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सस्ता होगा दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेसवे का सफर

लोगों को अब दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेसवे के जरिये यात्रा के लिए कम खर्च करना होगा. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) तथा एक्सप्रेसवे परियोजना से जुड़े अन्य पक्षों के बीच मंगलवार को सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर दस्तखत किए गए, जिससे एक माह में इस एक्सप्रेसवे से यात्रा का खर्च एक-तिहाई कम हो जाएगा.

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लोगों को अब दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेसवे के जरिये यात्रा के लिए कम खर्च करना होगा. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) तथा एक्सप्रेसवे परियोजना से जुड़े अन्य पक्षों के बीच मंगलवार को सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर दस्तखत किए गए, जिससे एक माह में इस एक्सप्रेसवे से यात्रा का खर्च एक-तिहाई कम हो जाएगा.

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पहले रियायत के लिए स्थानीय जनता को एकबारगी 1,500 रुपये जमा कराने पर मासिक 60 ट्रिप के लिए ई टैग लेना होता था. वहीं अब उसे सिर्फ 40 ट्रिप या फेरों के लिए भुगतान करना होगा और साथ ही उसे ई टैग के लिए भुगतान नहीं देना होगा.

स्थानीय लोगों को एक्सप्रेसवे के इस्तेमाल के लिए रियायत को एमओयू पर मंगलवार को दस्तखत किए गए. एमओयू के तहत स्थानीय लोगों को एक्सप्रेसवे के इस्तेमाल के लिए रियायत मिलेगी. बयान में कहा गया है कि संशोधित योजना 15 दिन में लागू होगी. स्थानीय यातायात को व्यक्तिगत यात्रा के लिए 50 प्रतिशत की छूट मिलेगी जबकि व्यावसायिक ट्रैफिक को 33 फीसद की छूट मिलेगी.

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यह मामला दिल्ली गुड़गांव बीओटी (टोल) प्रोजेक्ट तथा एनएचएआई और ‘कन्शेशनर’ और वित्तीय संस्थानों (आईडीएफसी और चार अन्य बैंक) के बीच रियायत करार के समाप्त होने पर निपटान से संबंधित शर्तों के बारे में एमओयू पर दस्तखत से संबंधित है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 30 अगस्त को इस मामले पर सुनवाई की थी और 17 सितंबर तक इसे टाल दिया था. कन्शेशनर का कहना था कि उन्हें एमओयू के लिए कुछ समय चाहिए.

दिल्ली उच्च न्यायालय में 17 और 18 सितंबर को इस मामले की सुनवाई हुई. उसके बाद कन्शेशनर तथा वरिष्ठ ऋणदाताओं ने अदालत में एमओयू पर दस्तखत किए.

आईडीएफसी और चार अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक इस परियोजना के वरिष्ठ ऋणदाता हैं. उनका इस परियोजना में रिण 1,203 करोड़ रुपये है. इन बैंकों ने परियोजना को अपना ऋण 367 करोड़ रुपये कम करने का फैसला किया है. इसका मतलब है कि कन्शेशनर को यह राशि रिणदाताओं को लौटानी होगी.

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