सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेसवे पर अंतरिम उपाय के रूप में 15 दिन तक टोल टैक्स वसूलने पर रोक लगाने के पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है.
न्यायमूर्ति डी के जैन और न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर की खंडपीठ ने दक्षिण दिल्ली नगर निगम की याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया. इसमें उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा गया था कि इससे प्रतिदिन 25 लाख रुपए के टोल टैक्स का नुकसान हो रहा है.
वरिष्ठ अधिवक्ता रवि शंकर प्रसाद ने न्यायाधीशों से इस एक्सप्रेसवे पर कम से कम व्यापारिक वाहनों से टोल टैक्स वसूलने की अनुमति देने का अनुरोध किया लेकिन न्यायालय उनकी दलील से प्रभावित नहीं हुआ. न्यायाधीशों ने नगर निगम से कहा कि इस राहत के लिए उसे उच्च न्यायालय के पास ही जाना होगा.
इस राजमार्ग पर लगातार यातायात अवरुद्ध होने से चिंतित उच्च न्यायालय ने चार सितंबर को दिल्ली-गुड़गांव सुपर कनेक्टिविटी लिमिटिडे को दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेसवे पर 15 दिन तक टोल टैक्स वसूलने से रोक दिया था. उच्च न्यायालय ने कहा था कि राहत मांगने वाली रिपीट राहत मांगने वाली कंपनी एक्सप्रेसवे पर यातायात सुगम नहीं रख सकी है.
उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार को भी निर्देश दिया था कि टोल प्लाजा पर सरुक्षा बंदोबस्त दुरुस्त रखने के लिए पुलिसकर्मी तैयार किये जायें.