scorecardresearch
 

देश के 7 सबसे खतरनाक जोन जहां बादल फटते हैं, खतरे क्या हैं... वैज्ञानिक क्या कहते हैं?

जम्मू-कश्मीर से लेकर केरल तक, बादल फटने के 7 खतरनाक जोन देश के लिए चुनौती बने हुए हैं. फ्लैश फ्लड और भूस्खलन जैसे खतरे जान-माल और संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियां इस समस्या को बढ़ा रही हैं.

Advertisement
X
हिमाचल प्रदेश के मंडी में बादल फटने से आए फ्लैश फ्लड में फंसी बस. (File Photo: PTI)
हिमाचल प्रदेश के मंडी में बादल फटने से आए फ्लैश फ्लड में फंसी बस. (File Photo: PTI)

बादल फटने (क्लाउडबर्स्ट) की घटनाओं ने पहाड़ी इलाकों में भारी तबाही मचाई है. यह एक ऐसी प्राकृतिक घटना है जिसमें बहुत कम समय में भारी बारिश होती है, जो बाढ़ और भूस्खलन का कारण बनती है. भारत में कुछ खास क्षेत्रों में  बादल फटने का जोखिम सबसे ज्यादा हैं. जानते हैं कि ये 7 सबसे खतरनाक जोन कौन से हैं? वहां क्या-क्या खतरे हैं? 

देश के 7 सबसे खतरनाक जोन

हिमालयी क्षेत्रों और पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाएं ज्यादा होती हैं. ये हैं भारत के 7 सबसे जोखिम वाले क्षेत्र...

यह भी पढ़ें: मॉनसून में बादलफोड़ आफत, गर्मी में बाढ़, सर्दियों को आगे खिसका रहा पश्चिमी विक्षोभ... बदल चुका देश का मौसम

7 most dangerous zones of cloudbursts

  • जम्मू और कश्मीर: अमरनाथ गुफा, गांदरबल, पहलगाम और किश्तवाड़ जैसे इलाके बार-बार प्रभावित होते हैं. 2022 में अमरनाथ में बादल फटने से भारी नुकसान हुआ था.
  • लद्दाख: लेह क्षेत्र 2010 में बादल फटने से तबाह हो गया था, जिसमें 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी.
  • हिमाचल प्रदेश: कुल्लू, किन्नौर, चंबा, धर्मशाला और मनाली जैसे इलाके हर साल मॉनसून में जोखिम में रहते हैं. 2025 में मंडी में 14 बादल फटने की घटनाएं हुईं.
  • उत्तराखंड: केदारनाथ (2013) चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी और पिथौरागढ़ ज्यादा जोखिम वाले हैं. हाल ही में 5 अगस्त 2025 को धराली में भी तबाही हुई.
  • सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश: तवांग, अपर सियांग और उत्तरी सिक्किम में भी बादल फटने की घटनाएं होती हैं, हालांकि कम रिपोर्ट होती हैं.
  • महाराष्ट्र: 2005 में मुंबई में बादल फटने से 944 मिलीमीटर बारिश हुई थी, जिसने शहर को जलमग्न कर दिया.
  • केरल: 2018 में इडुक्की और वायनाड में बादल फटने से भयानक बाढ़ आई थी, जिसमें 324 लोग मरे थे.

7 most dangerous zones of cloudbursts

Advertisement

वहां क्या-क्या खतरे हैं?

बादल फटने से कई तरह के खतरे पैदा होते हैं, खासकर पहाड़ी इलाकों में...

  • फ्लैश फ्लड: अचानक पानी का तेज बहाव घरों, सड़कों और गाड़ियों को बहा ले जाता है.
  • भूस्खलन: बारिश से मिट्टी और चट्टानें ढह जाती हैं, जिससे गांव और संपत्ति दब जाते हैं.
  • जान-माल का नुकसान: लोग बह जाते हैं. मवेशी मर जाते हैं. घर तबाह हो जाते हैं.
  • संचार बाधित: सड़कें, बिजली और मोबाइल नेटवर्क कई दिनों तक बंद रहते हैं.
  • फसलों का नुकसान: बाढ़ से खेत डूब जाते हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है.
  • पर्यावरणीय क्षति: जंगलों और नदियों को नुकसान पहुंचता है, जिससे पारिस्थितिकी बिगड़ती है.

7 most dangerous zones of cloudbursts

वैज्ञानिक क्या कहते हैं?

वैज्ञानिकों के मुताबिक, बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं. इसके पीछे कई कारण हैं...

जलवायु परिवर्तन: गर्म होती पृथ्वी हवा में ज्यादा नमी रखती है, जो भारी बारिश का कारण बनती है. हर 1 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने से हवा 7% ज्यादा नमी सोखती है.
पहाड़ी भूगोल: हिमालय जैसे ऊंचे पहाड़ नमी वाली हवाओं को ऊपर उठाते हैं, जिससे बादल फटते हैं. यह प्रक्रिया ओरोग्राफिक लिफ्ट कहलाती है.
मॉनसून और पश्चिमी विक्षोभ: मॉनसून की नमी और पश्चिमी विक्षोभ मिलने से अस्थिर मौसम बनता है, जो बादल फटने को बढ़ाता है.
ग्लेशियर पिघलना: हिमालय के ग्लेशियर पिघलने से वातावरण में नमी बढ़ती है, जो बारिश को और तेज करती है.
मानवीय गतिविधियां: जंगलों की कटाई, अवैध खनन और बस्तियों का विस्तार मिट्टी को कमजोर करता है, जिससे खतरे बढ़ते हैं.

Advertisement

यह भी पढ़ें: क्यों फट रहे हैं पहाड़ों पर बादल? मंडी-धराली से कठुआ-किश्तवाड़ तक कुदरती तबाही, Photos

मौसम वैज्ञानिक कीरन हंट कहते हैं किसर्दियों में यह बर्फ के रूप में गिरता है, लेकिन गर्मियों में मॉनसून के साथ मिलकर बाढ़ का कारण बनता है. वहीं, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के राजीब चट्टोपाध्याय का मानना है कि यह बदलाव चिंताजनक है, क्योंकि इससे मौसम की अति हो सकती है.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement