी चंपारण की कल्याणपुर सीट का गठन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद हुआ था. इसमें कोटवा प्रखंड पूरा और कल्याणपुर प्रखंड के 18 ग्राम पंचायत शामिल हैं. इसके गठन के बाद अब तक तीन विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और हर चुनाव में मतदाताओं ने अलग-अलग दल को चुनकर इसे अस्थिर राजनीतिक क्षेत्र बना दिया है.
2010 के पहले चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) की उम्मीदवार रजिया खातून ने राजद प्रत्याशी मनोज कुमार यादव को 15,402 वोटों से हराया. 2015 में जदयू ने एनडीए से अलग होकर राजद के साथ चुनाव लड़ा, और भाजपा प्रत्याशी सचिन्द्र प्रसाद सिंह ने रजिया खातून को 11,488 वोटों से शिकस्त दी. 2020 में जदयू दोबारा एनडीए में लौट आई और भाजपा ने सीट पर चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार राजद के मनोज कुमार यादव ने सचिन्द्र प्रसाद सिंह को केवल 1,193 वोटों से हराकर सीट अपने नाम की.
2020 की हार के बावजूद एनडीए ने 2024 लोकसभा चुनाव में फिर से मजबूती दिखाई. भाजपा को कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र में 14,014 वोटों की बढ़त मिली. हालांकि यह आंकड़ा 2019 की 36,261 और 2014 की 25,775 वोटों की बढ़त से काफी कम था. 2009 में भाजपा की बढ़त 11,955 वोट थी.
2020 विधानसभा चुनाव में कल्याणपुर सीट पर कुल 2,56,790 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें 41,318 अनुसूचित जाति (16.09%) और 36,977 मुस्लिम मतदाता (14.40%) शामिल थे. यह पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है, जहां शहरी मतदाता नहीं हैं. 2020 में मतदान प्रतिशत 62.54% रहा. 2024 लोकसभा चुनाव तक मतदाता संख्या बढ़कर 2,63,186 हो गई, जो स्थिर जनसांख्यिकी और कम पलायन को दर्शाता है.
ऐतिहासिक रूप से यह क्षेत्र चंपारण आंदोलन की पृष्ठभूमि से जुड़ा है, जहां महात्मा गांधी ने 1917 में नील आंदोलन के जरिए स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी थी. भौगोलिक रूप से यह इलाका उपजाऊ मैदानी क्षेत्र है. गंडक नदी पश्चिम से बहती है, जो खेती में सहायक होने के साथ-साथ बाढ़ का खतरा भी पैदा करती है. यहां धान, गेहूं और दलहन की खेती प्रमुख है, लेकिन सिंचाई और बुनियादी ढांचे की कमी बड़ी चुनौती बनी हुई है.
रोजगार के अवसर कम होने के कारण यहां से लोग दिल्ली, सूरत और कोलकाता जैसे शहरों में पलायन करते हैं. क्षेत्र में कोई बड़ी उद्योग-धंधा नहीं है और स्वास्थ्य व शिक्षा सुविधाएं भी अपर्याप्त हैं.
संविधानिक दृष्टि से कल्याणपुर, मोतिहारी (25 किमी), रक्सौल (60 किमी), मुजफ्फरपुर (80 किमी) और राज्य की राजधानी पटना (160 किमी) से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है.
भाजपा की लोकसभा चुनावों में लगातार मजबूत स्थिति के बावजूद विधानसभा चुनाव का समीकरण अलग होता है. 2020 में भाजपा की करीबी हार और अब तक किसी भी विधायक का दोबारा जीतकर न आना इस सीट को बेहद रोचक और अनिश्चित बना देता है. 2025 का चुनाव कल्याणपुर में किसके पक्ष में जाएगा, यह कहना अभी मुश्किल है.
(अजय झा)
Sachindra Prasad Singh
BJP
Mohammad Badiuzzaman
BSP
Nota
NOTA
Mala Thakur
JDR
Rituraj Pandey
IND
Rajesh Kumar Singh
IND
Muneshwar Tiwari
IND
Satyam Yadav
JAP(L)
Subodh Kumar Thakur
BVDU
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
इंडिया टुडे ने चुनाव आयोग के डेटा की गहराई से जांच की और पाया कि SIR और चुनाव नतीजों के बीच कोई सीधा या समझ में आने वाला पैटर्न दिखता ही नहीं. हर बार जब एक ट्रेंड बनता लगता है, तुरंत ही एक दूसरा आंकड़ा उसे तोड़ देता है. बिहार चुनाव में NDA ने 83% सीटें जीतीं, पर SIR से जुड़े नतीजे अलग कहानी कहते हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एक दिलचस्प पैटर्न सामने आया है. जहां सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीती गई पांचों सीटें NDA के खाते में गईं, वहीं बेहद कम मार्जिन वाली सीटों पर अलग-अलग दलों की जीत दर्ज हुई. चुनावी आंकड़े बताते हैं कि भारी अंतर वाली सीटों पर NDA का दबदबा स्पष्ट दिखा जबकि कम अंतर वाली सीटों पर मुकाबला बेहद करीबी रहा.
jamui result shreyasi singh: जमुई विधानसभा सीट से दूसरी बार श्रेयसी ने राजद के मोहम्मद शमसाद आलम को 54 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की हैं.
बिहार चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बुरी तरह फ्लॉप रहा और RJD-कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसकी बड़ी वजहें थीं- साथी दलों के बीच लगातार झगड़ा और भरोसे की कमी, तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने का विवादास्पद फैसला, राहुल-तेजस्वी की कमजोर ट्यूनिंग और गांधी परिवार का फीका कैंपेन.
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया और आरजेडी अपने इतिहास की बड़ी हारों में से एक झेल रही है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व, रणनीति और संगठन पर गंभीर सवाल उठे हैं.
बिहार चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' राजनीतिक तौर पर कोई असर नहीं छोड़ पाई. जिस-जिस रूट से यह यात्रा गुज़री, वहां महागठबंधन लगभग साफ हो गया और एनडीए ने भारी जीत दर्ज की. कांग्रेस का दावा था कि यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश थी, जो पूरी तरह असफल रही.
बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के भीतर निराशा है. शशि थरूर ने 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' की मांग की, जबकि अन्य नेताओं ने हार का कारण संगठन की कमजोरी, गलत टिकट वितरण और जमीनी हकीकत से कटे कुछ नेताओं को बताया.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
चुनाव के पहले नतीजे के अनुसार, कल्याणपुर से जेडीयू के महेश्वर हजारी ने जीत हासिल की है. नतीजे देर से आने के बावजूद धीरे-धीरे स्पष्ट हो रहे हैं. इस इलाके में महिलाओं ने मतदान में विशेष भागीदारी दिखाई, लगभग इकहत्तर फीसदी महिलाओं ने वोट डाला. नितीश कुमार के गॉव में जश्न का माहौल है, जहां महिलाएं पारंपरिक तरीके से मिठाई वितरित कर और सिंदूर लगाकर खुशी मना रही हैं. जेडीयू के नेता अभिषेक झा से मिली जानकारी के अनुसार, पार्टी के लोग मुख्यमंत्री बनने की तैयारियों में हैं.