रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन- DRDO और ब्रह्मोस एयरोस्पेस को बड़ा झटका लगाते हुए, केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) की हैदराबाद बेंच ने सोमवार को ब्रह्मोस के मौजूदा डायरेक्टर जनरल और CEO डॉ. जयतीर्थ आर. जोशी की नियुक्ति रद्द कर दी है. न्यायाधिकरण ने रक्षा मंत्रालय और डीआरडीओ को निर्देश दिया है कि वे सबसे वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शिवसुब्रमण्यम नंबी नायडू के दावे पर चार हफ्तों के अंदर फिर से विचार करें.
यह फैसला डॉ. नंबी नायडू की याचिका पर आया है, जिन्होंने ब्रह्मोस के डीजी पद के लिए हुई चयन प्रक्रिया में अपनी वरिष्ठता और योग्यता को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया था. डॉ. जोशी को 25 नवंबर 2024 को इस पद पर नियुक्त किया गया था. वे 1 दिसंबर 2024 से पद पर कार्यरत थे. लेकिन कैट ने चयन प्रक्रिया में स्पष्ट मनमानी पाई और उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया.
ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत और रूस का संयुक्त उपक्रम है, जो दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का निर्माण करता है. इस कंपनी के डीजी और सीईओ का पद बहुत महत्वपूर्ण होता है. नवंबर 2024 में इस पद के लिए चयन समिति ने तीन वैज्ञानिकों के नाम सिफारिश किए थे, जिनमें डॉ. नंबी नायडू सबसे ऊपर थे.
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डॉ. नंबी नायडू DRDO के 'डिस्टिंग्विश्ड साइंटिस्ट' (सबसे ऊंचा ग्रेड) हैं. वे 2017 से ही 'साइंटिस्ट एच' (आउटस्टैंडिंग साइंटिस्ट) के पद पर थे. अक्टूबर 2024 में उन्हें डिस्टिंग्विश्ड साइंटिस्ट बनाया गया. डॉ. जोशी को जुलाई 2023 में ही साइंटिस्ट एच बनाया गया था. याचिका में कहा गया कि डॉ. नायडू, डॉ. जोशी से करीब 6-7 साल वरिष्ठ हैं. उनके अनुभव भी ज्यादा हैं.
चयन समिति में दोनों को बराबर 80 अंक मिले थे, लेकिन कैट ने कहा कि डिस्टिंग्विश्ड साइंटिस्ट होने के कारण डॉ. नायडू को ऊंचा स्थान मिलना चाहिए था. न्यायाधिकरण ने आश्चर्य जताया कि केवल एक साल का अनुभव रखने वाले डॉ. जोशी को कैसे चुना गया, जबकि डॉ. नायडू ज्यादा योग्य थे.
कैट की बेंच (वरुण सिंधु कुल कौमुदी और डॉ. लता बसवराज पाटने) ने अपने आदेश में कहा कि डीआरडीओ चेयरमैन को पैनल से किसी एक नाम को चुनने का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार मनमाने ढंग से नहीं इस्तेमाल किया जा सकता. चयन में पारदर्शिता और तर्कसंगत कारण होने चाहिए, जो यहां नहीं थे. इसीलिए नियुक्ति में स्पष्ट मनमानी हुई है.
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यह फैसला ब्रह्मोस एयरोस्पेस के लिए चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि कंपनी फिलीपींस जैसे देशों को मिसाइल निर्यात कर रही है. नए ऑर्डर पर काम कर रही है. नेतृत्व में यह विवाद कंपनी के कामकाज पर असर डाल सकता है. रक्षा मंत्रालय और डीआरडीओ को अब जल्दी नया फैसला लेना होगा.
यह मामला रक्षा क्षेत्र में चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल उठाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे विवाद संगठन की छवि और काम पर नकारात्मक असर डालते हैं.