डीआरडीओ
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के तहत प्रमुख एजेंसी है, जिसका मुख्यालय भारत की राजधानी दिल्ली में है (DRDO Headquarter). DRDO की स्थापना 1958 में रक्षा विज्ञान संगठन और कुछ तकनीकी विकास प्रतिष्ठानों को मिलाकर की गई थी (DRDO Foundation). इसके बाद, रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में सीधे समूह 'ए' अधिकारियों और वैज्ञानिकों की सेवा के रूप में 1979 में रक्षा अनुसंधान और विकास सेवा (DRDS) का गठन किया गया था.
1980 में एक अलग रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग का गठन किया गया था, जो बाद में डीआरडीओ और इसकी लगभग 30 प्रयोगशालाओं और प्रतिष्ठानों को प्रशासित करता था. रक्षा अनुसंधान विकास संगठन को एक विक्रेता के रूप में माना जाता था और सेना मुख्यालय या वायु मुख्यालय ग्राहक थे. चूंकि थल सेना और वायु सेना के पास स्वयं कोई डिजाइन या निर्माण की जिम्मेदारी नहीं थी, इसलिए वे डिजाइनर या भारतीय उद्योग को विश्व बाजार में अपने संबंधित डिजाइनर के समान मानते थे. जैसे अगर उन्हें विश्व बाजार से मिग-21 चाहिए, तो वे डीआरडीओ से मिग-21 का मांग करते यानी डीआरडीओ उनके लिए बतौर बिचौलिया काम करती है.
पुतिन 4-5 दिसंबर को भारत आ रहे हैं. इस दौरे में ब्रह्मोस मिसाइल के नए वर्जन पर बात पक्की है. हल्का ब्रह्मोस-NG हर फाइटर जेट पर लगेगा, रेंज 400 किमी से ज्यादा. लंबी रेंज वाली ब्रह्मोस 1000-1500 किमी तक मार करेगा. हाइपरसोनिक मिसाइल प्रोजेक्ट भी शुरू होगा. ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना को और खतरनाक ब्रह्मोस चाहिए. भारत-रूस की यह डील दुश्मनों की नींद उड़ा देगी.
DRDO ने चंडीगढ़ में तेजस विमान की इमरजेंसी इजेक्शन सीट का हाई-स्पीड रॉकेट-स्लेड टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा किया है. यह उपलब्धि भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करती है जिनके पास अत्याधुनिक इमरजेंसी इजेक्शन सीट की तकनीक है. इस तकनीक से भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमताओं में वृद्धि होगी और पायलटों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी.
DRDO ने चंडीगढ़ में तेजस लड़ाकू विमान की इमरजेंसी इजेक्शन सीट का हाई-स्पीड रॉकेट-स्लेड टेस्ट सफलतापूर्वक किया है. इस टेस्ट में कैनोपी का टूटना, सीट का बाहर निकलना और पैराशूट की मदद से सुरक्षित उतरना सभी प्रक्रिया सही ढंग से पूरी हुई है. इस सफलता के साथ भारत उन कुछ देशों में शामिल हो गया है जिनके पास यह अत्याधुनिक तकनीक मौजूद है. रक्षा मंत्री ने इसे देश की आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम बताया है, जो भारतीय रक्षा सुविधाओं को और मजबूत करेगा.
DRDO ने चंडीगढ़ में तेजस विमान की इमरजेंसी इजेक्शन सीट का हाई-स्पीड रॉकेट-स्लेड टेस्ट सफलतापूर्वक किया. कैनोपी का टूटना. सीट निकलना और पैराशूट से सुरक्षित उतरना सब सही रहा. भारत अब कुछ चुनिंदा देशों में शामिल, जिनके पास यह उन्नत तकनीक है. रक्षा मंत्री ने आत्मनिर्भरता की बड़ी सफलता बताया.
विशाखापत्तनम की एनएसटीएल ने डीआरडीओ के तहत नए एमपी-एयूवी विकसित किए, जो नौसेना के बारूदी खदान निष्क्रिय मिशनों के लिए हैं. साइड स्कैन सोनार, कैमरे और एआई से लैस, ये वाहन ऑटोनॉमस तरीके से खदानें ढूंढते हैं. फील्ड ट्रायल सफल, जल्द उत्पादन होगा.
मई 2025 में भारत ने पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर ड्रोन-आधारित ऑपरेशन सिंदूर चलाया. बिना विमान सीमा पार किए, बंशी, लक्ष्य और एक्स गार्ड जैसे ड्रोनों ने दुश्मन रडार को चकमा दिया. अब वही हथियार CLRTS/DS और मंगा रहा है भारत. इससे फायदा ये है कि जोखिम कम है. सटीक हमला होता है. पाक एयर डिफेंस बेकार साबित हुआ था.
डीआरडीओ की 'ध्वनि' हाइपरसोनिक मिसाइल का 2025 अंत तक पहला परीक्षण हो सकता है. इसकी गति 7400 किमी/घंटा होगी. 1500 किमी रेंज. ब्रह्मोस से तेज, दुश्मन का रक्षा कवच भेदेगी. यह मिसाइल 80% स्वदेशी है. 2029-30 तक तैनाती संभव. चीन-रूस की मिसाइलों का जवाब. भारत हाइपरसोनिक पावर बनेगा.
भारत के सबसे बड़े एडवांस्ड मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रोजेक्ट के लिए भारत की सात दिग्गज कंपनियों ने बोली लगाई है. HAL, L&T, Adani और Tata Advanced Systems प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं. DRDO के साथ साझेदारी के लिए इन कंपनियों ने 30 सितंबर को अपने प्रस्ताव जमा किए हैं.
भारत ने अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया. डीआरडीओ ने ओडिशा के चांदीपुर से रेल मोबाइल लॉन्चर से इसे दागा. यह 2000 किमी रेंज वाली नई पीढ़ी की मिसाइल है, जो सटीक निशाना लगाती है. तेजी से लॉन्च होती है. कैनिस्टर डिजाइन से मिसाइल मौसम से सुरक्षित रहती है.
DRDO ने ओडिशा के चांदीपुर से रेल मोबाइल लॉन्चर से अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया. 2000 किलोमीटर रेंज वाली यह आधुनिक मिसाइल भारत को उन चुनिंदा देशों में शामिल करती है जिनके पास कैनिस्टराइज्ड रेल लॉन्च सिस्टम है.
भारत ने अग्नि-प्राइम मिसाइल का पहला रेल लॉन्चर टेस्ट सफलतापूर्वक किया. डीआरडीओ ने ओडिशा के चांदीपुर से 2000 किमी रेंज वाली इस नई मिसाइल को दागा. कैनिस्टर डिजाइन से तेज और सुरक्षित लॉन्च हुआ. रेल पर चलते हुए हमला संभव, दुश्मन को चकमा देना आसान.
DRDO और भारतीय नौसेना इस साल ITCM क्रूज मिसाइल का जहाज से लॉन्च टेस्ट करेंगे. यह 1000 किमी रेंज वाली सबसोनिक मिसाइल निर्भय का विकसित रूप है. जमीन-समुद्र लक्ष्यों पर सटीक हमला करेगी. SLCM, LRLACM पहले सफल और अब शिप वेरिएंट. ब्रह्मोस का सस्ता विकल्प बनेगी, नौसेना को मजबूत करेगी.
भारत बहुत जल्द टेस्ट करने वाला है नई ITCM मिसाइल ब्रह्मोस मिसाइल के जैसी होगी क्षमता DRDO यानि डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन और इंडियन नेवी इस साल के अंत तक ITCM यानि इंडिजेनस टेक्नोलॉजी क्रूज मिसाइल का लॉन्च टेस्ट करने जा रहे हैं
कोलकाता में 15-17 सितंबर को संयुक्त कमांडर सम्मेलन 2025 हुआ. थीम 'सुधारों का वर्ष - भविष्य के लिए परिवर्तन' थी. पीएम मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों की सराहना की. संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और इनोवेशन पर जोर दिया गया. सूचना युद्ध, अंतरिक्ष सिद्धांत और भविष्य की चुनौतियों पर चर्चा हुई, ताकि सेनाएं आत्मनिर्भर बनें.
भारत 24-25 सितंबर को बंगाल की खाड़ी में एक बड़े रणनीतिक मिसाइल परीक्षण की तैयारी कर रहा है. NOTAM जारी हुआ है, जिसमें 1400 किमी से ज्यादा का नो-फ्लाई जोन बनाया गया है. यह परीक्षण अब्दुल कलाम द्वीप से होगा. संभवतः अग्नि-प्राइम मिसाइल का टेस्ट होगा, जो भारत की रक्षा ताकत को और मजबूत करेगा. DRDO क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों के लिए तैयार है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कोलकाता में कमांडर्स कॉन्फ्रेंस 2025 में सेना से नई चुनौतियों जैसे सूचना, वैचारिक और जैविक युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा. उन्होंने आत्मनिर्भरता, संयुक्तता और इनोवेशन (JAI) पर जोर दिया. ऑपरेशन सिंदूर की सराहना की और डिफेंस प्रोक्योरमेंट मैनुअल 2025 को मंजूरी दी, जो रक्षा खरीद को सरल बनाएगा.
जोरावर लाइट टैंक ने प्रारंभिक ट्रायल पास कर लिए, जिसमें 105 मिमी तोप की फायरिंग, गतिशीलता और पानी में तैरने की जांच शामिल है. सितंबर या अक्टूबर 2025 में लद्दाख में सेना के यूजर ट्रायल शुरू होंगे. अगर सारे परीक्षण सफल रहे तो 2027 तक यह सेना में शामिल जाएगा.
डीआरडीओ ने ओडिशा तट पर स्वदेशी एकीकृत हवाई रक्षा हथियार प्रणाली का सफल परीक्षण किया था. यह सिस्टम ड्रोन्स, विमानों और मिसाइलों को नष्ट कर सकता है. तीन हवाई लक्ष्यों को एक साथ नष्ट कर इसने भारत की हवाई सुरक्षा को मजबूत किया.
भारत की वायु रक्षा प्रणाली अब और मजबूत हो गई है. पहले भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान आकाश तीर एयर डिफेंस सिस्टम ने मिसाइलों और ड्रोन्स को हवा में मार गिराया था. अब रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने एक नया इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम (IADWS) विकसित किया है. यह नया हथियार भारत की सुरक्षा को दो कदम आगे लेकर जाएगा.
भारत ने ओडिशा तट पर स्वदेशी IADWS का सफल परीक्षण किया है, जो सीमा सुरक्षा में क्रांति लेकर आएगा. यह बहु-स्तरीय प्रणाली को चीन से सराहा है. यह प्रणाली क्रूज मिसाइल, ड्रोन, हेलीकॉप्टर और कम ऊंचाई वाले विमानों को रोकने में सक्षम है.
IADWS का सफल परीक्षण भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक में एक मील का पत्थर है. यह प्रणाली सुदर्शन चक्र मिशन की ओर एक मजबूत कदम है, जो 2035 तक भारत को एक अजेय रक्षा कवच प्रदान करेगा. QRSAM, VSHORADS और DEW का यह संयोजन भारत को हवाई खतरों से बचाने के लिए तैयार है.