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बैट कांड पर कमलनाथ का तंज- बल्ले को जीत का प्रतीक बनाएं, प्रजातंत्र की हार का नहीं

कमलनाथ ने लिखा, मुख्यमंत्री होने के नाते मेरा दायित्व भी है कि मैं अपने नौजवान और होनहार साथियों के साथ विमर्श करता रहूं. युवा जन-प्रतिनिधि साथियों, बल्ले को मैदान में भारत की जीत का प्रतीक बनाइए, सड़कों पर प्रजातंत्र की हार का नहीं.

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कमलनाथ (फाइल फोटो)
कमलनाथ (फाइल फोटो)

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय के बेटे और विधायक आकाश विजयवर्गीय द्वारा निगम अधिकारी के साथ मारपीट का वीडियो वायरल होने के बाद उन्हें 11 जुलाई तक के लिए जेल भेज दिया गया है. इस घटना के बाद सियासत भी गर्मा गई है. बीजेपी नेता इस मुद्दे पर बोलने से बच रहे हैं. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने इस पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. अब मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ ने आकाश विजयवर्गीय का जिक्र करते हुए युवाओं के लिए ब्लॉग लिखा है.

कमलनाथ ने लिखा, हिंदुस्तान की दो बड़ी खूबियां हैं, एक तो यह विश्व का सबसे बड़ा प्रजातंत्र है और दूसरा विश्व में सर्वाधिक युवाओं वाला देश है. ऐसे में स्वाभाविक है कि चुने हुए युवा जन-प्रतिनिधियों से देश को अपेक्षाएं भी अधिक होंगी, और हों भी क्यों न, हमारे पास अपने प्रजातंत्र की गौरवशाली विरासत जो है. भारतीय प्रजातंत्र का जो छायादार वटवृक्ष आज हमें दिखाई देता है, इसके त्याग और बलिदान का बीज बहुत गहरा बोया गया है और आज समूचे विश्व के लिए यह प्रेरणादायी है.

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खेल का मैदान हो या प्रजातंत्र, मूल मंत्र एक ही है- कमलनाथ

मध्य प्रदेश के सीएम ने आगे लिखा, पंडित नेहरू कहते थे, 'संस्कारवान युवा ही देश का भविष्य संवारेगा.' आज हमारे चुने हुए युवा जन-प्रतिनिधियों को आत्म-मंथन, आत्म-चिंतन करना चाहिए कि वो किस रास्ते पर भारत के भविष्य को ले जाना चाहते हैं. एक रास्ता प्रजातंत्र की गौरवशाली विरासत की उम्मीदों को पूरा करने वाला है और दूसरा उन्मादी. दोस्तों, उन्मादी व्यवहार सस्ता प्रचार तो दे सकता है, प्रजातंत्र को परिपक्वता नहीं दे सकता. युवा जन-प्रतिनिधियों, आप पर दायित्व है सदन में कानून बनाने का, सड़कों पर कानून हाथ में लेने का नहीं. आप अपनी बात दृढ़ता और मुखरता से रखें, मर्यादा को लांघ कर नहीं.

कमलनाथ ने लिखा, आज समूचे विश्व को हमारे बल्ले की चमक देखने को मिल रही है. हमारी क्रिकेट टीम लगातार जीत हासिल कर रही है और हमें पूरी उम्मीद है कि हम विश्व कप में अपना परचम लहराएंगे. मगर बल्ले की यह जीत बगैर मेहनत के हासिल नहीं की जा सकती. खिलाड़ियों को मर्यादित मेहनत करनी होती है. मर्यादा धैर्य सिखाती है, धैर्य से सहनशीलता आती है, सहनशीलता से वे परिपक्व होते हैं और परिपक्वता जीत की बुनियाद बनती है. अर्थात खेल का मैदान हो या प्रजातंत्र, मूल मंत्र एक ही है.

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उन्होंने लिखा, यह बात मैं सीमित और संकुचित दायरे में रहकर नहीं कह रहा हूं. सभी दल के युवा साथियों से मेरा यह अनुरोध है. मुख्यमंत्री होने के नाते मेरा दायित्व भी है कि मैं अपने नौजवान और होनहार साथियों के साथ विमर्श करता रहूं. युवा जन-प्रतिनिधि साथियों, बल्ले को मैदान में भारत की जीत का प्रतीक बनाइए, सड़कों पर प्रजातंत्र की हार का नहीं.

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