पाकिस्तान दुनिया का वह देश है जहां ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर सबसे ज्यादा ग्लेशियर हैं – करीब 7200 से ज्यादा. हिंदूकुश, कराकोरम और हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं में फैले ये ग्लेशियर थर्ड पोल कहलाते हैं. ये सिंधु नदी बेसिन को पानी देते हैं, जो भारत और पाकिस्तान में 30 करोड़ से ज्यादा लोगों की जिंदगी का आधार है. लेकिन जलवायु परिवर्तन से ये ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे पानी की कमी और अचानक बाढ़ का बड़ा खतरा बढ़ गया है.
उत्तरी पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान में हुनजा वैली का पासू ग्लेशियर बहुत खूबसूरत है. सदियों से यहां की शिया और इस्माइली मुस्लिम कम्युनिटी रहती है. ग्लेशियर का पिघला पानी पीने, सिंचाई और बिजली के लिए इस्तेमाल होता है. लेकिन 1977 से 2014 तक यह 10% छोटा हो गया. हर महीने 4 मीटर पीछे खिसक रहा है.
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ग्लेशियर ब्रीज कैफे के मालिक इसरार अहमद कहते हैं कि 20 साल पहले ग्लेशियर होटल से साफ दिखता था. अब सिर्फ ऊपरी सफेद चोटियां दिखती हैं.

ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF): पिघलते ग्लेशियर से झीलें बनती हैं, जो फट सकती हैं. पाकिस्तान में 33 ऐसी खतरनाक झीलें हैं. दुनिया में 1.50 मिलियन लोग इस खतरे में हैं, जिनमें 20 लाख पाकिस्तानी. 2010 में अत्ताबाद झील लैंडस्लाइड से बनी, जिसमें 20 लोग मारे गए. अब यह टूरिस्ट स्पॉट है, लेकिन फटने का डर बना हुआ है.
गर्मी की लहरें और कम बर्फबारी से ग्लेशियर जल्दी पिघल रहे हैं. गर्मियों में पानी ज्यादा, लेकिन सूखे में कमी. 2022 की बाढ़ में 1700 लोग मारे गए. 3.30 करोड़ लोग प्रभावित हुए.
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उत्तरी पाकिस्तान की खूबसूरती से टूरिज्म बढ़ा है. COVID के बाद घरेलू और विदेशी पर्यटक आए. लेकिन प्लास्टिक कचरा, सीवेज और होटल निर्माण से प्रदूषण बढ़ा. नदियों में गंदगी, झीलों में एल्गी बढ़ रही है.

स्थानीय लोग पुरानी तकनीकें अपना रहे हैं...
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नेचर क्लाइमेट चेंज स्टडी के अनुसार कि 2050 तक हर साल 2000-4000 ग्लेशियर गायब हो सकते हैं. छोटे ग्लेशियर पहले खत्म होंगे. अगर तापमान 1.5 डिग्री तक सीमित रहा, तो ज्यादा ग्लेशियर बच सकते हैं. पाकिस्तान ग्लोबल उत्सर्जन में 1% से कम योगदान देता है, लेकिन प्रभाव सबसे ज्यादा झेल रहा है. ग्लेशियरों का पिघलना पानी, खेती और जीवन के लिए बड़ा संकट है. समय रहते कार्रवाई जरूरी है.