scorecardresearch
 

मॉनसून में बादलफोड़ आफत, गर्मी में बाढ़, सर्दियों को आगे खिसका रहा पश्चिमी विक्षोभ... बदल चुका देश का मौसम

पश्चिमी विक्षोभ, जो पहले सर्दियों में पानी की सुरक्षा का साधन था. अब गर्मियों में बाढ़ का कारण बन रहा है. जलवायु परिवर्तन और स्थानीय गर्मी इसके पीछे की वजह हैं. 2013 और 2023 की बाढ़ें इसकी गंभीरता दिखाती हैं. ये सर्दियों को आगे खिसका रहा है, जिससे मॉनसून में ऐसा कुदरती आफत आ रहे हैं.

Advertisement
X
भारत का मौसम लगातार बदलता जा रहा है. पश्चिमी विक्षोभ जो पहले राहत की खबर लाता था अब वो आफत ला रहा है. (Graphics: ITG)
भारत का मौसम लगातार बदलता जा रहा है. पश्चिमी विक्षोभ जो पहले राहत की खबर लाता था अब वो आफत ला रहा है. (Graphics: ITG)

पश्चिमी विक्षोभ एक ऐसी हवा की प्रणाली है, जो सर्दियों में उत्तरी भारत में बर्फ और बारिश लाती है. यह हिंदूकुश और हिमालय पर्वत के पश्चिम से शुरू होकर, कभी-कभी भूमध्य सागर से भी आती है. यह नदियों में पानी और फसलों के लिए जरूरी है. लेकिन अब एक नई स्टडी बताती है कि यह गर्मियों में भी बढ़ रहा है, जो चिंता का विषय बन गया है.

पश्चिमी विक्षोभ क्या है?

पश्चिमी विक्षोभ एक हवा की लहर है जो पश्चिम से पूर्व की ओर चलती है. यह दिसंबर से मार्च के बीच उत्तरी भारत, खासकर हिमालयी राज्यों जैसे हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में बर्फ और बारिश लाती है. यह हवाएं अरब सागर से नमी लेती हैं. पहाड़ों से टकराकर बारिश बनाती हैं. यह बर्फ गर्मियों में पिघलकर इंडस-गंगा नदी में पानी देती है, जो करीब 50 करोड़ लोगों के लिए सिंचाई, बिजली और घरेलू इस्तेमाल के लिए महत्वपूर्ण है.

यह भी पढ़ें: क्यों फट रहे हैं पहाड़ों पर बादल? मंडी-धराली से कठुआ-किश्तवाड़ तक कुदरती तबाही, Photos

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक ए.पी. डिमरी कहते हैं कि सर्दियों की बारिश हिमालयी राज्यों के लिए जिंदगी का आधार है, क्योंकि यह वसंत ऋतु में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करती है. 

Advertisement

India's weather has changed
 
बदलाव की नई स्टडी

'वेदर एंड क्लाइमेट डायनेमिक्स' जर्नल में प्रकाशित एक नई स्टडी के मुताबिक, पिछले 20 सालों में जून में पश्चिमी विक्षोभ दोगुनी बार आए हैं, जबकि पिछले 50 सालों में यह बहुत कम होता था. पहले यह दिसंबर से मार्च तक सीमित था, लेकिन अब यह मई, जून और जुलाई तक फैल गया है. यह बदलाव गर्मियों के मॉनसून के साथ मिलकर बाढ़ का कारण बन रहा है.

असर क्या है?

  • सर्दियों का फायदा: सर्दियों में यह बर्फ के रूप में गिरता है, जो धीरे-धीरे पिघलकर गर्मियों में पानी देता है. इससे किसानों को फायदा होता है. ग्लेशियर रिचार्ज होते हैं.
  • गर्मियों का खतरा: जून-जुलाई में यह मॉनसून के साथ मिलता है, जो 6-7 गुना ज्यादा नमी लाता है. इससे 2013 में उत्तराखंड में 6000 लोगों की जान लेने वाली फ्लैश फ्लड आई थी. जुलाई 2023 में भी दिल्ली समेत कई राज्यों में बाढ़ आई.
  • जलवायु असंतुलन: भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के राजीब चट्टोपाध्याय कहते हैं कि यह बदलाव चिंताजनक है, क्योंकि इससे मौसम की अति (जैसे बाढ़ और ठंड) हो सकती है. 

India's weather has changed

बदलाव का कारण क्या है?

जलवायु परिवर्तन

ध्रुवीय क्षेत्र गर्म हो रहे हैं, जिससे उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रों के बीच तापमान का अंतर कम हो गया है. इससे उपोष्णकटिबंधीय जेट स्ट्रीम (हवा की तेज धारा) कमजोर हुई है, जो पश्चिमी विक्षोभ को लंबे समय तक भारत में रखती है. यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के मौसम विज्ञानी कीरन हंट कहते हैं कि सर्दियों में हवा सूखी होती है, इसलिए बाढ़ नहीं होती, लेकिन गर्मियों में मानसून के साथ मिलकर यह खतरनाक हो जाता है.

Advertisement

यह भी पढ़ें: किश्तवाड़ में फ्लैश फ्लड का रहस्य गहराया... बादल फटा या ग्लेशियर टूटा? वैज्ञानिक परेशान

स्थानीय कारक

  • तिब्बती पठार का गर्म होना: यह क्षेत्र वैश्विक औसत से दोगुनी तेजी से गर्म हो रहा है, जो जेट स्ट्रीम को मजबूत करता है और विक्षोभ को तेज करता है.
  • वायु प्रदूषण में कमी: उत्तर भारत में प्रदूषण नियंत्रण से एरोसोल (कण) कम हुए हैं, जिससे हवा गर्म हुई और जेट स्ट्रीम मजबूत हुई.

India's weather has changed

भविष्य के लिए क्या करें?

  • पहले से चेतावनी: मौसम विभाग को पश्चिमी विक्षोभ की भविष्यवाणी पर ज्यादा ध्यान देना होगा. राजीब चट्टोपाध्याय कहते हैं कि हमें बाढ़, बादल फटने और ठंड की चेतावनी के लिए बेहतर पूर्वानुमान चाहिए.
  • तैयारी: नदियों की सफाई, बांध मजबूत करना और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजने की योजना बनानी होगी.
  • जागरूकता: किसानों और लोगों को मौसम के बदलाव के बारे में शिक्षित करना जरूरी है.
---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement