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सेंसेक्स

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सेंसेक्स (Sensex) भारत के शेयर बाजार का सबसे प्रमुख और विश्वसनीय सूचकांक है. इसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) द्वारा तैयार किया गया है और इसमें 30 प्रमुख कंपनियों के शेयर शामिल होते हैं. इन कंपनियों का चयन उनके आकार, कारोबार, प्रतिष्ठा और विभिन्न उद्योग क्षेत्रों में उनके योगदान के आधार पर किया जाता है.

सेंसेक्स की शुरुआत 1986 में हुई थी. उस समय इसे भारतीय शेयर बाजार की दिशा समझने के लिए एक महत्वपूर्ण मानक के रूप में स्थापित किया गया. शुरुआती दौर में निवेशक केवल सेंसेक्स के उतार-चढ़ाव को देखकर ही पूरे बाजार की स्थिति का अंदाजा लगाते थे. आज भी सेंसेक्स भारतीय अर्थव्यवस्था और निवेश माहौल की नब्ज समझने का अहम जरिया है.

सेंसेक्स में शामिल 30 कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण और उनके शेयरों की कीमतों के आधार पर सेंसेक्स का स्तर तय होता है. अगर इन कंपनियों के शेयरों की कीमत बढ़ती है, तो सेंसेक्स ऊपर जाता है, और यदि कीमतें गिरती हैं, तो सेंसेक्स नीचे आता है. यह सूचकांक निवेशकों और विश्लेषकों को यह बताता है कि बाजार में तेजी (Bullish) है या मंदी (Bearish).

सेंसेक्स केवल आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह निवेशकों के भरोसे का पैमाना भी है. जब सेंसेक्स नई ऊंचाइयों को छूता है, तो यह संकेत देता है कि बाजार में सकारात्मकता है और निवेशकों का विश्वास बढ़ रहा है. वहीं, सेंसेक्स में गिरावट का मतलब है कि बाजार में अनिश्चितता या डर का माहौल है.

सेंसेक्स केवल भारतीय अर्थव्यवस्था से ही नहीं, बल्कि वैश्विक घटनाओं से भी प्रभावित होता है. अमेरिका के फेडरल रिजर्व की नीतियां, तेल की कीमतें, अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौते और भू-राजनीतिक तनाव जैसे कारक सेंसेक्स की चाल को प्रभावित करते हैं.
 

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